Vidur Niti: महाभारत में विदुर वह प्रकाश हैं, जो सत्य, धर्म और विवेक की राह दिखाते हैं, दासीपुत्र होने के बावजूद उन्होंने अपने ज्ञान, नीतियों और धर्मपरायणता से हस्तिनापुर में एक अमिट स्थान बनाया. विदुर ने न कभी सत्ता से डर खाया, न ही संबंधों के कारण सच्चाई से समझौता किया. वे नीति के ज्ञाता ही नहीं, धर्म के सजग प्रहरी भी थे. विदुर नीति आज भी जीवन की कठिन परिस्थितियों में मार्गदर्शन करती है. वे सिखाते हैं कि जब चारों ओर अंधकार हो तब भी अगर विवेक और धर्म हमारे भीतर जीवित हों, तो हम सच्चा मार्ग चुन सकते हैं. इसके अलावा, विदुर नीति में बताया गया है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति और ऐश्वर्य पाने की लालसा रखता है उसे इन 6 दुर्गुणों का त्याग कर देना चाहिए.
- महात्मा विदुर के अनुसार, जो व्यक्ति अपने जीवन में उन्नति और ऐश्वर्य चाहता है, उसे नींद का त्याग करना चाहिए, क्योंकि केवल परिश्रम और जागरूकता से ही सफलता के शिखर तक पहुंचा जा सकता है.
- विदुर नीति के अनुसार, तंद्रा यानी थकान या ऊंघने की अवस्था में नहीं पड़ना चाहिए, क्योंकि यह मनुष्य की बुद्धि, कार्यक्षमता और आत्मविकास में बाधा बनती है. जिंदगी में सतर्क और जागरूक रहना ही सफलता का मार्ग है.
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- विदुर नीति के मुताबिक किसी चीज का डर आपको जिंदगी में आगे बढ़ने से रोकती है. ऐसे में व्यक्ति को डर कर कोई काम नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह व्यक्ति की काबिलियत को कम करने का काम करती है.
- कहा जाता है कि इंसान को गुस्सा नहीं करना चाहिए, क्योंकि गुस्से में इंसान सिर्फ अपना ही नुकसान करता है. विदुर नीति में बताया गया है कि उन्नति और ऐश्वर्य की प्राप्ति में इंसान का गुस्सैल स्वभाव बाधा पैदा करने का काम करती है.
- विदुर नीति में कहा गया है कि आलसी व्यक्ति न तो अपने लिए कुछ कर पाता है और न ही दूसरों के लिए उपयोगी बनता है. उसका जीवन निरर्थक हो जाता है, क्योंकि सफलता सदैव कर्मशील और जागरूक लोगों को ही मिलती है.
- विदुर नीति में के मुताबिक, जो काम जल्दी होने वाले होते हैं उस काम को करने में ज्यादा समय नहीं लगाना चाहिए. ऐसी स्थिति में व्यक्ति कभी उन्नति नहीं कर पाता है.
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