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पनामा के दस्तावेजों की जांच चल रही है, लेकिन पाक की मिसाल नहीं अपनायेगा भारत : जेटली

नयी दिल्ली : पनामा दस्तावेजों के भविष्य के बारे में पूछे गये प्रश्नों के संदर्भ में सरकार ने कहा कि इसमें खुलासा किये गये सारे खातों की जांच की जा रही है. लेकिन सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि बगैर उचित प्रक्रिया के किसी को भी दंडित नहीं किया जायेगा जैसा कि पाकिस्तान में […]

नयी दिल्ली : पनामा दस्तावेजों के भविष्य के बारे में पूछे गये प्रश्नों के संदर्भ में सरकार ने कहा कि इसमें खुलासा किये गये सारे खातों की जांच की जा रही है. लेकिन सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि बगैर उचित प्रक्रिया के किसी को भी दंडित नहीं किया जायेगा जैसा कि पाकिस्तान में हुआ जहां नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया गया.

बैंककारी विनियमन (संशोधन) विधेयक 2017 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्तमंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में कहा, यहां प्राप्त हुए विदेशी बैंक खातों के विवरणों पर जितनी इस सरकार ने कार्वाई की है उतनी किसी भी सरकार ने कभी नही की. वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया.

जेटली ने पनामा पेपर के खुलासे के बारे में कहा कि हर खातों की जांच की जा रही है. उन्होंने कहा, हमारे यहां कानून का शासन है. हमारे यहां पड़ोसी देश की तरह ढांचा नहीं जहां आप लोगों को पहले पद से हटा देते हैं और बाद में उस मामले की सुनवाई करते हैं. वह पाक प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की ओर संकेत कर रहे थे जिन्हें पनामा पेपर के खुलासे के बाद पिछले महीने पद से हटा दिया गया था.
इस घटना के संदर्भ में यहां इसी मामले पर जांच की स्थिति के बारे में सदन में सवाल उठाये गये थे. सरकार ने आज कहा कि देश में गैर.निष्पादक आस्तियों (एनपीए) के आंकड़े बढ़ रहे हैं जिनमें ज्यादातर रिण पुराने हैं और उनके ब्याज बढ़ने से एनपीए में और वृद्धि हो रही है.
वित्त मंत्री जेटली ने स्पष्ट किया कि बैंकों में गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के मामले पुराने हैं और आरबीआई ने ऐसे बड़े 12 मामलों को लिया है जिन्हें वे डूबता ऋण मानते हैं. पनामा मामले का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इससे जुड़े हर खाते की जांच की गयी है और हर मामले में संबंधित देशों के संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि फाइलें आती जा रही हैं और उनका मूल्यांकन किया जा रहा है.
वित्त मंत्री ने कहा कि इन एनपीए के साथ जूझना राजनीतिक विषय नहीं है. स्वभाविक है कि ये (एनपीए) 2014 से पहले के हैं. ये साल 2008-09 से 2012- 13 तक बढ़े जा रहे थे. किसी ने नहीं सोचा था कि 2008-09 में जिंसों का मूल्य गिर जायेगा, वैश्विवक अर्थव्यवस्था में मंदी आ जायेगी. वैश्विक मंदी का इस्पात पर भी असर पड़ा चीन से इस्पात आयात हो रहा था. हमने इस स्थिति को ठीक करने की पहल की और कई तरह की बचावकारी ड्यूटी और डंपिंग रोधी ड्यूटी लगायी.
उन्होंने कहा कि बिजली के क्षेत्र में भी चुनौती थी. राज्यों ने सस्ते दर पर बिजली बेची जिससे उनका वित्तीय भार बढ़ गया. अतिरिक्त बिजली के खरीदार नहीं मिल रहे थे. हमने ‘उदय ‘ योजना बनाई. राज्यों के सरकारी डिस्कॉम (बिजली वितरण कंपनियां) का हल ढूंढ़ने का प्रयास किया. वित्त मंत्री ने कहा, ‘ ‘जो अब बढ़ रहा है, वह सिर्फ ब्याज बढ़ रहा है. यह कोई नया कर्ज नहीं है. इसका हल करने का तरीका ढूंढ़ना है. उन्होंने कहा कि हम चूककर्ता पर पूरा पकड़ बनाना चाहते हैं और इसके लिए मौजूदा कानून में संशोधन किये गये हैं.
वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से बैंककारी विनियमन संशोधन विधेयक 2017 को मंजूरी दे दी. लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है. इसके साथ सदन ने कांग्रेस सदस्य टी सुब्बारामी रेड्डी द्वारा लाए गए एक संकल्प को ध्वनिमत से नामंजूर कर दिया. इस संकल्प में बैंककारी विनियमन संशोधन अध्यादेश को खारिज करने का प्रस्ताव किया गया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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