What Is The Process of State Name Change: भारत में कई शहरों और राज्यों के नाम बदले जा चुके हैं, जैसे इलाहाबाद का नाम प्रयागराज, फैजाबाद का अयोध्या, और मुगलसराय का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय जंक्शन रखा गया है. इसी तरह कुछ राज्यों के नाम भी बदले गए हैं, जैसे उत्तरांचल का नाम उत्तराखंड, उड़ीसा का ओडिशा, और मद्रास का नाम चेन्नई हुआ. लेकिन क्या आप जानते हैं कि राज्य या शहर का नाम बदलने का अधिकार किसके पास है और यह प्रक्रिया कैसे होती है?
किसके पास है नाम बदलने का अधिकार?
भारत के संविधान के अनुच्छेद 3 के अनुसार, किसी भी राज्य का नाम बदलने का अधिकार संसद के पास होता है. यह अनुच्छेद राज्य के क्षेत्र या सीमाओं को बदलने की प्रक्रिया को निर्धारित करता है.
नाम बदलने की प्रक्रिया क्या है?
किसी राज्य का नाम बदलने के लिए एक लंबी और जटिल प्रक्रिया अपनानी पड़ती है. अगर केंद्र सरकार किसी राज्य का नाम बदलना चाहती है, तो सबसे पहले उस राज्य की विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया जाता है. इसके बाद यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास भेजा जाता है. यदि केंद्र सरकार इस पर सहमति देती है, तो नाम बदलने के लिए गृह मंत्रालय, भारतीय सर्वेक्षण, इंटेलिजेंस ब्यूरो, रजिस्ट्रार जनरल और डाक विभाग जैसे कई विभागों से एनओसी ली जाती है.
नाम बदलने के लिए कौन देता है इजाजत?
नाम बदलने के लिए एक ठोस वजह बतानी होती है. राज्य सरकार को इस प्रस्ताव के लिए केंद्रीय सरकार से मंजूरी लेनी पड़ती है. एक बार मंजूरी मिलने के बाद, नाम बदलने के लिए एक बिल तैयार किया जाता है, जिसे दोनों सदनों में पारित कराया जाता है. फिर राष्ट्रपति से इस बिल पर स्वीकृति ली जाती है. राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद ही राज्य के बदले हुए नाम का नोटिफिकेशन जारी किया जाता है. हालांकि, यह प्रक्रिया बहुत लंबी हो सकती है और इसमें कई महीने या साल भी लग सकते हैं.