22.4 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Hindi Diwas 2020 : जानें पोलैंड में क्यों पसंद की जाती हैं हिंदी बॉलीवुड फिल्में ?

Hindi Diwas 2020, Polland, Hindi Bollywood Movies : हिंदी फिल्मों के पश्चिमी दर्शक मूलतः डायसपोरा के हिस्से हैं या एशिया और अफ्रीका के प्रवासी हैं. पोलैंड में हिंदी फिल्में अभी तक काफी लोकप्रिय होती हैं, यह अलग बात है कि यूरोपीय या हॉलीवुड फिल्मों की तुलना में कम ही होंगी. यूरोप के अन्य देशों की तुलना में, शायद रूस को छोड़ कर, पोलैंड में हिंदी फिल्मों के प्रशंसकों के समूह काफी सक्रिय हैं. हिंदी फिल्में देखनेवाले पोलिश लोग एक विशेष दर्शक हैं.

तत्याना षुर्लेई

लेखिका एवं इंडोलॉजिस्ट

Hindi Diwas 2020, Polland, Hindi Bollywood Movies : हिंदी फिल्मों के पश्चिमी दर्शक मूलतः डायसपोरा के हिस्से हैं या एशिया और अफ्रीका के प्रवासी हैं. पोलैंड में हिंदी फिल्में अभी तक काफी लोकप्रिय होती हैं, यह अलग बात है कि यूरोपीय या हॉलीवुड फिल्मों की तुलना में कम ही होंगी. यूरोप के अन्य देशों की तुलना में, शायद रूस को छोड़ कर, पोलैंड में हिंदी फिल्मों के प्रशंसकों के समूह काफी सक्रिय हैं. हिंदी फिल्में देखनेवाले पोलिश लोग एक विशेष दर्शक हैं.

पोलिश दर्शक हिंदी फिल्मों को या तो प्यार करते हैं या उससे नफरत करते हैं. इन दो चरम छोरों के बीच कुछ भी नहीं है. यह एक तरह से दिलचस्प बात है, तो दूसरी तरफ से भयानक भी. नफरत करनेवाला दर्शक एक समस्याग्रस्त समूह है, जो हिंदी फिल्मों को समझने की कोशिश नहीं करता और उन्हें बिना देखे भी बुरा मानता है. दूसरा समूह और भी दिलचस्प है क्योंकि वे लोग केवल प्रशंसक बने रहते हैं. उन्हें हिंदी सिनेमा से संबंधित गहन चर्चा में कोई दिलचस्पी नहीं है तथा ए-ग्रेड और बी-ग्रेड सिनेमा में भी अंतर दिखाई नहीं देता है. ऐसे लोग फिल्म की किसी भी आलोचना को नस्लवाद से जोड़ देते हैं, इसीलिए उनके साथ फिल्मों के बारे में कोई भी आलोचनात्मक संवाद असंभव है. वे सिर्फ प्रशंसक हैं.

हिंदी फिल्मों को पश्चिमी यूरोप में पहचान मिले करीब 20 साल हुए हैं. इसका मुख्य कारण लगान का ऑस्कर पुरस्कार के लिए नामांकित होना और बॉम्बे ड्रीम्स की सांगीतिक लोकप्रियता है. यह अलग बात है कि भारतीय निदेशक पहले भी पश्चिमी लोगों के साथ काम करते थे या पश्चिम के फिल्मवाले भारत आते थे, भारतीय फिल्में अंतरराष्ट्रीय महोत्सवों में दिखायी जाती थीं, और कुछ अभिनेता विदेश में भी स्टार थे, जैसे राज कपुर न सिर्फ तत्कालीन सोवियत संघ में, बल्कि कम्युनिस्ट ब्लॉक के अलग-अलग देशों में भी काफी लोकप्रिय थे. लेकिन बॉम्बे ड्रीम्स और लगान के बाद बॉलीवुड का अस्तित्व यूरोप में स्थिर हो गया. इसका कारण यह नहीं था कि तकनीकी रूप से या कहानी के स्तर पर कोई भूचाल या गया था, बल्कि बॉलीवुड का बॉलीवुडनेस लोकप्रिय हुआ- ड्रामा, विशाल सेट, नाच, गाना आदि.

साल 1958 के ऑस्कर के लिए नामांकित मदर इंडिया से 2002 के लगान के नामांकन की तुलना करें, तो हम आसानी से अंतर देख सकते हैं. साल 2002 में 1958 के विपरीत, गाने को काटने की जरूरत नहीं थी, फिल्म को पश्चिमी बनाने की जरूरत नहीं थी. लगान का ऑस्कर नामांकन पूरे बॉलीवुड फॉर्मूला का नामांकन था, न कि सर्फ एक फिल्म का, और यह फॉर्मूला पश्चिमी दर्शकों को मोहित करने लगा. पोलैंड, जो एक रूढ़िवादी और धार्मिक देश है, के दर्शकों के लिए हिंदी सिनेमा का सबसे महत्वपूर्ण तत्व भारतीय मूल्य है, जिनका पश्चिमी देशों में अभाव है, ऐसा माना जाता है, खास तौर पर उत्तर-साम्यवादी देशों में. हिंदी फिल्में इग्जाटिक तो हैं, लेकिन दूसरी ओर से घरेलू भी, इसलिए कि वे ऐसे मूल्यों को दिखाती हैं, जो आज भी पोलैंड में सराही जाती हैं, जैसे परिवार और परंपरा की महत्ता या ‘अश्लीलता’ की न्यूनता.

बॉलीवुड फिल्में पोलिश लोगों को हिंदी सीखने के लिए प्रेरित करने के बड़े कारकों में से एक हैं, और कुछ भाषा स्कूल बॉलीवुड फिल्मों पर आधारित पाठ्यक्रम भी प्रदान करते हैं. अफसोस की बात है कि पश्चिमी दर्शकों के लिए बॉलीवुड का यह उछाल एक छोटा एपिसोड ही था, पश्चिमी पॉप-कल्चर पर बॉलीवुड का जो कुछ प्रभाव था, वह भी बहुत जल्दी खत्म हो गया. पोलैंड में भी कुछ लोगों ने हिंदी फिल्में देखना बंद कर दिया, क्योंकि कुछ वितरक जल्दी लाभ कमाना चाहते थे, इसीलिए सस्ती फिल्में लोगों को परोसने लगे. वे फिल्में अंग्रेजी सबटाइटल से खराब तरीके से अनूदित होती थीं, न कि हिंदी से. इस कारण लोगों को लगता था कि बॉलीवुड सिनेमा सिर्फ इसी तरह की फिल्मों का निर्माण करता है.

अब हिंदी सिनेमा फिर वापस आया है. बॉलीवुड की नयी फिल्मों को पोलिश सिनेमाघरों में फिर से दिखाया जा रहा है. बावजूद इसके कुछ पोलिश दर्शक वापस आना नहीं चाहते हैं. वे यही सोचते हैं कि पूरा हिंदी सिनेमा उन सस्ती फिल्मों जैसा है, जो पहले पोलैंड में वितरित होती थीं. दूसरी ओर, जो लोग हमेशा बॉलीवुड के बड़े फैंस थे, उनको शुरू से कभी खुशी कभी गम जैसी फिल्में पसंद थीं, जिनमें बहुत ड्रामा और बहुत रोना है और जिनकी कहानियां आसान हैं और हीरो शाहरुख खान है. इसलिए वे लोग नयी फिल्मों को आसानी से स्वीकार करना भी नहीं चाहते हैं. वे सिनेमाघर जाते हैं, फिल्में देखते हैं, लेकिन घर वापस आकर अपनी प्यारी 20 साल पुरानी फिल्में फिर से देखते हैं. इसलिए हम यह कह सकते हैं कि पोलैंड हिंदी फिल्मों को पसंद करता है, लेकिन सिर्फ उन्हीं फिल्मों को, जो 1990 और 2000 के दशक में बनी थीं.

Posted By : Sumit Kumar Verma

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel