Gita Updesh: आज की तेज रफ्तार जिंदगी में ऑफिस का तनाव आम बात हो गई है. काम के दबाव, डेडलाइन, मीटिंग्स, कंपटीशन और पॉलिटिक्स के बीच मन अशांत हो जाता है, जिसकी वजह से प्रोफेशनल लाइफ के साथ पर्सनल लाइफ भी खराब होने लगती है. अगर ऐसी ही परिस्थितियों से आप भी गुजर रहे हैं, तो श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ उपदेशों को अपने जीवन में जरूर अनुसरण करें, क्योंकि गीता का उपदेश यह मानसिक संतुलन, कर्मयोग और आत्मशांति का अद्भुत मार्गदर्शन भी देती है. गीता सिर्फ धर्म का सार नहीं है बल्कि यह जीवन का भी सार है.

कर्म करो, फल की चिंता मत करो
गीता का सबसे प्रसिद्ध उपदेश “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन…” है. इसका अर्थ है कि हमारा अधिकार केवल कर्म करने में है, न कि उसके फल में. ऑफिस में जब आप पूरे मन से काम करते हैं और परिणाम की चिंता नहीं करते, तो तनाव स्वतः कम हो जाता है.

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समत्व भाव अपनाएं
अगर आप ऑफिस में काम के दबाव और तनाव से जूझ रहे हैं, तो श्रीमद्भगवद्गीता का एक महत्वपूर्ण उपदेश अपनाएं- सुख-दुख, लाभ-हानि को समान दृष्टि से देखने का अभ्यास करें. गीता सिखाती है कि जब हम जीवन की हर परिस्थिति को शांत और स्थिर चित्त से स्वीकार करते हैं, तो मानसिक तनाव स्वतः कम होने लगता है. यह समत्व भाव आपको आंतरिक शांति और संतुलन की ओर ले जाता है.

मन पर नियंत्रण
भगवद्गीता कहती है कि मन ही मित्र है और वही शत्रु. अगर आप अपने विचारों और भावनाओं को नियंत्रित करना सीख लें, तो ऑफिस का तनाव आपको प्रभावित नहीं कर पाएगा.

ध्यान और आत्मचिंतन
प्रतिदिन कुछ समय ध्यान और आत्मचिंतन के लिए निकालें. यह आपकी कार्यक्षमता बढ़ाता है और मानसिक स्पष्टता देता है.

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