Vidur Niti: महात्मा विदुर ज्ञानी होने के साथ कुशल राजनीतिज्ञ भी थे. उनकी नीतियां आचार्य चाणक्य की नीतियों जैसी ही लोकप्रिय हैं. आज के समय में भी विदुर नीति उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी महाभारत काल में थी. वह भले ही दासी पुत्र थे, लेकिन अपनी योग्यता से हस्तिनापुर का महामंत्री पद हासिल किया था. इस ग्रंथ में नीति, धर्म, अर्थ, शासन और निजी संबंधों से जुड़े जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गहरी बात की गई है, जो कि लोगों का मार्गदर्शन करने का काम करती है. उन्होंने व्यक्ति की अच्छी बुरी हर तरह की आदतों पर बात की है. उनका मानना है कि व्यक्ति की बुरी आदतें पतन की ओर ले जाती हैं. ऐसे में इन आदतों को जितनी जल्दी हो सके त्याग कर देना चाहिए.
यह भी पढ़ें- Vidur Niti: कम उम्र में ही हासिल कर लेंगे सफलता, याद रखें विदुर की बताई ये 3 बातें
यह भी पढ़ें- Vidur Niti: सुकूनभरी होती है इन 5 लोगों की जिंदगी, धरती पर ही भोगते हैं स्वर्ग का सुख
- विदुर नीति के अनुसार, लालच व्यक्ति को बर्बाद कर देता है. यह व्यक्ति की तरक्की कभी नहीं होने देता है. लालची स्वभाव वाले लोग कभी संतुष्ट नहीं होते हैं. यही वजह है कि ये लोग गलत मार्गों पर बढ़ जाते हैं, जो कि तबाह कर के ही छोड़ता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि लालच व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन होता है.
- महात्मा विदुर के मुताबिक, गुस्सा करने वाले व्यक्ति के जीवन में हमेशा कष्ट बना रहता है. गुस्से के कारण व्यक्ति का बना बनाया काम बिगड़ जाता है, क्योंकि गुस्से में व्यक्ति सही और गलत का निर्णय करने में सक्षम नहीं रहता है. ऐसे में व्यक्ति को जितनी जल्दी हो सके गुस्से का त्याग कर देना चाहिए.
- विदुर नीति में बताया गया है कि जिस व्यक्ति में त्याग की भावना न हो तो वह बहुत ही अहंकारी स्वभाव का होता है. अहंकार में व्यक्ति छोटे-बड़े का कद्र भूल जाता है. यही वजह है कि अहंकारी व्यक्ति हमेशा परेशान रहता है. उसे कभी आत्मिक सुख की अनुभूति नहीं होती है. ऐसे में व्यक्ति को अहंकार की भावना का जितनी जल्दी हो सके त्याग कर देना चाहिए.
यह भी पढ़ें- Vidur Niti: इंसान को पापी बनाती हैं ये तीन आदतें, नजरअंदाज करना पड़ सकता है भारी
Disclaimer: यह आर्टिकल सामान्य जानकारियों और मान्यताओं पर आधारित है. प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है.