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मोदी ने किया ‘रोज डे’ को सपोर्ट, अब क्या करेंगे बजरंग दल वाले?

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि वे कालेजों में छात्रों द्वारा मनाये जाने वाले ‘रोज डे’ के विरोधी नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि हमें रोबोट नहीं बनाने हैं बल्कि रचनात्मक प्रतिभा को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि कालेजों में विभिन्न राज्यों के दिवस एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि वे कालेजों में छात्रों द्वारा मनाये जाने वाले ‘रोज डे’ के विरोधी नहीं है. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि हमें रोबोट नहीं बनाने हैं बल्कि रचनात्मक प्रतिभा को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा कि कालेजों में विभिन्न राज्यों के दिवस एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाना चाहिए. शिकागो में स्वामी विवेकानंद के भाषण की 125वीं वर्षगांठ पर दीनदायाल शोध संस्थान की ओर से आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कालेजों में कई तरह के डे मनाये जाते हैं. आज ‘रोज डे’ है, कल कुछ और डे है. कुछ लोगों के विचार इसके विरोधी हैं और ऐसे कुछ लोग यहां भी बैठे होंगे. लेकिन मैं इसका विरोधी नहीं हूं.

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मोदी ने कहा कि हमें रोबोट तैयार नहीं करने हैं, रचनात्मक प्रतिभा को आगे बढाना है. इसके लिये विश्वविद्यालय के कैम्पस से अधिक अच्छी कोई जगह नहीं हो सकती है. उल्लेखनीय है कि बजरंग दल समेत कुछ दक्षिणपंथी संगठन विश्वविद्यालय एवं कालेज परिसरों में मनाये जाने वाले ‘रोज डे’ जैसे दिवसों का विरोध करते हैं. वे ना सिर्फ विरोध करते हैं बल्कि लड़के-लड़कियों को पकड़कर उन्हें सजा भी देते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि लेकिन क्या हमने कभी यह विचार किया है कि हरियाण का कोई कालेज तमिल दिवस मनाये, पंजाब का कोई कालेज केरल दिवस मनाये. उन्हीं जैसा पहनावा पहने, भाषा के प्रयोग का प्रयास करे, हाथ से चावल खाये, उस क्षेत्र के खेल खेले.

उन्होंने कहा कि कालेज में छात्र तमिल फिल्म देंखे. वहां के कुछ छात्रों को आमंत्रित करें और उनसे संवाद बनायें. इस प्रकार से हम शैक्षणिक संस्थाओं में मनाये जाने वाले दिवस को सार्थक रूप में मना सकते हैं. एक भारत, श्रेष्ठ भारत को साकार कर सकते हैं. मोदी ने कहा कि जब तक हमारे मन में हर राज्य और हर भाषा के प्रति गौरव का भाव नहीं आयेगा तब तक अनेकता में एकता का भाव कैसे साकार होगा.

उन्होंने कहा कि हम कालेजों में सिख गुरुओं के बारे में चर्चा आयोजित कर सकते हैं, बता सकते हैं कि क्या क्या बलिदान दिया सिख गुरुओं ने. उन्होंने कहा कि रचनात्मकता के बिना जिंदगी की सार्थकता नहीं हो सकती. हमें अपनी रचनात्मकता के जरिये देश की ताकत बनना चाहिए, आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रयत्नशील होना चाहिए. प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने ज्ञान और कौशल को एक दूसरे से अलग किया था और आज पूरे विश्व में कौशल विकास को महत्व दिया जा रहा है. हमारी सरकार ने कौशल विकास को तवज्जो दी है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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