25.6 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Video : उत्तराखंड में ‘सिंथेटिक चावल’ की गेंद से खेलते हैं बच्चे, सोशल मीडिया पर किसी ने मोदी सरकार को कोसा, किसी ने चिंता जतायी

नयी दिल्लीः उत्तराखंड के हल्द्वानी में सिंथेटिक चावल बिकने की खबर है. सोशल मीडिया पर बच्चों के सिंथेटिक चावल से गेंद बना कर खेलने की तसवीरें वायरल हुई हैं. एक समाचार एजेंसी ने इससे संबंधित खबर और फोटो को ट्वीट किया, तो सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गयी. कुछ लोगों ने उत्तराखंड और केंद्र की […]

नयी दिल्लीः उत्तराखंड के हल्द्वानी में सिंथेटिक चावल बिकने की खबर है. सोशल मीडिया पर बच्चों के सिंथेटिक चावल से गेंद बना कर खेलने की तसवीरें वायरल हुई हैं. एक समाचार एजेंसी ने इससे संबंधित खबर और फोटो को ट्वीट किया, तो सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गयी.

कुछ लोगों ने उत्तराखंड और केंद्र की सरकार की आलोचना की, तो कुछ लोगों ने इसे नये तरह का आतंकवाद करार दिया. एक व्यक्ति ने यह भी कहा कि चूंकि चावल में स्टार्च होता है, इसलिए इसे हाथों के बीच रख कर दबायेंगे, तो गेंद जैसा बन जायेगा. इसमें कुछ नया नहीं है. लेकिन, सच्चाई यह है कि यदि चावल की गेंद से कोई खेलना चाहे, तो यह गेंद एक मिनट भी नहीं टिकेगा.

बहरहाल, लोगों की टिप्पणियां देखिये.

राज कहते हैं कि कुछ दिनों में किसान बचेंगे ही नहीं, तो फिर यही खाना पड़ेगा. इसलिए लोगों को अभी से इसकी आदत डाल लेनी चाहिए.

डाॅ तपन के मोहंता कहते हैं कि यह भी एक तरह का आतंकवाद ही है. लोगों को जहरीला भोजन देकर मारा जा रहा है. वैकल्पिक धीमा जहर है यह.

रघुनाथ लिखते हैं, ‘अवसरवाद की पराकाष्ठा है यह. ऐसा काम करनेवालों को मृत्युदंड मिलना चाहिए.’

शोभा चांडला को लगता है कि यह सब मोदी सरकार को विफल साबित करने के लिए मुसलिम समुदाय के लोगों की चाल है. चांडला लिखती हैं कि यह सब सिर्फ भाजपा शासित प्रदेशों में ही क्यों हो रहा है? इस विषय में सबको गंभीरता से सोचना चाहिए और सरकार का साथ देना चाहिए.

वहीं, शाश्वत सवाल करते हैं, ‘राज्य सरकार किसकी? केंद्र सरकार किसकी? जिम्मेवारी किसकी बनती है? लोगों को इसके इस्तेमाल की अनुमति देने की जगह किसको कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए? आगे वह कहते हैं कि यह दुर्भाग्यपूूर्ण है. भारत सरकार ने इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाये हैं?

चंदम ने इस बहाने भारत में भ्रष्टाचार पर प्रहार किया. कहा कि अब पता चला कि भारत एशिया का सबसे भ्रष्ट देश क्यों है. वहीं, मोहित शुक्ला ने पूछा कि क्या यह मेक इन इंडिया है? यदि नहीं, तो भारत सरकार प्लास्टिक के चावल का आयात कैसे कर सकती है? इस क्षेत्र में यह सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है.

खाद्यान्न में गड़बड़ी की बात आयी, तो ताजिंदर बग्गा ने किसानों की दशा और दुर्दशा को बयां किया. कहा, ‘अच्छा है. आदत डाल लेनी चाहिए, क्योंकि जिस तरह से किसान आत्महत्या कर रहे हैं और जो आत्महत्या न करके अपना हक मांग रहे हैं, उन पर गोलियां चलायी जा रही हैं.’

फूलिश डंकी नामक ट्विटर हैंडल से मारवाड़ी, गुजराती और सिंधी व्यापारियों पर बड़ा हमला किया गया. कहा, ‘ये मारवाड़ी, गुजराती, सिंधी बिजनेसमैन कुछ भी कर सकते हैं भाई. पैसे के लिए.’

ध्रुब बसु ने गोरक्षा के साथ इस मुद्दे को जोड़ा. कहा, ‘गोमाता को शुद्ध चावल का भोजन कराओ और हमें सिंथेटिक चावल खिला कर मार डालो. निकम्मे राजनेता और व्यापारी – क्या हम जानवरों से भी गये बीते हैं?’

रामबली साहनी अपने गुस्से का इजहार इन शब्दों में करते हैं, ‘सरकार के अधिकारी आंख मूंद रखे हैं क्या? बिना सरकार की मिलीभगत के यह मार्केट में कैसे आया? अब तक दोषी कैसे बच रहा है?

https://www.youtube.com/watch?v=CLdIuqs4N04

सुधीर भाटिया को इस समाचार पर ही विश्वास नहीं है. वह कहते हैं, ‘न्यूज के लिए कुछ भी… यह एक स्पैम है.’ उन्होंने कहा कि प्लास्टिक तो चावल से बहुत महंगा है. जिस चावल में ज्यादा स्टाचर् होगा, उसे दबाने से वह गेंद का आकार ले ही लेगा. यह खबर पूरी तरह से बकवास है. सुमित अग्रवाल ने भी सुधीर जैसी ही बातें कीं. कहा कि चावल को दबायेंगे, तो यह गेंद जैसा दिखेगा. यह मीडिया हाइप है.

हबीब अंसारी और उन्हें मिले जवाब ने एक नयी तरह के बहस को जन्म दे दिया. हबीब अंसारी ने चुटकी ली, ‘पतंजली का उत्पाद…?’ इस पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने जवाब दिया, ‘नहीं, यह हमदर्द का उत्पाद है.’

एनडी वैद्य लिखते हैं, ‘स्वच्छ भारत अभियान को भूल जाओ. सारी सरकारी योजनाअों को भूल जाअो. सबसे पहले खाद्य बाजार में चीनी कंपनियों की घुसपैठ को रोको. प्राथमिकता के आधार पर’.

अजय सिंह ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया. कहा, ‘भारत की आयात एजेंसियां क्या कर रही हैं? प्रधानमंत्री जी कृपया हमें ऐसे खतरों से बचाइये.’

ट्विटर हैंडल ‘रेसनल ह्यूमन’ ने नरेंद्र मोदी सरकार के अच्छे दिन के वादे की खिल्ली उड़ाते हुए लिखा, ‘डिजिटल इंडिया में बहुत जल्द लोग डिजिटल भोजन भी करेंगे…. अच्छे दिन.’

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel