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शेहला रशीद ने छोड़ी चुनावी राजनीति, जम्मू-कश्मीर में बीडीसी इलेक्शन किया विरोध

नयी दिल्ली : मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश करने के छह महीने बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद ने कश्मीर में चुनावी राजनीति छोड़ने की बुधवार को घोषणा की. इसके साथ ही, उन्होंने जम्मू-कश्मीर में बीडीसी चुनाव कराने के कदम का विरोध किया. उन्होंने कहा कि वह लोगों के […]

नयी दिल्ली : मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश करने के छह महीने बाद जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की पूर्व छात्र नेता शेहला रशीद ने कश्मीर में चुनावी राजनीति छोड़ने की बुधवार को घोषणा की. इसके साथ ही, उन्होंने जम्मू-कश्मीर में बीडीसी चुनाव कराने के कदम का विरोध किया. उन्होंने कहा कि वह लोगों के दमन को वैध ठहराने वाला एक पक्ष नहीं बन सकतीं. जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में 2016 में कथित राष्ट्रविरोधी नारों से उत्पन्न विवाद के बाद सुर्खियों में आयीं रशीद इस साल के शुरू में पूर्व आईएएस अधिकारी शाह फैसल द्वारा गठित पार्टी जम्मू एंड कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट में शामिल हुई थीं.

जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष ने एक बयान में कहा कि वह इस महीने के अंत में जम्मू-कश्मीर में खंड विकास परिषद (बीडीसी) के चुनाव कराने के केंद्र सरकार के कदम की वजह से कश्मीर में चुनावी मुख्य धारा से खुद को अलग करने को विवश हैं. रशीद ने बीडीसी चुनावों को दिखावे की चुनावी कवायद करार दिया. उन्होंने एक बयान में कहा कि मैं अपने लोगों के बर्बर दमन को वैध ठहराने की कवायद में पक्ष नहीं बन सकती. इसलिए मैं कश्मीर में चुनावी मुख्यधारा से अलग होना चाहूंगी.

रशीद ने कहा कि मैं कार्यकर्ता बनी रहूंगी और सभी मोर्चों पर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना जारी रखूंगी, जिसमें किसी समझौते की जरूरत न हो. मैं राज्य का विशेष दर्जा बहाल करने और राज्य को दो हिस्सों में बांटे जाने के फैसले को पलटने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपने प्रयास जारी रखूंगी. उन्होंने कहा कि वह राजनीति में इसलिए आयी थीं, क्योंकि उन्हें लगता था कि इससे न्याय और सुशासन उपलब्ध कराना तथा जम्मू कश्मीर के लोगों की इच्छाओं के अनुरूप कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए काम करना संभव होगा.

रशीद ने दावा किया कि राज्य में राजनीतिक नेताओं को केवल राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर चुनाव लड़ने को विवश किया जा रहा है और अनुच्छेद 370 को हटाने तथा राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट देने के मुद्दे पर चुप रहने को कहा जा रहा है. उन्होंने कहा कि यह साफ है कि कश्मीर में किसी राजनीतिक गतिविधि में भागीदारी के लिए समझौते की जरूरत है. रशीद ने मुख्यधारा की राजनीति छोड़ने की घोषणा उस दिन की है, जब कांग्रेस ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर में बीडीसी चुनाव नहीं लड़ेगी. कश्मीर घाटी में तैनात सशस्त्र बलों के खिलाफ ट्वीट करने पर रशीद के खिलाफ पिछले महीने राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.

Prabhat Khabar Digital Desk
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