Vidur Niti: विदूर नीति महाभारत के भीष्म पर्व में विदूर द्वारा युधिष्ठिर को दी गई उपदेशों का संग्रह है. इस नीति में जीवन के अलग-अलग पहलुओं पर गहरी बात बताई गई है, जिसमें रिश्तों की पहचान, पराये और अपने का अंतर और सही आचरण को समझाने के लिए विदूर ने कई महत्वपूर्ण बातें कही हैं. विदूर नीति के अनुसार, अपने और पराये की पहचान समय और परिस्थितियों पर निर्भर करती है. विदूर के अनुसार, जब किसी व्यक्ति को असली रूप में परखा जाता है, तो वह व्यक्ति के आचरण, वचन और कार्यों के आधार पर ही अपनी पहचान होती है.
- संकट के समय: विदूर के अनुसार, जब व्यक्ति संकट में फंसा हो, तब उसकी असली पहचान होती है. संकट की घड़ी में ही यह साफ होता है कि कौन व्यक्ति आपके साथ खड़ा है और कौन नहीं. असल में संकट का समय ही यह पहचानने का सबसे सही समय होता है कि कौन आपका अपना है और कौन पराया.
- स्वार्थी व्यवहार: पराये लोग अक्सर अपने स्वार्थ के लिए रिश्ते निभाते हैं. जब उनका स्वार्थ समाप्त होता है, तो वे किसी भी रिश्ते से मुंह मोड़ सकते हैं. जबकि अपने लोग स्वार्थ से परे होकर आपको संकट में भी समर्थन देते हैं और आपके सुख-दुःख में समान रूप से सहभागी होते हैं.
- सच्चाई और निष्ठा: विदूर के अनुसार, एक व्यक्ति का आचरण और उसकी निष्ठा यह तय करती है कि वह आपका अपना है या पराया. यदि कोई व्यक्ति सच्चाई और निष्ठा के साथ आपके साथ रहता है, तो वह आपका अपना है. पराये लोग अक्सर झूठ, धोखा और चालाकी का सहारा लेते हैं.
- समय और परिस्थितियां: जब समय बदलता है, तो व्यक्ति की सोच और कार्यशैली भी बदल सकती है. एक व्यक्ति जो किसी विशेष समय में आपका अपना लगता है, वही बाद में पराया हो सकता है. इसीलिए, विदूर नीति में समय की महत्ता को रेखांकित किया गया है, क्योंकि वक्त के साथ किसी की असलियत सामने आती है.
नोट: विदूर नीति के अनुसार, अपने और पराये की पहचान समय, संकट, निष्ठा और आचरण के आधार पर होती है. हमें अपने रिश्तों को पहचानने के लिए केवल सतर्क और सचेत रहना चाहिए, क्योंकि कभी भी किसी के असली चेहरे को सामने लाने के लिए परिस्थितियां बदल सकती हैं. प्रभात खबर इसका दावा नहीं करता है. यह जानकारी इंटरनेट से ली गई है.
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