इंफाल : मणिपुर की चर्चित नागरिक अधिकार कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला एक बार गिरफ्तार कर ली गयीं हैं. पुलिस का कहना है कि उन्होंने आत्महत्या की कोशिश की, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया है. उक्त जानकारी मणिपुर के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक संतोष मछेरला ने दी.गौरतलब है कि बुधवार को उन्हें जेल से रिहा किया गया था.
सामाजिक कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला को आज पुलिस एक सरकारी अस्पताल के बाहर बनाए गए छोटे अस्थायी आश्रय स्थल से जबरन ले गई. बुधवार को जेल से छूटने के बाद शर्मिला यहां अपना अनशन जारी कर रही थीं. सूत्रों ने कहा कि 42 वर्षीय शर्मिला द्वारा कुछ खाने या पीने से इंकार किए जाने के बाद उन्हें चिकित्सीय जांच के लिए ले जाया जा रहा था.
एक अस्थायी कारागार से छूटने के बाद, सैंकडों महिलाओं और सामाजिक संगठनों का समर्थन रखने वाली शर्मिला जे एन सरकारी अस्पताल के अस्थायी कारागार से मुक्त होकर निकली थीं. वहां एक कमरे को उनके लिए जेल के रुप में तैयार किया गया था. इसके कुछ ही समय बाद उन्होंने अस्पताल के निकट एक स्थान पर अपना अनशन शुरु कर दिया.
शर्मिला ने कहा, ‘‘मैं अपनी (आफस्पा हटाने की) मांग पूरी हो जाने तक अनशन जारी रखूंगी. सत्र अदालत का यह आदेश स्वागत योग्य है कि (एक विवादास्पद कानून को हटाने के लिए अनशन शुरु करके) मैं आत्महत्या का प्रयास नहीं कर रही.’’ शर्मिला इस कानून को हटाने की मांग के साथ पिछले 14 साल से अनशन कर रही हैं. हाल ही में उन्हें आत्महत्या के प्रयास के आरोप से मुक्त किया गया है.
पूर्व पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता शर्मिला ने अपना आमरण अनशन नवंबर 2000 में उस समय शुरु किया, जब असम राइफल्स ने यहां मलोम इलाके में उग्रवादियों के साथ कथित मुठभेड में 10 लोगों को मार दिया था. वे पिछले कई सालों से जेल में हैं और उन्हें समय-समय पर रिहा किया गया और फिर भारतीय दंड संहिता में आत्महत्या के प्रयास के प्रावधानों के तहत बार-बार गिरफ्तार किया जाता रहा.
मणिपुर के गृहमंत्री गईखंगम ने कहा कि सरकार सामाजिक कार्यकर्ता के स्वास्थ्य की सुरक्षा और देखभाल के लिए पूरी तरह से तैयार है. कैद से रिहाई के बाद भी शर्मिला ने अपना वह संकल्प बरकरार रखने का फैसला किया, जिसमें उन्होंने तब तक अपने घर में न घुसने या अपनी मां से मुलाकात न करने का संकल्प लिया था, जब तक सरकार आफस्पा हटा नहीं देती.