22.6 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

राजस्थान चुनाव : सचिन पायलट के खिलाफ भाजपा ने उतारा कद्दावर नेता, असमंजस में मतदाता

टोंक से अंजनी कुमार सिंह टोंक विधानसभा में इस बार अल्पसंख्यक किसे वोट दें, इसको लेकर असमंजस बरकरार है. उनके सामने धर्मसंकट की स्थिति है. कई सवाल उठते हैं और टोंक के लोगों से उनके जवाब भी मिलते हैं. मसलन, मुसलमान यदि भाजपा प्रत्याशी और राज्य सरकार के मंत्री यूनुस खान को अपना वोट नहीं […]

टोंक से अंजनी कुमार सिंह

टोंक विधानसभा में इस बार अल्पसंख्यक किसे वोट दें, इसको लेकर असमंजस बरकरार है. उनके सामने धर्मसंकट की स्थिति है. कई सवाल उठते हैं और टोंक के लोगों से उनके जवाब भी मिलते हैं. मसलन, मुसलमान यदि भाजपा प्रत्याशी और राज्य सरकार के मंत्री यूनुस खान को अपना वोट नहीं देते हैं, तो यह संदेश जायेगा कि मुसलमान हमेशा भाजपा के खिलाफ रहते हैं, भले ही किसी को भी प्रत्याशी बनाया जाये. अगर कांग्रेस को वोट नहीं देते हैं, तो उन पर सांप्रदायिकता के खिलाफ कांग्रेस के लड़ने की मुहिम को कमजोर करने का आरोप लग सकता है. ये सवाल-जवाब टोंक जनपद के घंटाघर पर खड़े सिर्फ फरीद मिआं के नहीं हैं, बल्कि उस क्षेत्र के बहुत सारे मुसलमानों के मन में भी हैं. मंसूर अली कहते हैं कि मुसलमानों के लिए एक मौका है कि वे पूरे देश में यह संदेश दें कि मुसलमान भाजपा विरोधी नहीं हैं.

फरीद कहते हैं, यदि सचिन पायलट हारते हैं, तो यह क्षेत्र एक संभावित भावी मुख्यमंत्री को खो देगा. मुसलमानों पर यह भी आरोप लग सकता है कि मुसलमान अपनी कौम के सामने किसी ईमानदार नेता को भी नहीं चुन सकते हैं. टोंक में चुनाव परिणाम जिसके भी पक्ष में जाये, लेकिन अल्पसंख्यकों में अब तक असमंजस की स्थिति बनी हुई है. यही कारण है कि कांग्रेस की स्थिति मजबूत होने के बाद भी सचिन पायलट को इस क्षेत्र में ज्यादा समय देना पड़ रहा है. वहीं भाजपा के लिए यह सीट राजनीतिक और प्रतीकात्मक रूप से सबसे ज्यादा फायदेमंद साबित हो रही है, जिसमें किसी प्रत्याशी की जीत या हार में फायदा भाजपा को ही होता दिख रहा है.

टोंक विधानसभा की जीत-हार का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले 46 सालों में कांग्रेस यहां अल्पसंख्यक उम्मीदवार ही उतारती रही है, तो 38 साल बाद पहली बार भाजपा ने यहां कोई अल्पसंख्यक उम्मीदवार उतारा है. साल 1972 से लेकर 2013 तक टोंक से कांग्रेस केवल मुस्लिम प्रत्याशी ही उतारती रही है, लेकिन इस बार सचिन पायलट मैदान में हैं. वहीं साल 1980 से लेकर 2013 तक भाजपा ने यहां केवल हिंदू प्रत्याशी ही उतारा है, लेकिन इस बार यूनुस खान मैदान में हैं. टोंक की सियासत को हिंदू और मुसलमान के नजरिये से देखा जाता रहा है, लेकिन इस बार यह सांप्रदायिक नहीं, बल्कि जातिगत और प्रतीकात्मक बन गयी है.

