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राजस्थान विधानसभा चुनाव : असमंजस में हैं टोंक के मुसलमान, सचिन पायलट के मुकाबले भाजपा के कद्दावर नेता यूनुस खान मैदान में

टोंक से अंजनी कुमार सिंह टोंक विधानसभा क्षेत्र में इस बार अल्पसंख्यक किसे वोट दें, इसको लेकर असमंजस बरकरार है. उनके सामने धर्म संकट की स्थिति है. कई सवाल उठते हैं और टोंक के लोगों से उनके जवाब भी मिलते हैं. मसलन, मुसलमान यदि भाजपा प्रत्याशी और राज्य सरकार के मंत्री यूनुस खान को अपना […]

टोंक से अंजनी कुमार सिंह

टोंक विधानसभा क्षेत्र में इस बार अल्पसंख्यक किसे वोट दें, इसको लेकर असमंजस बरकरार है. उनके सामने धर्म संकट की स्थिति है. कई सवाल उठते हैं और टोंक के लोगों से उनके जवाब भी मिलते हैं.

मसलन, मुसलमान यदि भाजपा प्रत्याशी और राज्य सरकार के मंत्री यूनुस खान को अपना वोट नहीं देते हैं, तो यह संदेश जायेगा कि मुसलमान हमेशा भाजपा के खिलाफ रहते हैं, भले ही किसी को भी प्रत्याशी बनाया जाये. अगर, कांग्रेस को वोट नहीं देते हैं, तो उन पर सांप्रदायिकता के खिलाफ कांग्रेस के लड़ने की मुहिम को कमजोर करने का आरोप लग सकता है. ये सवाल-जवाब टोंक जनपद के घंटाघर पर खड़े सिर्फ फरीद मियां के नहीं हैं, बल्कि उस क्षेत्र के बहुत सारे मुसलमानों के मन में भी हैं.

फरीद कहते हैं, यदि सचिन पायलट हारते हैं, तो यह क्षेत्र एक संभावित भावी मुख्यमंत्री को खो देगा. मुसलमानों पर यह भी आरोप लग सकता है कि मुसलमान अपनी कौम के सामने किसी ईमानदार नेता को भी नहीं चुन सकते हैं. टोंक में चुनाव परिणाम जिसके भी पक्ष में जाये, लेकिन अल्पसंख्यकों में अब तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है. यही कारण है कि कांग्रेस की स्थिति मजबूत होने के बाद भी सचिन पायलट को इस क्षेत्र में ज्यादा समय देना पड़ रहा है. वहीं, भाजपा के लिए यह सीट राजनीतिक और प्रतीकात्मक रूप से सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है, जिसमें किसी प्रत्याशी की जीत या हार में फायदा भाजपा को ही होता दिख रहा है.

इलाके में 70 हजार मुस्लिम मतदाता, कई सालों तक कांग्रेस ने उतारे सिर्फ मुस्लिम प्रत्याशी

साल 1972 से लेकर 2013 तक टोंक से कांग्रेस केवल मुस्लिम प्रत्याशी ही उतारती रही है, लेकिन इस बार सचिन पायलट मैदान में हैं. वहीं, साल 1980 से लेकर 2013 तक भाजपा ने यहां केवल हिंदू प्रत्याशी ही उतारा है, लेकिन इस बार यूनुस खान मैदान में हैं. टोंक में सचिन पायलट के सजातीय गुर्जर मतदाताओं की संख्या करीब 45 हजार है, तो करीब 70 हजार मुस्लिम मतदाता हैं. इस सीट पर 80 हजार के आसपास एससी-एसटी मतदाता हैं, जिसमें मीणा समुदाय प्रमुख है. गुर्जर और मीणा एक-दूसरे के राजनीतिक विरोधी माने जाते हैं. ऐसे में सचिन पायलट के लिए यहां लड़ाई आसान नहीं दिख रही है. यूनुस खान के पुराने क्षेत्र डीडवाना से कई लोग यहां प्रचार की कमान संभाले हुए हैं.

खान ने अपने क्षेत्र में काफी काम किया है और भाजपा कार्यकर्ता उन्हें विकास पुरुष कहते हैं. टोंक की सियासत को हिंदू और मुसलमान के नजरिये से देखा जाता रहा है, लेकिन इस बार यह सांप्रदायिक नहीं, बल्कि जातिगत और प्रतीकात्मक बन गयी है. टोंक से आम आदमी पार्टी सहित कुछ निर्दलीय भी चुनाव लड़ रहे हैं, जिनके आरोप हैं कि भाजपा और कांग्रेस ने यहां के मुख्य मुद्दे को ही गौण कर दिया है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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