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पीएम मोदी ने टीवी इंटरव्यू में कहा- भारत-पाक काफी लड़ चुके, अब हमें गरीबी और बीमारी से लड़ना चाहिए

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस धारणा को सिरे से खारिज किया कि भारत, पाकिस्तान को अलग थलग करने के लिये पूरा जोर लगा रहा है. उन्होंने जोर दिया कि उनका प्रयास आतंकवाद को परास्त करने के लिये दुनिया की ताकतों को एकजुट करने का है क्योंकि देश दशकों से इस बुराई से […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस धारणा को सिरे से खारिज किया कि भारत, पाकिस्तान को अलग थलग करने के लिये पूरा जोर लगा रहा है. उन्होंने जोर दिया कि उनका प्रयास आतंकवाद को परास्त करने के लिये दुनिया की ताकतों को एकजुट करने का है क्योंकि देश दशकों से इस बुराई से पीड़ित है.

एक अंग्रेजी समाचार चैनल को दिये साक्षात्कार में मोदी ने कहा कि यह धारणा गलत है कि देश की विदेश नीति पाकिस्तान पर आधारित है , लेकिन साथ ही जोर दिया कि आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखने वालों के खिलाफ दुनिया एकजुट है. उनकी टिप्पणी को पड़ोसी देश के संदर्भ में देखा जा रहा है.

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘अगर आप यह सोचते हैं कि हम एक देश को अलग थलग करने के लिये दुनिया में इतना कठिन परिश्रम कर रहे हैं, तब यह गलत है. यह हमारा काम नहीं है. हां, दुनिया आतंकवाद की बुराई का सामना कर रही है और जो भी आतंकवादियों के प्रति सहानुभूति रखते हैं, उनके खिलाफ दुनिया एकजुट हो रही है.

उन्होंने कहा कि भारत की विदेश नीति मुद्दों पर आधारित है और दुनिया के साथ संबंधों के संदर्भ में है. मोदी ने पूरी शिद्दत से आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाने के लिये अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रशंसा की. उन्होंने कहा, ‘मैं उनका स्वागत करता हूं और मैं उनका सम्मान करता हूं. जो भी आतंकवाद के खिलाफ कदम कोई कदम उठायेगा, मैं उसका स्वागत करूंगा, उनकी प्रशंसा करूंगा क्योंकि मेरा देश 40 वर्षो से आतंकवाद से पीड़ित है.

निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं. दुनिया में आतंकवाद के खत्मे की जरूरत है .’ पाकिस्तान के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने हमेशा ही कहा है कि भारत और पाकिस्तान काफी लड़ चुके हैं और अब हमें गरीबी और बीमारी से लड़ना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘मैं पाकिस्तान के लोगों से सीधे कहना चाहता हूं कि क्या हमें गरीबी से नहीं लड़ना चाहिए ? क्या हमें निरक्षरता से नहीं लड़ना चाहिए ? क्या हमें बीमारी ने नहीं लड़ना चाहिए. अगर हम इनसे साथ मिलकर लड़ेगे तब हम जल्दी जीतेंगे.

*पीएम मोदी ने राहुल और कांग्रेस कल्‍चर पर बोला हमला

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अंग्रेजी न्‍यूज चैनल को दिये इंटरव्यू में कई मुद्दों पर खुलकर अपनी बात रखी. प्रधानमंत्री ने राहुल गांधी और कांग्रेस पर हमला बोला और देश को कांग्रेस कल्‍चर से बाहर निकलने की बात कही.

बहरीन में राहुल गांधी के बयान पर नरेंद्र मोदी ने कहा, भारत के पासपोर्ट की आज जो ताकत है, शायद ही पहले किसी ने इतनी ताकत महसूस की गई होगी. दुनिया में जाकर अगर हम कुछ बोलते हैं तो देश की पहचान की बजाय बोलने वाले की पहचान ज्यादा हो जाती है.

मोदी ने राहुल गांधी को निराश व्‍यक्ति बताया और कहा, निराश लोगों को खुद अपनी निराशा दूर करनी चाहिए. आम लोगों को इस स्थिति में लाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. मोदी ने कहा, मैं राहुल की आलोचना कर समय खराब क्यों करूं. देश को तय करने दीजिए कि बाहर जाकर बोलने वाले लोग सही हैं या देश की छवि.

* कांग्रेस मुक्त का मतलब किसी पार्टी से नहीं है बल्कि एक कल्चर से : मोदी

कांग्रेस मुक्त भारत के नारे पर पीएम मोदी ने कहा, देश में राजनीति की मुख्यधारा कांग्रेस रही है. इसलिए सभी दलों में कल्चर कांग्रेस से आया है. कांग्रेस मुक्त का मतलब किसी पार्टी से नहीं है बल्कि एक कल्चर से है. आजादी के बाद कांग्रेस का जो कल्चर बदला है, वो सभी राजनीतिक दलों को खाने लगा है. जातिवाद, परिवारवाद, भ्रष्टाचार, धोखा जैसे गुण राजनीतिक कल्चर का हिस्सा बने हैं. इसकी मुख्यधारा कांग्रेस है. खुद कांग्रेस के नेता भी कहते हैं कि कांग्रेस एक सोच है. कांग्रेस मुक्त नारे का अर्थ राजनीतिक उठापटक से नहीं है बल्कि मैं चाहूंगा कि कांग्रेस खुद भी कांग्रेस मुक्त हो यानी उन बुराइयों से मुक्त हो, जो उसमें हैं.

* तीन तलाक पर क्‍या बोले मोदी

तीन तलाक के राज्यसभा में लटकने पर मोदी ने कहा, दल से बड़ा देश होता है. मैं मानता था कि राजीव गांधी के दौर की गलती से कांग्रेस सीखी होगी. वे नहीं समझे तो मन में पीड़ा होती है. क्या सत्ता की इतनी बड़ी भूख है कि आप निर्दोष मां-बहनों की जिंदगी बर्बाद होते देखते रहें. उन्हें भी अंदर से पीड़ा होती होगी, लेकिन शायद वोटबैंक के चलते वे मजबूर हैं.

* लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ कराने की वकालत की

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर विधानसभा और लोकसभा चुनाव साथ कराने की वकालत की. उन्‍होंने कहा, सभी चुनाव साथ कराने की बात करने वाला मैं पहला व्यक्ति नहीं हूं. हमें कुछ व्यवहारिक विषयों पर भी सोचना होगा. लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ होने से समय बचेगा और खर्च बचेगा. सुरक्षा बलों के लाखों लोग साल के तमाम दिन चुनाव में ही रहते हैं. विधानसभा और लोकसभा चुनाव के एक महीने के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव होने चाहिए. इसके अलावा किसी राज्य में सरकार गिरने पर बचे हुए समय के लिए ही इलेक्शन होना चाहिए.

Prabhat Khabar Digital Desk
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