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राजनीति में पशु-पक्षी जैसे प्रतीकों का उपयोग करना शिवसेना की है पुरानी आदत

मुंबई : शिवसेना अपनी खास राजनीतिक शैली व शब्दावली के कारण देश की राजनीति में एक अलग पहचान रखती है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से भाजपा को कौवा बता दिया. शिवसेना ने लिखा है कि महाराष्ट्र की भावना और उनका अनादर करने वाले महाराष्ट्र के दुश्मन हैं. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने […]

मुंबई : शिवसेना अपनी खास राजनीतिक शैली व शब्दावली के कारण देश की राजनीति में एक अलग पहचान रखती है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से भाजपा को कौवा बता दिया. शिवसेना ने लिखा है कि महाराष्ट्र की भावना और उनका अनादर करने वाले महाराष्ट्र के दुश्मन हैं. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने लिखा है कि महाराष्ट्र की जनता की भावना का अनादर करने वाले महाराष्ट्र के दुश्मन हैं. उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए लिखा है कि जो उड़ चले वे कौवे हैं और जो रह गए, वे अपने हैं. शिवसेना ने भाजपा को महाराष्ट्र विरोधी बताने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी है.

शिवसेना की राजनीति, उसके अखबार व उसकी शब्दावली को जानने वालों को इसमें कुछ भी अप्रत्याशित नहीं लगा सकता. दरअसल, काटरूनिस्ट से राजनेता बने शिवसेना संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने राजनीति में काटरूनों के प्रतीकों का शुरुआती दिनों से ही जम कर उपयोग किया. उनकी उस शैली को उनके बेटे उद्धव ठाकरे व भतीजे राज ठाकरे ने भी बड़ी कुशलता से अपनाया है. राज ठाकरे भी अपने राजनीतिक भाषणों में विरोधियों पर चाचा की शैली में निशाना साधते हैं.

हाथी, घोड़े, गदहे, कुत्ते व कौवे जैसे शब्दों का प्रयोग शिवसेना अपने मुखपत्र सामना के माध्यम से हमेशा से राजनीति में करती रही है. कई अहम साथियों के छोड़ जाने के कारण उसे इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी है. शिवसेना प्रमुख के जीवित रहते सामना में कभी एक काटरून प्रकाशित हुआ था, जिसमें छगन भुजबल को निशाना बनाया गया था. इस काटरून के माध्यम से बताया गया था कि शिवसेना की सफलता ठाकरे परिवार की सफलता है, न कि छगन भुजबल के प्रयासों की. उल्लेखनीय है कि उस समय पिछड़े वर्ग से आने वाले भुजबल शिवसेना के महत्वपूर्ण नेता थे और उन्होंने पार्टी को मजबूत बनाने के लिए काफी मेहनत की थी. इस काटरून व कुछ दूसरे वजहों से आहत शिवसेना ने 1991 में पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में चले गये. हालांकि बाद में शरद पवार द्वारा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की स्थापना किये जाने पर उसमें चले गये. शिवसेना ने सामना में आम आदमी पार्टी को राजनीति का आइटम गर्ल भी बताया था.

बहरहाल, शिवसेना व भाजपा के अलगाव के बाद भले ही भाजपा नेताओं ने यह अपील की हो कि हम दोनों एक दूसरे पर कीचड़ नहीं उछालेंगे, लेकिन शिवसेना की जो राजनीतिक कार्यशैली रही है, उससे यह उम्मीद करना बेमानी है. शिवसेना नेता दिवाकर राउते ने कल गंठबंधन टूटने की आधिकारिक घोषणा से पहले ही भाजपा को चेतावनी देते हुए कहा था कि हम फैसले के इंतजार में हैं और उसका शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में कड़ा जवाब दिया जायेगा. राउते की इस चेतावनी और सामना के आज के तेवर के बाद साफ है कि भाजपा पर शिवसेना के तेवर और तीखे होंगे.

Prabhat Khabar Digital Desk
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