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मुहर्रम से पहले जम्मू कश्मीर के राज्यपाल ने कर्बला के शहीदों को श्रद्धांजलि दी, पाबंदियां हटायी गयी

जम्मू : मुहर्रम की पूर्व संध्या पर जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सोमवार को करबला में शहादत देने वाले हजरत इमाम हुसैन एवं अन्य शहीदों की कुर्बानी को श्रद्धांजलि दी. राज्यपाल ने हजरत इमाम हुसैन और 72 शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘‘उनकी शहादत मानवजाति को मानव गरिमा एवं नैतिकता के उच्च […]

जम्मू : मुहर्रम की पूर्व संध्या पर जम्मू कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सोमवार को करबला में शहादत देने वाले हजरत इमाम हुसैन एवं अन्य शहीदों की कुर्बानी को श्रद्धांजलि दी. राज्यपाल ने हजरत इमाम हुसैन और 72 शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा, ‘‘उनकी शहादत मानवजाति को मानव गरिमा एवं नैतिकता के उच्च सिद्धांतों की याद दिलाती है.’ उन्होंने कहा कि इमाम हुसैन और उनके साथियों ने सत्य, न्याय और धर्म के उच्च मूल्यों को बनाये रखने के लिए अपना जीवन कुर्बान किया. राज्यपाल ने जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख में शांति, सौहार्द एवं सामान्य स्थिति बहाल होने की प्रार्थना की. मुहर्रम को इस्लामिक चंद्र कैलेंडर में पवित्र महीनों में से एक माना जाता है. सातवीं सदी में करबला की लड़ाई में पैगंबर के पोते हजरत इमाम हुसैन ने शहादत दी थी.

इधर खबर है कि कश्मीर में श्रीनगर के कुछ हिस्सों को छोड़कर सोमवार को यहां के अधिकतर इलाकों से पाबंदियां हटा ली गयीं, जबकि अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाये जाने के बाद से घाटी में मौजूद गतिरोध 36वें दिन भी जारी रहा क्योंकि स्कूल बंद रहे और सार्वजनिक परिवहन भी सड़कों पर नहीं दिखे. अधिकारियों ने यह जानकारी दी. अधिकारियों ने बताया कि घाटी के अधिकतर इलाकों से पाबंदियां हटा ली गयीं, लेकिन श्रीनगर के अंदरूनी इलाकों और शहर के मैसुमा थाना अंतर्गत क्षेत्रों समेत कुछ हिस्सों में यह अब भी जारी है.उन्होंने बताया कि लाल चौक और आस-पास के इलाकों के व्यावसायिक केंद्र से अवरोधकों को हटा लिया गया है.एक दिन पहले ही वहां के सभी प्रवेश स्थानों पर कंटीली तारें लगायी गयी थीं.

अधिकारियों ने बताया हालांकि कानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए सुरक्षा बल तैनात रहेंगे. मुहर्रम के आठवें दिन शहर में कहीं भी किसी भी तरह के जुलूस के आयोजन को रोकने के लिए रविवार को घाटी के अधिकतर हिस्सों में कई पाबंदियां फिर से लगा दी गयी थीं. मुहर्रम के आठवें और 10वें दिन किसी भी तरह के जुलूस के आयोजन को रोकने के लिए घाटी के अधिकतर हिस्सों में लोगों की गतिविधियों पर रोक रहती है. संविधान के अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों के हटाये जाने और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों में विभाजित करने के केंद्र के फैसले के बाद सबसे पहले पांच अगस्त को समूचे कश्मीर में पाबंदियां लगायी गयी थीं.

समय के साथ स्थिति में सुधार होते देख घाटी के कई हिस्सों से चरणबद्ध तरीके से पाबंदियां हटा ली गयीं. हालांकि हर शुक्रवार को बड़ी मस्जिदों और इबादत स्थलों पर बड़े तादाद में लोगों के इकट्ठा होने से प्रदर्शन के भड़कने की आशंका को देखते हुए अधिकारी संवेदनशील क्षेत्रों में प्रतिबंध लगाते रहे हैं. बीते एक महीने से अब तक किसी भी बड़ी मस्जिद या इबादत स्थल पर जुमे की नमाज की इजाजत नहीं है.इस बीच सोमवार को 36वें दिन भी बंद की वजह से कश्मीर में जनजीवन प्रभावित रहा.अधिकारियों ने बताया कि बाजार और अन्य कारोबारी प्रतिष्ठान बंद रहे जबकि सार्वजनिक परिवहन भी सड़कों पर नहीं दिखे.

बच्चों को स्कूलों तक लाने के राज्य सरकार के प्रयास का कोई नतीजा नहीं निकल पा रहा है क्योंकि बच्चों की सुरक्षा की आशंका को देखते हुए अभिभावक उन्हें घरों में ही रख रहे हैं.अधिकारियों ने बताया कि सरकारी दफ्तर खुले हैं लेकिन सार्वजनिक परिवहन की कमी के कारण दफ्तरों में कर्मचारियों की उपस्थिति कम है.उन्होंने बताया कि जिला मुख्यालय के कार्यालयों में उपस्थिति सामान्य दर्ज की गयी है.समूची घाटी में लैंडलाइन टेलीफोन सेवा बहाल कर दी गयी है हालांकि मोबाइल एवं इंटरनेट सेवा पांच अगस्त से ही बंद है.शीर्ष एवं प्रमुख अलगाववादी नेताओं को हिरासत में रखा गया है जबकि पूर्व मुख्यमंत्रियों फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती समेत मुख्यधारा के नेताओं को या तो हिरासत में रखा गया है या उन्हें नजरबंद रखा गया है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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