28.7 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- देश कठिन दौर से गुजर रहा, CAA पर तत्काल सुनवाई से किया इनकार

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने संशोधित नागरिकता कानून को संवैधानिक घोषित करने के लिए दायर याचिका पर शीघ्र सुनवाई से इनकार करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इस समय देश कठिन दौर से गुजर रहा है और बहुत अधिक हिंसा हो रही है, इसलिए हमारा प्रयास शांति के लिए होना चाहिए. प्रधान न्यायाधीश एसए […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने संशोधित नागरिकता कानून को संवैधानिक घोषित करने के लिए दायर याचिका पर शीघ्र सुनवाई से इनकार करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि इस समय देश कठिन दौर से गुजर रहा है और बहुत अधिक हिंसा हो रही है, इसलिए हमारा प्रयास शांति के लिए होना चाहिए.

प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की पीठ ने याचिका पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि पहली बार कोई किसी कानून को संवैधानिक घोषित करने का अनुरोध कर रहा है. पीठ ने कहा कि वह हिंसा थमने के बाद ही सीएए की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, इस समय बहुत अधिक हिंसा हो रही है. देश कठिन दौर से गुजर रहा है और हमारा प्रयास शांति का होना चाहिए. इस न्यायालय का काम कानून की वैधता निर्धारित करना है, ना कि उसे संवैधानिक घोषित करना. न्यायालय ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब अधिवक्ता विनीत ढांडा ने नागरिकता संशोधन कानून को संवैधानिक घोषित करने और सभी राज्यों को इस कानून पर अमल करने का निर्देश देने के लिए दायर याचिका सुनवाई के लिए शीघ्र सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया.

उन्होंने कहा कि सिर्फ न्यायालय ही मौजूदा स्थिति पर स्पष्टीकरण में मदद कर सकता है और भ्रमित किये जा रहे देश के ‘दिग्भ्रमित’ नागरिकों को राह दिखा सकता है. हालांकि, जब पीठ उनकी बात से सहमत नहीं दिखी तो याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रही अधिवक्ता पुनीत कौर ढांडा ने समान मामलों में हस्तक्षेप की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस ले ली. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, कुछ दलीलों के बाद, याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ने न्यायालय के समक्ष लंबित समान मामलों से जुड़ी याचिकाओं में हस्तक्षेप करने के अधिकार के तहत अपनी याचिका वापस लेने की प्रार्थना की है. ऐसे में उक्त स्वतंत्रता के तहत याचिका वापस लिये जाने के साथ ही रिट याचिका खरिज की जाती है.

याचिका में अफवाहें फैलाने के लिए कार्यकर्ताओं, छात्रों और मीडिया घरानों के खिलाफ कार्रवाई करने का भी अनुरोध किया गया था. याचिका में कहा गया था कि विधेयक के पारित होकर कानून बनने के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों से ताल्लुक रखने वाले नेताओं ने देश भर में लोगों को भ्रमित करना और अफवाहें फैलाना शुरू कर दिया. इसके कारण अब देश भर के मुसलमान समुदाय में आतंक और डर का माहौल पैदा हो गया है. उसमें कहा गया है, सत्ता से बाहर बैठे विभिन्न दलों के नेताओं ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों के अल्पसंख्यकों से जुड़ा संशोधित नागरिकता कानून, 2019 बनाने वाली सरकार के खिलाफ साजिश किया.

शीर्ष अदालत 18 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता की विवेचना के लिये तैयार हो गया था, लेकिन उसने इसके अमल पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. नागरिकता संशोधन कानून, 2019 में 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आये हिंदू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध समुदाय के सदस्यों को भारत की नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है. शीर्ष अदालत ने इस कानून को चुनौती देने वाली 59 याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था और इसे जनवरी के दूसरे सप्ताह में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया था.

शीर्ष अदालत में नागरिकता संशोधन कानून की वैधता को चुनौती देने वालों में कांग्रेस के जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा, राजद नेता मनोज झा, एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, पीस पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी, गैर सरकारी संगठन ‘रिहाई मंच’ और ‘सिटीजंस अगेन्स्ट हेट’, अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा और कानून के छात्र शामिल हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel