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#Bhima-Koregaon : नवलखा के ट्रांजिट रिमांड आदेश की वैधता का परीक्षण करेगी अदालत

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को गिरफ्तार करने की महाराष्ट्र पुलिस की कार्रवाई और उन्हें पुणे की एक अदालत में पेश करने के लिए दिये गये ट्रांजिट रिमांड आदेश की कानूनी वैधता का परीक्षण करेगी. अदालत ने यह भी कहा कि अगर मामले […]

नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वह नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को गिरफ्तार करने की महाराष्ट्र पुलिस की कार्रवाई और उन्हें पुणे की एक अदालत में पेश करने के लिए दिये गये ट्रांजिट रिमांड आदेश की कानूनी वैधता का परीक्षण करेगी.

अदालत ने यह भी कहा कि अगर मामले में सभी गिरफ्तारियां वैध पायी गयीं, तो भी वह नवलखा की गिरफ्तारी को वैधता प्रदान नहीं करेगी. महाराष्ट्र पुलिस नवलखा को गिरफ्तार करना चाहती थी और उन्हें पिछले साल 31 दिसंबर को आयोजित ‘एल्गार परिषद’ कार्यक्रम को लेकर दर्ज प्राथमिकी के सिलसिले में पुणे ले जाना चाहती थी. उस कार्यक्रम के बाद कोरेगांव-भीमा गांव में हिंसा हुई थी. दलील के दौरान अदालत ने राज्य पुलिस से पूछा कि क्यों सारे दस्तावेज मराठी से अनुदित नहीं हुए और उन्हें अदालत और नवलखा या उनके वकीलों को क्यों नहीं सौंपा गया. न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि कैसे मजिस्ट्रेट अदालत ने बिना अनुदित दस्तावेजों के ट्रांजिट रिमांड आदेश जारी करने के लिये विवेक का इस्तेमाल किया.

अदालत ने महाराष्ट्र पुलिस से पूछा, ‘क्यों गिरफ्तारी के आधार बताने वाले दस्तावेज को मराठी से अनुदित नहीं कराया गया और नवलखा को नहीं दिया गया.’ अदालत ने जानना चाहा कि कब अदालत और नवलखा को सारे दस्तावेज प्रदान किये जायेंगे. अदालत ने कहा कि मामला व्यक्ति की स्वतंत्रता के सवाल से संबंधित है. उसने कहा कि उसे भी सभी दस्तावेजों की अनुदित प्रतियां नहीं प्रदान की गयी हैं. पीठ ने पूछा कि क्या यह अनिवार्य है कि महाराष्ट्र में हर आधिकारिक या कानूनी दस्तावेज मराठी में हो. महाराष्ट्र पुलिस ने पीठ से कहा कि वह नवलखा के वकीलों को सारे अनुदित दस्तावेज मुहैया करायेगी. इससे पहले दिन में अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल अमन लेखी ने अदालत को सूचित किया कि दस्तावेजों की अनुदित प्रतियां तैयार नहीं हैं.

अदालत नेमंगलवारको निर्देश दिया था कि उसके द्वारा मामले की सुनवाई किये जाने से पहले नवलखा को दिल्ली से बाहर न ले जाया जाये क्योंकि उनके खिलाफ आरोप, दस्तावेजों के मराठी में होने की वजह से स्पष्ट नहीं हैं. अदालत ने कहा था कि फिलहाल नवलखा को दिल्ली पुलिस की निगरानी में उनके आवास में ही रखा जाये और इस दौरान उन्हें सिर्फ अपने वकीलों से मिलने और बात करने की अनुमति होगी. कई शहरों में की गयी छापेमारी के बाद नवलखा को मंगलवारका गिरफ्तार किया गया था. उसके बाद साकेत जिला अदालत से उन्हें ट्रांजिट रिमांड पर पुणे ले जाने की अनुमति ली गयी. हालांकि, उच्च न्यायालय ने साकेत की अदालत के आदेश पर रोक लगा दी थी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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