टोंक जाने के रास्ते में निवई विधानसभा है, जहां से पांच किलाेमीटर दूर वनस्थली विद्यापीठ है. वहां भी टोंक के चुनाव की चर्चा ज्यादा है. इस क्षेत्र को लोग वनस्थली विद्यापीठ के कारण भी जानते हैं. चुनाव की बात पूछने पर राम चौधरी कहते हैं, यहां आनेवाले वनस्थली विद्यापीठ के विषय में पूछते हैं. चुनाव की बात मत पूछिये. यह पूछिये कि यहां की नदी कैसे सूख गयी, आपको बीज मिल रहा है या नहीं, आपके रोजगार के साधन क्या हैं? उनके इन सवालों में सरकार के प्रति नाराजगी साफ दिख रही है. जमात, सहेत, बमोर, बहीर जैसे गांवों और कस्बों में भी कमोबेश ऐसी ही चर्चा जोरों पर है.

टोंक में सचिन पायलट के सजातीय गुर्जर मतदाताओं की संख्या करीब 45 हजार है, तो वहीं 70 हजार मुस्लिम मतदाता हैं. इस सीट पर 80 हजार के आसपास एससी-एसटी मतदाता हैं, जिसमें मीणा समुदाय प्रमुख है. गुर्जर और मीणा एक-दूसरे के राजनीतिक विरोधी माने जाते हैं. वहीं माली समुदाय के मतदाताओं की संख्या लगभग 30 हजार है. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसी समुदाय से आते हैं. ऐसे में सचिन पायलट के लिए यहां लड़ाई आसान नहीं दिख रही. यूनुस खान के पुराने क्षेत्र डीडवाना से कई लोग यहां प्रचार की कमान संभाले हुए हैं. खान ने अपने क्षेत्र में काफी काम किया है. महिलाओं की एक पूरी टीम यहां उनके प्रचार में काम कर रही है. भाजपा कार्यालय में चुनाव प्रचार संभाल रही माया माथुर, हंसराज गौर, सीमा प्रजापत, कमला मित्तल आदि का कहना है कि यूनुस खान विकास पुरुष हैं और वह भारी मतों से चुनाव जीतेंगे. वहीं कांग्रेस कार्यालय में रमेश बागड़ा और फौजु राम मीणा, जो ग्रामीण और शहरी क्षेत्र के इंचार्ज हैं, वे सचिन पायलट की जीत को लेकर आश्वस्त दिख रहे हैं. टोंक के एक-एक कस्बों पर नजर रखनेवाले प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सेक्रेटरी सचिन चौधरी बताते हैं- यहां किसी तरह का असमंजस नहीं है, कांग्रेस प्रत्याशी भारी बहुमत से जीत रहे हैं.

यहां से आम आदमी पार्टी सहित कुछ निर्दलीय भी चुनाव लड़ रहे हैं, जिनके आरोप हैं कि भाजपा और कांग्रेस ने यहां के मुख्य मुद्दे को ही गौण कर दिया है. यहां कम-से-कम रेलवे स्टेशन और रेल लाइन होने चाहिए. टोंक में ही राजस्थान का सबसे बड़ा जलाशय बीसलपुर डैम है, जहां से जयपुर की प्यास बुझती है, लेकिन टोंक के लोगों को पानी नहीं मिलता है. यहां की 80 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है, लेकिन किसानों को फसलों का सही मूल्य नहीं मिलता है. जिले में बीड़ी उद्योग भी रोजगार का प्रमुख साधन है, लेकिन लगातार बढ़ रहे टैक्स के कारण यह धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. आम आदमी पार्टी का एक कार्यकर्ता कहता है- क्षेत्र की समस्या पर दोनों दलों की चुप्पी को जनता समझ रही है और चुनाव के वक्त तीसरे प्रत्याशी के पक्ष में अपना फैसला सुनायेगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel