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Tarkeshwar Temple: अचला संरचना और बंगाल शैली में बना है यह प्राचीन शिवालय, जानिए क्या है महत्व

Tarkeshwar Temple: पश्चिम बंगाल का तारकेश्वर मंदिर भगवान शिव का पवित्र धाम है. यहां श्रावण मास में बाबा के दर्शन करने भक्तों का तांता लगता है. तो आज हम आपको बताते हैं तारकेश्वर मंदिर के बारे में.

Tarkeshwar Temple: सावन के पवित्र महीने में सभी शिवालयों में भक्तों की भीड़ देखने को मिल रही है. यह महीना भगवान शिव के भक्तों के लिए खास होता है. सावन में सोमवार के दिन को अधिक शुभ माना जाता है. ऐसे में अगर आप सावन के सोमवार को परिवार के साथ देवाधिदेव महादेव की पूजा करने ऐतिहासिक शिवालयों में जाने का प्लान बना रहे हैं, तो तारकेश्वर मंदिर है आपके लिए खास.

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Sawan 2024: इस प्राचीन मंदिर में पूरी होती है भक्तों की मुराद

पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में स्थित तारकेश्वर मंदिर में सावन के दौरान भोलेनाथ की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर का इतिहास कई सौ साल पुराना है. इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की खोज भगवान शंकर के परम भक्त विष्णु दास ने की थी, जबकि मंदिर का निर्माण राजा भारमल्ला द्वारा 1729 में करवाया गया था. तारकेश्वर मंदिर की गिनती भारत के प्राचीन शिवालयों में की जाती है. अचला और बंगाल शैली में निर्मित इस मंदिर की वास्तुकला काफी अनोखी है, जिसे देखने लोग दूर-दूर से तारकेश्वर मंदिर पहुंचते हैं.

इस मंदिर में सालों भर भक्त आते-जाते रहते हैं, लेकिन सावन और महाशिवरात्रि के दौरान बाबा तारकनाथ पर जल चढ़ाने का विशेष महत्व है. मंदिर के समीप एक पवित्र कुंड मौजूद है, जिसे लोग दूधपुकर कुंड के नाम से जानते हैं. तारकेश्वर धाम आने वाले लोग दूधपुकर कुंड में मोक्ष पाने और अपनी इच्छा पूर्ति के लिए डुबकी लगाते हैं. यह प्राचीन मंदिर भारत के लोकप्रिय तीर्थ स्थलों में से एक है, जहां भगवान शंकर विराजमान हैं. मान्यता है कि इस मंदिर में मांगी गई मुराद भोलेनाथ जरूर पूरी करते हैं. यही कारण है तारकेश्वर मंदिर में लोग मोक्ष, ज्ञान, धन आदि भौतिकवादी वस्तुओं, मानसिक शांति और बीमारियों से मुक्ति की मनोकामना लेकर आते हैं. तारकेश्वर मंदिर हिंदू धर्म के लोगों के आस्था और विश्वास का केंद्र है.

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Sawan 2024: कैसे पहुंचे तारकेश्वर मंदिर तक

बंगाल के हुगली जिले में स्थित तारकेश्वर मंदिर भगवान शिव का एक पवित्र धाम है. यह मंदिर राजधानी कोलकाता से करीब 58 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. तारकेश्वर मंदिर आने के लिए आप हवाई जहाज, ट्रेन और निजी वाहन का उपयोग कर सकते हैं.

रेल मार्ग – तारकेश्वर मंदिर आने के लिए आप ट्रेन का उपयोग कर सकते हैं. इसके लिए सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन तारकेश्वर रेलवे स्टेशन है, जहां से मंदिर की दूरी महज 1 किलोमीटर है.

वायु मार्ग – आप हवाई मार्ग से भी तारकेश्वर मंदिर आ सकते हैं. इसके लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्डा नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट कोलकाता है. यहां से मंदिर की दूरी केवल 32 किलोमीटर है.

सड़क मार्ग – आप तारकेश्वर मंदिर आने के लिए सड़क मार्ग से बस, टैक्सी या ऑटो लेकर आ सकते हैं. हावड़ा, धर्मतला और चीनसुरा से मंदिर तक सीधी बसें आती है.

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Rupali Das
Rupali Das
नमस्कार! मैं रुपाली दास, एक समर्पित पत्रकार हूं. एक साल से अधिक समय से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर में कार्यरत हूं. यहां झारखंड राज्य से जुड़े महत्वपूर्ण सामाजिक, राजनीतिक और जन सरोकार के मुद्दों पर आधारित खबरें लिखती हूं. इससे पहले दूरदर्शन, हिंदुस्तान, द फॉलोअप सहित अन्य प्रतिष्ठित समाचार माध्यमों के साथ भी काम करने का अनुभव है.

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