24.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

बचपन में ही बच्चों में बोए गीता ज्ञान के बीज, जीवन भर मिलती रहेगी छांव

Gita Updesh: बच्चों को श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ श्लोक बचपन से ही सुनाना और समझाना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे न केवल उनका चरित्र मजबूत होता है, बल्कि वे जीवन के उतार-चढ़ाव में संतुलित रहना भी सीखते हैं.

Gita Updesh: श्रीमद्भगवद्गीता जीवन के उतार-चढ़ाव में रास्ता दिखाने वाला एक दिव्य प्रकाशपुंज है. जब मनुष्य उलझनों, डर और असमंजस से घिर जाता है, तब गीता उसे भीतर की शांति और स्थिरता पाने का उपाय बताती है. गीता समझाती है कि असली धर्म वही है, जिसमें हम अपने कर्तव्य को बिना किसी लालच या अपेक्षा के निभाएं. गीता यह भी बताती है कि अगर मोह, लोभ और अहंकार से ऊपर उठ जाएं, तो आत्मा की उन्नति संभव है. यह ग्रंथ केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक गहन मनोवैज्ञानिक और दार्शनिक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करता है. आज की तेज रफ्तार और तनावपूर्ण जिंदगी में गीता हमें आत्मचिंतन, संयम और परम सत्ता में विश्वास करने की प्रेरणा देती है. इसमें लिखी बातें नई लोगों की जिंदगी में रोशनी फैलाने का काम करती हैं. ऐसे में बच्चों को श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ श्लोक बचपन से ही सुनाना और समझाना बहुत जरूरी है, क्योंकि इससे न केवल उनका चरित्र मजबूत होता है, बल्कि वे जीवन के उतार-चढ़ाव में संतुलित रहना भी सीखते हैं.

Gita Updesh
Gita updesh

कर्म पर ध्यान

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

इस श्लोक का अर्थ हुआ कि तुम्हारा अधिकार सिर्फ कर्म करने में है, फल में नहीं. इसलिए न तो फल की इच्छा से कर्म करो, और न ही कर्म न करने में आसक्त हो. इससे बच्चों को यह सीखने को मिलता है कि मेहनत करो, रिजल्ट की चिंता मत करो.

Gita Updesh
Gita updesh

यह भी पढ़ें- Gita Updesh: आत्मा को निगलकर रख देंगी आपकी ये आदतें

यह भी पढ़ें- क्रोध नहीं, करुणा अपनाएं– श्रीमद्भगवद्गीता का अमूल्य संदेश

समभाव

सुख-दुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ।
ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि॥

इस श्लोक के माध्यम से भगवान श्रीकृष्ण कहना चाहते हैं कि सुख-दुख, लाभ-हानि और जीत-हार में समभाव रखो और अपने कर्तव्य को निभाओ. इससे बच्चों को यह सीख मिलती है कि हर परिस्थिति में स्थिर और मजबूत रहो.

Gita Updesh
Gita updesh

मन को नियंत्रित करो

उद्धरेदात्मनाऽत्मानं नात्मानमवसादयेत्।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः॥

श्रीमद्भगवद्गीता के इस श्लोक में बताया गया है कि अपने मन से ही अपने को ऊपर उठाओ, नीचे मत गिराओ. मन ही मित्र है, मन ही शत्रु. ऐसे में यह श्लोक बच्चों को सिखाता है कि खुद पर नियंत्रण रखो, क्योंकि तुम्हारा सबसे बड़ा साथी और दुश्मन तुम्हारा मन है.

Gita Updesh
Gita updesh

यह भी पढे़ें- मोह को समाप्त करने का सरल मार्ग, अपनाएं भगवान श्रीकृष्ण के ये संदेश

Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह से इनकी पुष्टि नहीं करता है.

Shashank Baranwal
Shashank Baranwal
जीवन का ज्ञान इलाहाबाद विश्वविद्यालय से, पेशे का ज्ञान MCU, भोपाल से. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के नेशनल डेस्क पर कार्य कर रहा हूँ. राजनीति पढ़ने, देखने और समझने का सिलसिला जारी है. खेल और लाइफस्टाइल की खबरें लिखने में भी दिलचस्पी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel