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Kalratri Mata ki Aarti कालरात्रि देवी की पढ़ें ये आरती, मां की कृपा से बनेंगे हर बिगड़े काम

शारदीय नवरात्र के सातवें दिन कालरात्रि देवी के रूप में पूजा की जाती है. मां को नैवेद्य में गाय का घी, चावल का चिउड़ा, गुड़ अर्पण करें. माता रानी की कृपा से भक्त की जन्मपत्री के ग्रहों की बाधा, दुष्टों और शत्रुओं का नाश होता है. आकस्मिक विपत्ति दूर होने के साथ मां की कृपा से आप शोकमुक्त होंगे.

Shardiya Navratri 2023: माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति का नाम कालरात्रि Maa kaalratri है. नवरात्रि उपासना में 21 अक्टूबर शनिवार के दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा की जाएगी. जिनका रूप विकराल है, जिनकी आकृति और विग्रह कृष्ण कमल समान है और जो भयानक अट्टहास करनेवाली हैं, वे कालरात्रि देवी दुर्गा मंगल प्रदान करें. माता रानी के भक्तों को पवित्र मन से देवी की पूजा-उपासना करनी चाहिए. मां कालरात्रि की आराधना से सभी प्रकार के संकटों से रक्षा होती है. मां की इस आरती को जरूर पढ़ें, मां इससे प्रसन्न होंगी.जानें मां कालरात्रि की आरती..

मां कालरात्रि की आरती :

कालरात्रि जय जय महाकाली

काल के मुंह से बचाने वाली

दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा

महा चंडी तेरा अवतारा

पृथ्वी और आकाश पर सारा

महाकाली है तेरा पसारा

खंडा खप्पर रखने वाली

दुष्टों का लहू चखने वाली

कलकत्ता स्थान तुम्हारा

सब जगह देखूं तेरा नजारा

सभी देवता सब नर नारी

गावे स्तुति सभी तुम्हारी

रक्तदंता और अन्नपूर्णा

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना

ना कोई चिंता रहे ना बीमारी

ना कोई गम ना संकट भारी

उस पर कभी कष्ट ना आवे

महाकाली मां जिसे बचावे

तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह

कालरात्रि मां तेरी जय

कालरात्रि जय जय

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ऐसे करें देवी कालरात्रि की पूजा…

स्नान कर माता की पूजा शुरु करें

माता की मूर्ति को गंगा जल से स्नान करायें

वस्त्रादि पहनाकर मां को भोग लगाएं

माता को फूलों की मला अर्पण करें.

पूजा में मां को लाल रंग का पुष्‍प जरूर अर्पण करे.

गंगाजल छिड़कर घर के हर कोने को पवित्र करें

मंत्रोच्चार करते हुए व्रत का संकल्प पढ़ें

माता की कथा कर मां को प्रसन्न करें.

माता की आरती जरुर पढ़ें.

मां कालरात्रि का भव्य रूप :

मां कालरात्रि के शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है.सिर के बाल बिखरे हुए हैं. गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है. इनके तीन नेत्र हैं. ये तीनों नेत्र ब्रह्मांड की तरह गोल हैं. कालरात्रि अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं. यह काल से भी रक्षा करने वाली देवी हैं.माँ की नासिका के श्वास-प्रश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालाएँ निकलती रहती हैं. इनका वाहन गर्दभ (गदहा) है. ये ऊपर उठे हुए दाहिने हाथ की वरमुद्रा से सभी को वर प्रदान करती हैं. दाहिनी तरफ का नीचे वाला हाथ अभयमुद्रा में है. बाईं तरफ के ऊपर वाले हाथ में लोहे का काँटा तथा नीचे वाले हाथ में खड्ग (कटार) है. जितना इनका रूप भयंकर है उसके विपरित ये सदैव शुभ फल देने वाली मां हैं. इसीलिए इन्हे शुभंकरी कहा गया है. इसलिए इनसे भक्तों को किसी भी प्रकार से भयभीत ना होकर उनकी अराधना करके पुण्य का भागी बनना चाहिए.

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