27.9 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

Aadhaar से हुआ खुलासा : देश के कई विश्वविद्यालयों में पढ़ा रहे 80 हजार फर्जी शिक्षक

नयी दिल्ली: शिक्षा और नैतिकता का अन्योनाश्रय संबंध है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हो, तो नैतिकता का मापदंड भी ऊंचा होता है. लेकिन, जब शिक्षा का स्तर कमतर हो जाये, तो नैतिकता का पतन स्वाभाविक है. फिर जब शिक्षक का नैतिक पतन होने लगे, तो शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त होना और समाज में अव्यवस्था और भ्रष्टाचार का […]

नयी दिल्ली: शिक्षा और नैतिकता का अन्योनाश्रय संबंध है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हो, तो नैतिकता का मापदंड भी ऊंचा होता है. लेकिन, जब शिक्षा का स्तर कमतर हो जाये, तो नैतिकता का पतन स्वाभाविक है. फिर जब शिक्षक का नैतिक पतन होने लगे, तो शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त होना और समाज में अव्यवस्था और भ्रष्टाचार का बढ़ना स्वाभाविक है. ‘आधार कार्ड’ के लागू होने के बाद से देश भर में 80 हजार शिक्षकों की पहचान हुई है, जो फर्जी तरीके से कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ा रहे हैं. हालांकि, किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय में ऐसे किसी भी शिक्षक की पहचान नहीं हुई है.

इसे भी पढ़ें :झारखंड हाईकोर्ट के तीन जजों ने ह्वाईट हाउस में ली शपथ

यह कहना है मानव संसधान विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का. जावड़ेकर ने एक कार्यक्रम में कहा कि कुछ ऐसे शिक्षक हैंसजो प्रॉक्सी तरीका अपनाकर, कई जगहों पर फुलटाइम पढ़ा रहे हैं. ‘आधार’ शुरू होने के बाद ऐसे 80 हजार शिक्षकों की पहचान हुई है. उनके खिलाफ कार्रवाई का विचार किया जायेगा. जावड़ेकर ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में तो ऐसे शिक्षक नहींपायेगये, लेकिन राज्य और निजी विश्वविद्यालयों में ऐसे शिक्षक हैं. उन्होंने बताया कि मंत्रालय ने सभी विश्वविद्यालयों से उनके यहां कार्यरत कर्मचारियों और छात्रों से आधार नंबर मांगने के लिए कहा है, ताकि कोई फर्जीवाड़ा न हो सके.

इस बीच, आधार कार्ड्स के डेटा लीक होने की बातें भी सामने आ रही हैं. इस बात का खुलासा अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में किया है. अखबार ने एक ऐसे एजेंट के बारे में पता लगाया है, जो सिर्फ 500 रुपये में करोड़ों लोगों के आधार की जानकारी दे रहा है.अखबार के एजेंट ने एक गुमनाम विक्रेता से व्हाट्सऐप के जरिये ऐसी सर्विस खरीदी, जिससे उसे देश के 100 करोड़ से अधिक आधार संख्या के बारे में जानकारी मिली. अखबार ने ये पैसे पेटीएम के जरिये एजेंट को दिये.

इसे भी पढ़ें : झारखंड : चार स्टील कंपनियों को लेने की टाटा ने जतायी इच्छा

अखबार की जांच में पाया गया कि रैकेट लगभग छह महीने पहले एक व्हाट्सऐप पर शुरू हुआ था. इन ग्रुप्स ने विलेज-लेवल एंटरप्राइज ऑपरेटरों को अपना टार्गेट बनाया, जो देश भर में कॉमन सर्विस सेंटर्स स्कीम (CSCS) के तहत आईटी मंत्रालय द्वारा हायर कियेगये थे. हालांकि, UIDAI ने इस बात का खंडन किया है. उसने कहा है कि लोगों की सारी जानकारी पूरी तरह सुरक्षित है.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel