23.4 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Mahalaya 2022: महालया के दिन चोखू दान की परंपरा है बेहद खास, आज से मंगल कार्य शुरू

Navratri,Mahalaya 2022: आज यानी महालया के साथ ही रविवार को मां दुर्गा का आह्वान किया जाएगा. सभी देवी मंदिर में महिषासुर मर्दिनी के स्त्रोत गुंजना शुरू हो जाएगा. मान्यता है कि इसी दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती के लिए प्रस्थान करती हैं.

Navratri,Mahalaya 2022: महालया का मतलब ही नवरात्रि का आगाज होना होता है. आज 25 सितंबर को दिन में महालया लग रही है, आज श्राद्ध का आखरी दिन भी है. इसलिए इस दिन को काफी मायनों में खास माना जाता है. बताएं आपको कि 10 सितंबर से शुरू हुए पितृपक्ष 25 सितंबर को खत्म हो रहे हैं. श्राद्ध के इन 16 दिनों में श्रद्धा के साथ पितरों की पूजा और तर्पण किया जाता है. जिस दिन पितृपक्ष खत्म होते हैं उसी दिन महालया (Mahalaya 2022) होती है.

आज मां दुर्गा धरती के लिए करेंगी प्रस्थान

आज यानी महालया के साथ ही रविवार को मां दुर्गा का आह्वान किया जाएगा. सभी देवी मंदिर में महिषासुर मर्दिनी के स्त्रोत गुंजना शुरू हो जाएगा. मान्यता है कि इसी दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती के लिए प्रस्थान करती हैं और संध्या में माता पृथ्‍वी लोक आती हैं और पूरे नौ दिनों तक यहां रह कर धरतीवासियों पर अपनी कृपा बरसाती हैं.

चोखू दान की परंपरा क्या है?

बांग्ला परंपरा के अनुसार महालया पर चोखू दान की जाती है यानी इस दिन मूर्तिकार मां कि प्रतिमा पर पहली बार रंग चढ़ाते हैं. इसके साथ ही कलाकार इसी दिन मां के नेत्र को आकार देते हैं. ऐसे में यह समय काफी उत्साह और भावुक करने वाला भी होता है, क्योंकि एक मूर्तिकार अपनी कला से प्रतिमा को जीवंत रूप देने की शुरुआत करता है.

Also Read: Mahishasura Mardini Stotram: अयि गिरिनन्दिनि…यहां पढ़ें महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम
महालया का शुभ मुर्हूत क्या है?

इस बार महालया 25 सितंबर को है. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4:35 से शुरू होकर 5:23 बजे तक जबकि अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:48 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक है. गोधुली मुहूर्त के आने का समय शाम 6:02 बजे से शाम 6:26 बजे तक है और विजय मुहूर्त का समय दोपहर 2:13 बजे से 3:01 बजे तक है.

Also Read: Mahalaya 2022 Date: आज है महालया, यहां देखें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
सर्वपितृ आमावस्या क्या है?

महालया के दिन रविवार को सर्वपितृ आमावस्या यानी पितृपक्ष का अंतिम दिन होता है. इसलिए इस दिन नदियों, तालाब, घाट पर लोग अपने पूर्वजों को याद कर उन्हें तर्पण देते हैं. इस दिन नदी और घाटों पर सर्वाधिक भीड़ उमड़ती है. मााना जाता है कि ऐसा करने से पितरों की आत्‍मा को तृप्‍ती मिलती है और पितर खुशी-खुशी विदा हो जाते हैं. इस दिन के बाद मंगल कार्यों की शुरुआत हो जाती है.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel