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Gita Updesh: पुरुषों की शोभा और यश बढ़ाते हैं ये 8 दिव्य गुण

Gita Updesh: भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश अनुसार ये 8 दिव्य गुण किसी भी पुरुष को यशस्वी, सम्मानित और प्रेरणास्रोत बना सकते हैं.

Gita Updesh: पुरुष की असली पहचान उसकी सोच, आचरण और आत्मसंयम से होती है. श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने ऐसे कई गुणों का उल्लेख किया है जो न केवल किसी पुरुष की आभा बढ़ाते हैं, बल्कि समाज में उसे सम्मान, प्रतिष्ठा और अक्षय यश भी दिलाते हैं. आज की तेज रफ्तार और भौतिकतावादी दुनिया में भी ये गुण उतने ही प्रासंगिक हैं जितने महाभारत के काल में थे.

अगर आप अपने जीवन में सफलता, शांति और सम्मान चाहते हैं, तो श्रीकृष्ण द्वारा बताए गए इन 8 गुणों को जरूर अपनाएं.

Bhagavad Gita Quotes: उद्धरण

“स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः.”
– श्रीमद्भगवद्गीता

अर्थात: अपने धर्म और कर्तव्यों का पालन करना ही पुरुष का वास्तविक सौंदर्य है.

Bhagavad Gita Teachings | Bhagvad Gita Quotes for Men: ये हैं वे 8 गुण जो पुरुषों की शोभा बढ़ाते हैं

Gita Updesh
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1. बुद्धिमत्ता (बुद्धि का विकास)

श्रीकृष्ण के अनुसार, विवेकपूर्ण निर्णय लेना ही सच्ची बुद्धिमत्ता है. जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना समझदारी से करने वाला पुरुष हमेशा समाज में प्रशंसा का पात्र बनता है.

2. कुलीनता (संस्कार और चरित्र)

सिर्फ वंश नहीं, बल्कि व्यवहार, सोच और कर्म ही किसी पुरुष को कुलीन बनाते हैं. एक कुलीन पुरुष समाज में आदर्श माना जाता है.

3. इंद्रिय-दमन (आत्म-संयम)

इंद्रियों पर नियंत्रण व्यक्ति को महान बनाता है. श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि जिसने अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण पा लिया, वह सच्चा विजेता है.

4. शास्त्र ज्ञान (धार्मिक व आध्यात्मिक ज्ञान)

वेद, उपनिषद, गीता व अन्य शास्त्रों का अध्ययन करने वाला पुरुष धर्म, नीति और सत्य का मार्ग जानता है. ऐसा व्यक्ति समाज का मार्गदर्शक बनता है.

5. पराक्रम (साहस और निडरता)

धर्म के मार्ग पर चलने वाला, अन्याय के विरुद्ध खड़ा होने वाला पुरुष ही पराक्रमी कहलाता है. उसका साहस समाज को प्रेरणा देता है.

6. बहुत न बोलना (किसी की बुराई न करना)

सच्चा पुरुष वही है जो पीठ पीछे किसी की बुराई न करे. वह सभी के प्रति सद्भावना रखता है और सकारात्मक वातावरण बनाता है.

7. यथाशक्ति दान देना (सहयोग की भावना)

अपने सामर्थ्य अनुसार जरूरतमंदों की मदद करना, दान देना, समाज के प्रति उत्तरदायित्व निभाना एक श्रेष्ठ गुण है.

8. कृतज्ञ होना (आभार व्यक्त करना)

जो व्यक्ति हर अच्छे कार्य, रिश्ते और अवसर के लिए आभार व्यक्त करता है, वह विनम्रता और मानवीयता का प्रतीक होता है.


Bhagavad Gita में निहित ये आठ गुण हर पुरुष को श्रेष्ठ बनने की ओर अग्रसर करते हैं. इन्हें अपनाकर न केवल समाज में प्रतिष्ठा प्राप्त की जा सकती है, बल्कि आत्मिक शांति और ईश्वर की कृपा भी प्राप्त होती है. इसलिए जीवन में इन गुणों को उतारना ही पुरुष की सच्ची शोभा है.

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Pratishtha Pawar
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