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International Mother Language Day 2025: देवी और रंजना झा ने अपनी मातृभाषा के महत्व पर दी गहरी सलाह, समाज में भाषा के प्रति सम्मान बढ़ाने की अपील की

International Mother Language Day 2025: भोजपुरी और मैथिली की लोक गायिकाओं ने अपनी मातृभाषा को सम्मान देने और संरक्षित करने की अपील की. देवी ने भोजपुरी को अपनी मां और हिंदी को मौसी बताया. जबकि, रंजना झा ने मैथिली की मिठास और उसकी सांस्कृतिक महत्वता को बताया. उन्होंने मातृभाषा में काम करने से समाज की प्रतिष्ठा बढ़ने की बात की.


International Mother Language Day 2025:
आज अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस है. यह दिवस हमें अपनी मातृ भाषा की अहमियत और संस्कृति को सम्मान देने का अवसर प्रदान करता है. मातृभाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं होती, बल्कि यह हमारे अनुभव, सोच, और संस्कारों का ज्वालामुखी होती है. भोजपुरी और मैथिली की लोक गायिकाओं ने अपनी मातृ भाषा को बचाने और उन्हें आगे बढ़ाने के लिए हमेशा काम करती आयी हैं. साथ ही, दूसरों को भी प्रेरित करती आयी हैं. वे लोगों से अपनी भाषा को सीखने और सम्मान देने की अपील करती हैं, ताकि यह धरोहर आने वाली पीढ़ियों तक पहुंच सके. मालूम हो कि मातृभाषा वह भाषा कहलाती है, जिसे बालक प्रथम बार मां से सुनता है. यह क्षेत्र विशेष की या क्षेत्रीय भाषा भी कही जाती है.

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भोजपुरी के सुंदरतम रूप को दुनिया के सामने प्रस्तुत करेंगे: देवी

भोजपुरी की लोकगायिका देवी (Devi) कहती हैं कि जिस परिवार में या परिवेश में उनका जन्म हुआ, वहां भोजपुरी (Bhojpuri) के साथ-साथ हिंदी भी बोली जाती थी. लेकिन, पहली मातृभाषा भोजपुरी है और दूसरी मातृभाषा हिंदी (Hindi) को माना. वह कहती हैं कि भोजपुरी मेरी मां है और हिंदी मेरी मौसी है. मनुष्य एक भावनात्मक प्राणी है. अपनी मातृभाषा से ज्यादा प्यारी कोई अन्य भाषा नहीं हो सकती. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि भोजपुरी के एक कवि लिखते हैं, ‘‘जे बोली में हंसनी खेलनी कहनी माई माई… उ बोली से सुंदर बोली कहवां खोजे जाई.’’

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हर भाषा केवल संवाद का माध्यम ही नहीं
देवी कहती हैं कि हर भाषा केवल संवाद का माध्यम ही नहीं है. सभी भाषा के पीछे एक विशिष्ट संस्कृति, लोक कला, संगीत, परंपरा, और रीति-रिवाज भी संरक्षित होते हैं. इसलिए, हर व्यक्ति को अपनी मातृभाषा को जीवित रखने के साथ-साथ उसका विकास करने हेतु प्रयास करना चाहिए. भोजपुरी में पहले भी बहुत कुछ उत्कृष्ट रचनाएं हुई हैं. हमें आगे भी भोजपुरी साहित्य, संगीत, और परंपरा को अच्छे तरीके से संवारे रखना चाहिए.

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कुछ लोग अभद्र लिखकर भोजपुरी की निंदा करा रहे
भिखारी ठाकुर और महेंद्र मिश्र ने भोजपुरी कला और संस्कृति को बहुत कुछ दिया है. जैसे हम अपनी मां को सम्मान देते हैं, उसी तरह हमें अपनी मातृभाषा भोजपुरी का भी सम्मान बढ़ाना चाहिए. कुछ लोग भोजपुरी में अभद्र गीतों को लिखकर या गाकर भोजपुरी की निंदा करवा रहे हैं. यह प्रवृत्ति ठीक नहीं है. आज मातृभाषा दिवस पर हम यह संकल्प ले सकते हैं कि हम भोजपुरी के सुंदरतम रूप को दुनिया के सामने प्रस्तुत करेंगे.

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अपनी मातृभाषा में ही बन सकते हैं शेक्सपियर: रंजना झा

रंजना झा (Ranjana Jha) का मातृभाषा मैथिली (Maithili) है. वह कहती हैं कि यह मीठी और गहरी भाषा है, जिसमें बुनियादी संस्कृति और भक्ति रस से लेकर श्रृंगार रस तक की रचनाएं समाहित हैं. महाकवि विद्यापति की रचनाएं मैथिली साहित्य के महान उदाहरण हैं. संस्कृत के बाद किसी भाषा का जन्म हुआ तो वह मैथिली है, और यह हमारे लिए गर्व की बात है. हम अपनी मां से जो पहली भाषा सुनते हैं, वही हमारी मातृभाषा होती है. वह कहती हैं कि अपने घर में बोलकर, गीत गाकर, और अपनी शिष्याओं को सिखाकर इसे संरक्षित कर रहे हैं.

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मातृभाषा से समाज की भी बढ़ेगी प्रतिष्ठा
रंजना झा ने बताया कि मातृभाषा हमारे लिए उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी हमारी मां. कहा जाता है कि हम अपनी मातृभाषा में ही शेक्सपियर बन सकते हैं, जबकि दूसरी भाषाओं में ऐसा संभव नहीं. अगर हम अपनी मातृभाषा में काम करें, तो न केवल अपनी पहचान बना सकते हैं, बल्कि समाज में इसकी प्रतिष्ठा भी बढ़ा सकते हैं. उन्होंने लोगों से अपील किया कि सभी अपनी मातृभाषा को आगे बढ़ाएं और आने वाली पीढ़ियों को भी इसे सिखाएं, क्योंकि यही हमारी संस्कृति और पहचान है.

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