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लोक सभा चुनाव 2019 : मेवात में सरकार नहीं, राशन-पानी है पहली प्राथमिकता

घासेड़ा (मेवात) : सरकार कोई भी आये पर ‘गरीबन की कोई आवादारी (सुनवाई) नहीं है.’ यह कहना है, साइबर सिटी गुड़गांव से सटे हरियाणा के मेवात इलाके के घासेड़ा गांव में सड़क के किनारे एक दुकान पर अपना आधार कार्ड बनवा रही कुर्सीदन का, जिसे इस बात से मतलब नहीं है कि अगली सरकार किसकी […]

घासेड़ा (मेवात) : सरकार कोई भी आये पर ‘गरीबन की कोई आवादारी (सुनवाई) नहीं है.’ यह कहना है, साइबर सिटी गुड़गांव से सटे हरियाणा के मेवात इलाके के घासेड़ा गांव में सड़क के किनारे एक दुकान पर अपना आधार कार्ड बनवा रही कुर्सीदन का, जिसे इस बात से मतलब नहीं है कि अगली सरकार किसकी बनने वाली है. कुर्सीदन की समस्या राशन की दुकान पर उसे कोटे के हिसाब से अनाज नहीं मिलना है और डिजिटलीकरण के तमाम शोर के बावजूद उसकी इस समस्या का समाधान किसी के पास नहीं है.

हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों पर 12 मई को मतदान होना है. साइबर सिटी गुड़गांव से सटे और 1,507 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले मेवात क्षेत्र में पेयजल की भारी किल्लत और इलाके का पिछड़ापन इस बार लोकसभा चुनाव में मुख्य मुद्दे हैं. मेवात के गांवों में तो लोगों को हजार-हजार रुपये में टैंकर से पानी मंगाना पड़ता है. गुड़गांव से घासेड़ा गांव की दूरी करीब 40 किलोमीटर है.

कुर्सीदन (40) अनपढ़ है और उसके मुताबिक, भ्रष्टाचार इस देश की सबसे बड़ी समस्या है. उसने कहा, ‘राशन वाला अनाज 35 किलो देता है. लेकिन अंगूठा 45 किलो पर लगवाता है.’ कुर्सीदन के आरोप से सहमति जताते हुए मेवात विकास सभा के पूर्व प्रधान और समाजशास्त्री दीन मोहम्मद मामलिका बताते हैं, ‘डिजिटलीकरण तो हुआ है और इसके चलते केंद्र सरकार की ‘उज्ज्वला’, और ‘पेंशन’ जैसी योजनाओं की सब्सिडी सीधे गरीबों के खाते में जाती है, लेकिन सरकारी राशन के वितरण में जुड़े लोग इसका लाभ उचित तरीके से गरीबों तक नहीं पहुंचने देते.’

मामलिका बताते हैं, ‘राशन दुकान के मालिक डिजिटल सिस्टम को खराब कर ‘मैन्युअल’ तरीके से जब राशन का वितरण करते हैं, तो इस तरह की घपलेबाजी होती है. इलाके में यह समस्या आम है. इसका एक कारण यह भी है कि इलाके के लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं, सीधे हैं और उच्च अधिकारियों तक अपनी शिकायत पहुंचा नहीं पाते.’

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा के मेवात इलाके में 439 गांव हैं. मेवात को वर्ष 2005 में अलग जिले का दर्जा दिया गया था और साल 2018 में इसका नाम बदलकर नूंह जिला कर दिया गया. नूंह अब मेवात इलाके का जिला मुख्यालय है. गुड़गांव लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाले इस नूंह जिले में नूंह, पुन्हाना और फिरोजपुर झिरका विधानसभा क्षेत्र आते हैं.

नीति आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में नूंह को देश के सर्वाधिक पिछड़े 100 जिलों की सूची में सर्वाधिक पिछड़ा जिला घोषित किया था. यहां शिक्षा के राष्ट्रीय औसत 74.04 फीसदी के मुकाबले में शिक्षा दर 54.08 फीसदी है और उसमें भी बालिका शिक्षा का औसत 36.6 प्रतिशत और पुरुषों में 69.9 प्रतिशत है.

कुर्सीदन के साथ 30 साल की रेशमा भी पैन कार्ड बनवाने के लिए आयी हैं. हरियाणा कल्याण कर्मकार बोर्ड का कार्ड दिखाते हुए वह कहती हैं, ‘अभी सरकार ने कुछ समय पहले एलान किया था कि गरीबों को सिलाई मशीन मिलेगी. सरकार तो गरीबों को बहुत कुछ दे रही है पर, नीचे बैठे लोग गरीब तक फायदा पहुंचने नहीं देते. पैन कार्ड बनवाने के लिए भी रिश्वत देनी पड़ती है.’

नयी सरकार से अपनी उम्मीदों के बारे में कुर्सीदन कहती हैं, ‘चाहे कोई भी सरकार आये, बस…, हम गरीबन को भरपेट राशन मिल जाये.’ कांग्रेस ने गुड़गांव लोकसभा सीट से कैप्टन अजय यादव को और भाजपा ने मौजूदा सांसद राव इंद्रजीत सिंह को फिर से टिकट दिया है. कैप्टन अजय यादव छह बार विधानसभा सदस्य रह चुके हैं और पहली बार लोकसभा चुनाव में किस्मत आजमा रहे हैं.

गांव के सरपंच अशरफ हालांकि सार्वजनिक राशन वितरण योजना में किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार से पूरी तरह इन्कार करते हुए कहते हैं कि लोगों के शिक्षित नहीं होने के कारण कई समस्याएं हैं. इसी के चलते उनके राशन कार्डों में विसंगतियां हैं, जिन्हें दूर करने के प्रयास किये जा रहे हैं. एक बात और है कि कई बार दुकानों पर पीछे से ही राशन कम आता है. ऐसे में अगर किसी के घर में नौ लोगों का नाम राशनकार्ड में है, तो केवल पांच को ही मिल पाता है. हालांकि ऐसा कभी कभार ही होता है.

अशरफ बताते हैं, ‘कुछ लोगों ने राशन कार्डों में परिवार के पूरे सदस्यों के नाम ही नहीं चढ़वाये हैं. इस कारण भी उन्हें कम राशन मिलता है.’ पड़ोस के फिरोजपुर नमक, मालब, रायसीना और रहवासन समेत अनेक गांवों में पेयजल की भारी समस्या है. मालब गांव के 35 साल के हामिद हुसैन बताते हैं, ‘दस साल पहले रैनीवैल परियोजना शुरू हुई थी, लेकिन आज तक एक बूंद पानी भी नहीं आया. सरकारें आती रहीं, जाती रहीं, लेकिन पानी को लेकर कहीं कोई सुनवाई नहीं है.’

फोटो स्टूडियो चलाने वाले 25 वर्षीय सुखबीर ने बताया, ‘इलाके में सब गांव मेवों के हैं. इसलिए ज्यादातर लोग कांग्रेस को वोट देते हैं. लेकिन, मैं भाजपा को वोट दूंगा, क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार अच्छा काम कर रही है.’ हालांकि, सुखबीर कहता है कि उसने अपने गांव में कभी स्थानीय सांसद राव इंद्रजीत सिंह को नहीं देखा, जो पिछले तीन कार्यकाल से लोकसभा सदस्य हैं. वह अफसोस जताते हुए कहता है,‘सांसद इस इलाके की सुध लेते, तो मेवात पिछड़ा ही क्यों रहता.’

Prabhat Khabar Digital Desk
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