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पीएम मोदी ने एक साल में दूसरी बार फहराया तिरंगा, गांधी-नेहरु परिवार पर किया अप्रत्‍यक्ष हमला

नयी दिल्ली : नेहरु-गांधी परिवार पर अप्रत्यक्ष हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि केवल एक परिवार को बाकी से ऊपर रखने के लिए स्वतंत्रता संघर्ष में सरदार वल्लभ भाई पटेल, भीम राव आंबेडकर और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं के योगदान को भुलाने के प्रयास किए गये. उन्होंने यह भी […]

नयी दिल्ली : नेहरु-गांधी परिवार पर अप्रत्यक्ष हमला बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि केवल एक परिवार को बाकी से ऊपर रखने के लिए स्वतंत्रता संघर्ष में सरदार वल्लभ भाई पटेल, भीम राव आंबेडकर और सुभाष चंद्र बोस जैसे नेताओं के योगदान को भुलाने के प्रयास किए गये.

उन्होंने यह भी कहा कि अब वक्त आ गया है कि भारतीय इन दिग्गजों की ओर से निभाई गई ऐतिहासिक भूमिका के बारे में जानें. बोस की ओर से 1943 में ‘आजाद हिंद सरकार’ के गठन की घोषणा के 75 साल पूरे होने के मौके पर लाल किला परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान ‘आजाद हिंद फौज’ की मशहूर टोपी लगाये हुये मोदी ने लाल किले में राष्ट्रीय ध्वज फहराया और एक पट्टिका का अनावरण किया.

परंपरागत तौर पर प्रधानमंत्री सिर्फ स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं. लाल किले की बैरक संख्या तीन में यह पट्टिका होगी जहां आजाद हिंद फौज के सदस्यों पर मुकदमा चलाया गया था. बैरक में एक संग्रहालय भी स्थापित किया जाएगा. मोदी ने अफसोस जताया कि आजादी के बाद भी भारत की नीतियां ब्रिटिश प्रणाली पर ही आधारित रहीं, क्योंकि ‘चीजों को ब्रिटिश चश्मे से देखा जाता था.

उन्होंने कहा, ‘इसके कारण नीतियों, खासकर शिक्षा से जुड़ी नीतियों, को नुकसान उठाना पड़ा. सुभाष बाबू को भारत के इतिहास और अपने समृद्ध मूल्यों पर हमेशा गर्व रहा. उन्होंने हमें सिखाया कि हर चीज को गैर-भारतीय चश्मे से नहीं देखना चाहिए.

मोदी ने कहा कि यदि भारत को पटेल एवं बोस का मार्गदर्शन मिलता तो चीजें बहुत बेहतर होतीं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार अब इन चीजों को बदल रही है. उन्होंने कहा, यह अनुचित है कि एक परिवार को महिमामंडित करने के लिए कई अन्य महान नेताओं के योगदान की जानबूझकर अनदेखी की गई.

वक्त आ गया है कि ज्यादा से ज्यादा भारतीयों को सरदार पटेल, बाबासाहेब आंबेडकर और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे दिग्गजों की ऐतिहासिक भूमिका के बारे में पता चले. मोदी ने कहा कि बोस ने पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भारत पर ध्यान दिया लेकिन बाद में दोनों क्षेत्रों को उचित मान्यता नहीं मिली, लेकिन अब उनकी सरकार पूर्वोत्तर को विकास का इंजन बनाने के लिए काम कर रही है.

बोस की राष्ट्रवाद की भावना को सराहते हुए मोदी ने कहा कि 16 साल के किशोर के रूप में वह ब्रिटिश शासन में भारत के कष्ट को देखकर दुखी थे. उन्होंने कहा, राष्ट्रवाद उनकी विचारधारा थी. उन्होंने राष्ट्रवाद को जिया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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