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Vidur Niti: महिलाओं की प्रशंसा करना भी है एक कला, जानें कब करनी चाहिए तारीफ

Vidur Niti: महात्मा विदुर ने अपनी नीति में महिलाओं की तारीफ करने की स्तिथि के बारे में बताया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि महिलाओं की तारीफ कब करनी चाहिए.

Vidur Niti: महाभारत महाकाव्य में अक्सर योद्धाओं की ही बात होती है. लेकिन एक पात्र ऐसे भी हैं, जिनकी प्रशंसा योद्धा होने के कारण नहीं बल्कि कुशल नीतिज्ञ होने के नाते की जाती है. ये पात्र कोई और नहीं पांडु और धृतराष्ट्र के सौतेले भाई महात्मा विदुर हैं. हालांकि, ये किसी रानी के पुत्र नहीं थे. ये एक दासी के पुत्र थे. वे महान ज्ञानी थे. इसलिए उन्हें हस्तिनापुर का प्रधानमंत्री बनाया गया था. धृतराष्ट्र और पितामह भीष्म किसी भी बात पर सलाह और मशवरा विदुर से ही लेते थे. उन्होंने महाभारत के समय जो नीति बताए थे, वह आज के समय विदुर नीति के नाम से जानी जाती है. जिसमें करीबन जिंदगी के हर पहलू पर नीतियां बताई गई है. इन नीतियों का अनुसरण करने वाला व्यक्ति जीवन में कभी असफल नहीं होता है. वह जीवन को अच्छी तरह से समझने माहिर हो जाता है. इसी तरह विदुर ने एक श्लोक में बताया था कि महिला और भोजन के साथ कुछ अन्य चीजों की तारीफ कब और किस स्थिति में करनी चाहिए.

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भोजन की कब करें तारीफ

विदुर नीति के मुताबिक, हर भोजन की तारीफ नहीं की जा सकती है, क्योंकि हर प्रकार का भोजन आसानी से पच जाए, संभव नहीं है. ऐसे में जो भोजन आसानी से पच जाए और उसे खाने के बाद किसी भी तरह की परेशानी न हो, तो ही भोजन की तारीफ करनी चाहिए.

योद्धाओं की कब करें तारीफ

विदुर नीति के अनुसार, कोई भी लड़ाई योद्धाओं के बिना नहीं जीती जाती हैं. ऐसे में युद्ध और लड़ाई जीतने के बाद ही योद्धाओं और जवानों की तारीफ करनी चाहिए. इससे जवानों का मनोबल बढ़ने के साथ उन्हें सम्मानित भी महसूस होता है.

तपस्वी और संतों की कब करें तारीफ

विदुर कहते हैं कि सभी संतों, तपस्वियों और संन्यासियों की तारीफ नहीं करनी चाहिए. जब संत और तपस्वी को ज्ञान की प्राप्ति हो जाए, तो ही तारीफ करनी चाहिए. ऐसे संन्यासियों की तारीफ करने में पीछे नहीं हटना चाहिए.

महिलाओं की कब करें तारीफ

महात्मा विदुर कहते हैं कि कुछ महिलाएं जवानी में गलत काम कर देती हैं, जिनके कारण उन पर दोष लग जाता है. ऐसे में जिस स्त्री पर जवानी में कोई दोष न लगा हुआ हो, वही महिला तारीफ के काबिल होती है. ऐसी महिलाओं की प्रशंसा करना जरूरी होता है.

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Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.

Shashank Baranwal
Shashank Baranwal
जीवन का ज्ञान इलाहाबाद विश्वविद्यालय से, पेशे का ज्ञान MCU, भोपाल से. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के नेशनल डेस्क पर कार्य कर रहा हूँ. राजनीति पढ़ने, देखने और समझने का सिलसिला जारी है. खेल और लाइफस्टाइल की खबरें लिखने में भी दिलचस्पी है.

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