Relationship Tips, Love Marriage vs Arranged Marriage : अक्सर लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि लव मैरेज ज्यादा बेहतर होता है या फिर अरेंज. कई लोग बेहतर सामंजस्य बनने की वजह से लव मैरेज को बेहतर मानते हैं, तो वहीं कई स्थायित्व की संभावना के कारण अरेंज मैरेज बेहतर बताते हैं. हालांकि एक्सपर्ट की मानें तो यह आपसी समझ और संवाद पर निर्भर करता है कि कौन सा बेहतर है. जहां तक समाज की स्वीकार्यता की बात है तो इसमें समय के साथ काफी बदलाव हुआ है. लेकिन ये बहस आज भी बरकारार है. आइए जानते हैं दोनों शादियों के फायदे, चुनौतियां और विशेषज्ञों की राय.
लव मैरेज के फायदे
आपसी समझ और अनुकूलता: लव मैरिज में कपल पहले से एक-दूसरे को जानते हैं, जिससे सामंजस्य बेहतर बनता है.
कम सामाजिक दबाव : दोनों पार्टनर अपने निर्णय से शादी करते हैं, इसलिए किसी तरह का पारिवारिक या सामाजिक दबाव देखने को नहीं मिलता.
स्पष्ट अपेक्षाएं : एक-दूसरे की पसंद, आदतें और सीमाएं पहले से पहले से जाना पहचाना होता है, जिससे बाद में गलतफहमी की गुंजाइश कम रहती है.
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प्रेम विवाह की चुनौतियां
परिवार की असहमति: कई बार सामाजिक या पारिवारिक मान्यताएं इस रिश्ते को स्वीकार नहीं कर पातीं.
कम धैर्य: आज के युवा भावनाओं में जल्द फैसला ले लेते हैं, जिससे संबंध में स्थायित्व की कमी हो सकती है.
ईगो क्लैश की संभावना अधिक: कई बार रिश्ता बराबरी का नहीं होता है. जिससे कभी-कभी ईगो क्लैश हो सकता है.
अरेंज मैरिज के फायदे
पारिवारिक सहयोग: अरेंज मैरिज दो परिवारों के आपसी समर्थन से होता है. जिससे पति पत्नी को सामाजिक और भावनात्मक सुरक्षा दोनों मिलता है. कई बार जब दोनों में किसी बात को लेकर विवाद हो जाए तो ऐसी स्थिति में परिवार वाले उसका समाधान निकालते हैं.
स्थायित्व की संभावना ज्यादा: अरेंज मैरेज में घर वाले सांस्कृतिक समानता और पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखकर ही रिश्ता तय करते हैं. जिससे दो परिवारों के बीच बेहतर संबंध देखने को मिलता है. जिससे पति-पत्नी के बीच का संबंध अधिक टिकाऊ होता है.
परिपक्वता से होता है रिश्ता शुरू: अरेंज मैरेज में कपल्स एक दूसरे को धीरे धीरे जानते हैं. इससे दोनों में आपसी समझ और धर्य बढ़ती है. जिससे यह रिश्ता अधिक परिपक्व होता है.
अरेंज मैरिज की चुनौतियां
समझने में समय लगता है: क्योंकि पार्टनर पहले से परिचित नहीं होते, रिश्ते में भावनात्मक गहराई विकसित होने में समय लग सकता है.
अप्रत्याशित व्यवहार: कभी-कभी पार्टनर की आदतें या सोच विवाह के बाद सामने आती हैं, जिससे टकराव हो सकता है.
प्रेम की कमी महसूस होना: एक दूसरे को न जाने पाने के कारण शुरुआत में प्रेम नहीं हो पाता है. इसके अलावा दोनों के भावनाओं में स्वाभाविकता नहीं होती.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि किसी भी विवाह की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि उसमें आपसी समझ, संवाद, सम्मान और धैर्य कितना है. विवाह कैसे हुआ, यह उतना मायने नहीं रखता. इस संबंध में रिलेशनशिप काउंसलर डॉ. सीमा वर्मा कहती है कि लव हो या अरेंज, शादी तभी सफल होती है, जब दोनों पार्टनर एक-दूसरे को समझने और निभाने के लिए तैयार हों.”