Mehndi Design: मेहंदी लगाना आज के समय में किसी भी शादी विवाह समारोह या फिर कार्यक्रम में फैशन हो चला है. लोग बेहद शौक से इसे लगाते हैं. आज बाजार में एक बढ़कर एक मेहंदी डिजाइन मौजूद हैं. हालांकि ये मेहंदी कुछ ही दिनों बाद लोगों के हाथों से गायब हो जाता है. लेकिन आदिवासी महिलाएं एक ऐसी मेहंदी अपने हाथों में लगाती है जो उनके हाथ से कभी नहीं जाता. जिसे हम गोदना कहते हैं.
गोदने की परंपरा बेहद प्रचीन
आदिवासियों में गोदने की परंपरा बहुत प्राचीन है. यह प्रथा मानव समाज की काफी प्राचीन परंपरा है. इसे मानने के पीछे धार्मिक कारण होते हैं. अगर आप झारखंड के आदिवासियों से मिलेंगे तो आपको उनके शरीर में कुछ अलग प्रकार की कलाकृतियां नजर आएंगी. यह इन जनजातियों के लिए एक पहचान का चिह्न होता है.
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गोदना को आभूषण मानती है आदिवासी महिलाएं
गोदना का मतलब होता है सुई की नोक से त्वचा को खोदना. आदिवासी महिलाएं अपने शरीर पर अलग-अलग डिजाइन का गोदना बनवाती हैं और उसी से खुद को सजाती व संवारती है. वह इसे भी एक तरह का आभूषण मानती हैं. इन समुदाय के लोगों का यह मानना है कि जो भी सोने या चांदी के आभूषण वह पहनते हैं वह एक दिन गायब हो जायेगा. लेकिन जो वह अपने शरीर में गोदेंगे यह हमेशा उनके साथ रहेगा. यहां तक की जीवन के अंत तक. चूंकि आदिवासी समुदाय प्रकृति से जुड़ा रहता है इसलिए उनका जो श्रृंगार की साम्रग्री रहती है वह भी प्राकृति चीजों से ही बना हुआ होता है. यह देखने में इतना आकर्षक रहता है कि देखने वाले चौंक जाएंगे.
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