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नार्वे की कंपनियों से अब राष्‍ट्रपति ने कहा ”मेक इन इंडिया”

ओस्लो : नरेंद्र मोदी सरकार की महत्‍वकांक्षी परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ का नारा अब देश-विदेश में गुंजने लगा है. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री के बाद अब राष्‍ट्रपति ने भी विदेशों में इस नारे को बुलंद किया है. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नार्वे की कंपनियों को संदेश दिया कि वे भारत की नयी सरकार की ‘मेक […]

ओस्लो : नरेंद्र मोदी सरकार की महत्‍वकांक्षी परियोजना ‘मेक इन इंडिया’ का नारा अब देश-विदेश में गुंजने लगा है. इतना ही नहीं प्रधानमंत्री के बाद अब राष्‍ट्रपति ने भी विदेशों में इस नारे को बुलंद किया है. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नार्वे की कंपनियों को संदेश दिया कि वे भारत की नयी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल से जुडें. उन्होंने निवेशकों और उद्यमियों को भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश संभावनाएं तलाशने के लिए आमंत्रित किया.

राष्‍ट्रपति ने राजा हेराल्ड पंचम और रानी सोन्या द्वारा कल रात राजमहल में आयोजित राजकीय भोज के मौके पर कहा कि हम अपने रेलवे, सडक एवं बंदरगाहों, बिजली एवं संचार सुविधाओं के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का स्वागत करते हैं. हम नार्वे की कंपनियों को नयी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल में भारतीय कंपनियों के साथ जुडने के लिए आमंत्रित करते हैं और हम भारत की वृद्धि की संभावनाओं में उनकी भागीदारी में सुविधा प्रदान करने के लिए प्रक्रियाओं को आसान बना रहे हैं.

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत और नार्वे के बीच व्यापार बढ रहा है लेकिन अभी काफी संभावनाओं का दोहन करना बाकी है. उन्होंने कहा ह्यह्यइसे साकार करने के लिए नई सरकार निवेश को प्रोत्साहित करने, भारत में विनिर्माण क्षेत्र में सुधार, कौशल विकास को प्रोत्साहित करने, स्मार्ट शहर विकसित करने और भारत एवं विदेश के सभी इच्छुक भागीदारों व निवेशकों को अपने साथ जोडने के संबंध में कई पहल कर रही है.

भारत और नार्वे के बीच तेल एवं उत्खनन और वैज्ञानिक अनुसंधन समेत लाभकारी व्यापार भागीदारी वाले क्षेत्रों की बात करते हुए राष्‍ट्रपति ने कहा कि दोनों देश पृथ्वी विज्ञान, जैव प्रौद्योगिकी, मत्स्य पालन और स्वास्थ्य सेवा में सहयोग के दायरे के विस्तार के इच्छुक हैं. राष्ट्रपति ने कहा, मुझे भरोसा है कि जिन द्विपक्षीय समझौतों पर हमने हस्ताक्षर किया है उससे उन कई क्षेत्रों में सहयोग और बढेगा जिनमें भारत और नार्वे एक दूसरे की अच्छी मदद कर सकते हैं.

इस स्केंडिनेवियाई देश की यात्रा करने वाले भारत के पहले राष्ट्राध्यक्ष, मुखर्जी ने नार्वे को उसके संविधान के 200वीं वर्षगांठ समारोह के लिए बधाई दी और स्वालबार्द में अपना ध्रुवीय अनुसंधान केंद्र स्थापना करने के लिए भारत को सहयोग एवं समर्थन देने के लिए यहां की सरकार का धन्यवाद दिया. राष्ट्रपति ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता के संबंध में भारत के दावे का समर्थन करने और आपके सक्रिय प्रयासों के आभारी हैं जिससे भारत को आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक का दर्जा हासिल करने में मदद मिली.

Prabhat Khabar Digital Desk
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