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कुछ देश नहीं चाहते अपने लिए कोई ‘आर्मी’!

देश की सुरक्षा के लिए हर साल लाखों युवा सेना में भर्ती होते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी देश हैं जिन्हें न सेना चाहिए और न देश की सुरक्षा! जी हाँ, यह बात थोड़ी अटपटी जरुर है लेकिन ये सच है. आइये आपको बताते हैं ऐसे कौन से देश हैं जो नहीं चाहते कोई सेना… […]

देश की सुरक्षा के लिए हर साल लाखों युवा सेना में भर्ती होते हैं. लेकिन कुछ ऐसे भी देश हैं जिन्हें न सेना चाहिए और न देश की सुरक्षा! जी हाँ, यह बात थोड़ी अटपटी जरुर है लेकिन ये सच है. आइये आपको बताते हैं ऐसे कौन से देश हैं जो नहीं चाहते कोई सेना…

सेना सुरक्षा के लिए होती है. स्विट्जरलैंड में बहस चल रही है कि उसे सेना की जरूरत है या नहीं. बहुत से देश अपनी सैनिक ताकत का प्रदर्शन करने में गर्व महसूस करते हैं लेकिन कुछ देशों के पास कोई सेना नहीं है.

कोस्टा रिका

मध्य अमेरिकी देश कोस्टा रिका में सेना नहीं है. 1948 में राष्ट्रपति चुनावों में धांधली के खिलाफ हुए जनविद्रोह के साथ विद्रोहियों ने सत्ता पर कब्जा कर लिया और नया संविधान बनाया. नए संविधान में सेना को समाप्त कर दिया गया. 1953 से देश में 14 राष्ट्रपति चुनाव हो चुके हैं और सभी शांतिपूर्ण रहे हैं.

लिष्टेनश्टाइन

केंद्रीय यूरोप के इस छोटे से देश ने 1868 में अपनी सेना को भंग कर दिया. कारण आर्थिक थे. सेना बहुत महंगी हो गई थी. युद्ध के समय सेना बनाने की संभावना रही, लेकिन युद्ध कभी आया नहीं. लिष्टेनश्टाइन काले धन को लेकर चर्चा में रहता है. इस देश का प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद कतर के बाद दूसरे नंबर पर है.

समोआ

समोआ 1962 में न्यूजीलैंड की गुलामी से आजाद हुआ था. स्वतंत्रता के बाद से ही उसके पास कोई सेना नहीं है. 1962 की एक मैत्री संधि के अनुसार न्यूजीलैंड ने जरूरत पड़ने पर उसकी सुरक्षा का आश्वासन दिया है. पश्चिमी समोआ द्वीप समूह से बना देश पोलेनेशिया का हिस्सा है. भारत प्रशांत के द्वीप राज्यों के साथ निकट सहयोग करता है.

अंडोरा

यूरोप में स्थित यह देश 1278 में बना. अंडोरा के पास अपनी सेना नहीं है लेकिन स्पेन और फ्रांस ने उसे जरूरत पड़ने पर सुरक्षा देने की गारंटी ली है. 468 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला अंडोरा अपने स्की रिजॉर्ट और ड्यूटी-फ्री दुकानों के लिए जाना जाता है. इसे टैक्स बचाने वालों का स्वर्ग भी माना जाता है.

तुवालू

2014 में बने भारत प्रशांत द्वीप सहयोग संगठन में समोआ और तुवालू भी हैं. 2015 में जयपुर में संगठन के 14 सदस्य देशों का सम्मेलन हुआ. तुवालू का क्षेत्रफल सिर्फ 26 वर्ग किलोमीटर है और वहां की आबादी 10,000 है. यह राष्ट्रकुल का सदस्य है और यहां संसदीय राजतंत्र है.

वैटिकन

इटली की राजधानी रोम में स्थित यह दुनिया का सबसे छोटा देश है. इस देश का क्षेत्रफल सिर्फ 0.44 वर्ग किलोमीटर है और आबादी है 840. इस तरह से सबसे कम आबादी वाला देश भी. यह कैथोलिक गिरजे का मुख्यालय है जहां गिरजे के प्रमुख पोप और चर्च के दूसरे अधिकारी रहते हैं.

ग्रेनेडा

एक बड़े द्वीप और छह छोटे छोटे द्वीपों से बने ग्रेनेडा का क्षेत्रफल 344 वर्ग किलोमीटर है और उसकी आबादी 105,000 है. ग्रेनेडा कैरिबिक और अटलांटिक के बीच स्थित है और इसे मसालों के लिए भी जाना जाता है. 1983 में सैनिक विद्रोह और अमेरिकी हस्तक्षेप के बाद से यहां नियमित सेना नहीं.

नाउरू

प्रशांत महासागर में स्थित द्वीप राष्ट्र 21.10 वर्ग किलोमीटर बडा़ है. इसकी आबादी करीब 10,000 है. नाउरू माइक्रोनेशिया के द्वीपों का हिस्सा है. ऑस्ट्रेलिया के साथ हुए एक समझौते के तहत नाउरू की सुरक्षा की जिम्मेदारी ऑस्ट्रेलिया ने ली है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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