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”मन की बात”: बोले पीएम मोदी- पानी पारस का रूप, एक-एक बूंद बचाने के लिए करना चाहिए प्रयास

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव 2019 में मिली प्रचंड जीत के बाद पहली बार ‘मन की बात’ कार्यक्रम के तहत देश की जनता को संबोधितकिया. अपने संबोधन की शुरूआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि एक लंबे अंतराल के बाद आपके बीच ‘मन की बात’ लेकर आया हूं. जन-जन की बात, […]

नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव 2019 में मिली प्रचंड जीत के बाद पहली बार ‘मन की बात’ कार्यक्रम के तहत देश की जनता को संबोधितकिया. अपने संबोधन की शुरूआत करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि एक लंबे अंतराल के बाद आपके बीच ‘मन की बात’ लेकर आया हूं. जन-जन की बात, जन-मन की बात इसका हम सिलसिला जारी कर रहे हैं. चुनाव की आपाधापी में व्यस्तता तो ज्यादा थी लेकिन ‘मन की बात’ का मजा ही गायब था, मैं एक कमी महसूस कर रहा था. बीते समय में जब मन की बात कार्यक्रम नहीं हो रहा था तो रविवार को ऐसा लगता था कि कुछ छूट गया है.

उन्होंने आगे कहा कि जब मैं ‘मन की बात’ करता हूं तब, बोलता भले मैं हूं, शब्द शायद मेरे हैं, आवाज मेरी है, लेकिन कथा आपकी है, पुरुषार्थ आपका है, पराक्रम आपका है. मन की बात कार्यक्रम में जीवन्तता थी, अपनापन था, मन का लगाव था, दिलों का जुड़ाव था और इसके कारण, बीच का जो समय गया, वो समय बहुत कठिन लगा मुझे. प्रधानमंत्री ने कहा कि मन की बात में चिट्ठियां और संदेश बहुत आते हैं लेकिन शिकायत बहुत कम आती है. देश के करोड़ों लोगों की भावनाएं कितनी ऊंची हैं इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि देश के प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखने के बाद भी लोग अपने लिए कुछ नहीं मांगते.

पीएम मोदी ने कहा कि जब चुनाव से पहले मैंने कहा था कि चुनाव के बाद फिर ‘मन की बात’ में फिर मिलेंगे, तो लोग कहते थे मोदी को इतना भरोसा कैसे है ? यह भरोसा मेरा नहीं आप लोगों का था. दरअसल, मैं वापस आया नहीं हूं बल्कि आप लोगों ने मुझे वापस लाया है. उन्होंने कहा कि जब भारत में आपातकाल लगाया गया तो उसका विरोध सिर्फ राजनीतिक दायरे में ही नहीं किया गया, राजनेताओं तक सीमित नहीं रहा था, आंदोलन में सिमट नहीं गया था बल्कि जन-जन के दिल में एक आक्रोश था. खोए हुए लोकतंत्र की एक तड़प थी. आपातकाल में देश के हर नागरिक को लगने लगा था कि उसका कुछ छीन लिया गया था.

लोकतंत्र हमारे संस्कार, लोकतंत्र हमारी संस्कृति
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि भारत गर्व के साथ कह सकता है कि हमारे लिए कानून नियमों से परे लोकतंत्र हमारे संस्कार हैं, लोकतंत्र हमारी संस्कृति है, लोकतंत्र हमारी विरासत है और उस विरासत को लेकर हम पले-बढे़ हैं और आगे बढ रहे हैं. उन्होंने कहा कि आपाताकाल में हमने अनुभव किया था और इसीलिए देश अपने लिए नहीं एक पूरा चुनाव अपने हित के लिए नहीं, लोकतंत्र की रक्षा के लिए आहुत कर चुका था. लोकसभा चुनाव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में, 2019 के लोकसभा चुनाव में 621 करोड़ से ज्यादा लोगों ने वोट दिया. यह संख्या हमें बहुत सामान्य लग सकती है लेकिन अगर दुनिया के हिसाब से कहूं तो चीन को छोड़ दें तो दुनिया के कई देशों की आबादी से ज्यादा लोगों ने भारत में मतदान किया.लोकसभा चुनाव अब तक के इतिहास में दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव था जिसमें लाखों शिक्षकों, अधिकारियों और कर्मचारियों ने दिन-रात मेहनत की और यह संभव हो सका है.

पानी बचाने के लिए एकजुट होने का आह्वान

पानी की महत्ता का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि पानी पारस का रूप होता है. पानी की एक-एक बूंद को बचाने के लिए हमे प्रयास करना चाहिए. फिल्म जगत, मीडिया, कथा-कीर्तन करने वाले लोग सभी अपने-अपने तरीके से पानी को बचाने के लिए अभियान चलाने का काम करें. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में पानी को बचाने के लिए सभी से एकजुट होने का आह्वान किया.कार्यक्रम में उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों में जल संरक्षण के लिए किये जा रहे प्रयासों की सराहना की.

Prabhat Khabar Digital Desk
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