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सोशल मीडिया पर गरमाया रजोनिवृत्ति और बलात्कार का मुद्दा

दिल्ली हाई कोर्ट ने साल 2010 में एक महिला के बलात्कार और हत्या के मामले पर दिए गए अपने फैसले में ये उद्धृत किया है कि रजोनिवृत्ति पार कर चुकी उक्त महिला के साथ हुई यौन हिंसा को वर्त्तमान साक्ष्यों के अनुसार बलात्कार नहीं बल्कि माना जा सकता. हालांकि कोर्ट ने अपने इस फैसले में […]

दिल्ली हाई कोर्ट ने साल 2010 में एक महिला के बलात्कार और हत्या के मामले पर दिए गए अपने फैसले में ये उद्धृत किया है कि रजोनिवृत्ति पार कर चुकी उक्त महिला के साथ हुई यौन हिंसा को वर्त्तमान साक्ष्यों के अनुसार बलात्कार नहीं बल्कि माना जा सकता. हालांकि कोर्ट ने अपने इस फैसले में सम्बंधित मामले के हर पहलू का वर्णन भी किया है लेकिन फिर भी सोशल मीडिया में इस मुद्दे पर मामला गरम होता दिखाई देता है.

गौरतलब है कि इस मामले में कोर्ट ने अपने फैसले में ये कहा है कि मृतक महिला रजोनिवृत्ति की आयु पार कर चुकी थी और उसकी उम्र तक़रीबन 65 से 70 साल के बीच थी. कोर्ट ने कहा कि जांच के मुताबिक भुक्तभोगी महिला के शरीर पर सिर्फ उसके जननांग पर जबरदस्ती और ताकत के इस्तेमाल के निशान मिले हैं. इसके अलावा उसके शरीर पर किसी प्रकार की चोट या ज़बरदस्ती करने का कोई साक्ष्य नहीं मिला है. ऐसे में, कोर्ट इसे बलात्कार न मानकर, आरोपी अच्छेलाल और उस मृतक महिला के बीच उनकी मर्जी से बनाये गए शारीरिक संबंध के रूप में देखती है.

ऐसे में कोर्ट ने इन सबूतों के मद्देनज़र आरोपी अच्छेलाल को उस महिला की हत्या का तो दोषी माना है लेकिन इस घटना के दौरान आरोपी अच्छेलाल द्वारा उस महिला के साथ बनाये गए शारीरिक संबंध को बलात्कार के दायरे में उसे लाने से इंकार कर दिया है.

यही वो कारण है जिसने सोशल मीडिया पर माहौल को गरम कर दिया है और कोर्ट के इस फैसले को लोग अलग-अलग नज़रिए से देखकर अपनी-अपनी दलीलें दे रहे हैं. लोगों का कहना है कि हाई कोर्ट के इस फैसले से वे हतप्रभ हैं. क्या केवल रजोनिवृत्ति हो जाने से बलात्कार होना दंडनीय नहीं होता या फिर रजोनिवृत्ति जैसी सामान्य शारीरिक प्रक्रिया के सहारे अब बलात्कार का होना या न होना निश्चित किया जायेगा !

हालांकि कोर्ट के फैसले में कहीं इस बात का स्पष्ट उल्लेख नहीं दिखाई दिया जिससे ऐसा लगे कि केवल रजोनिवृत्ति हो जाने से किसी महिला के साथ किये गए बलात्कार को दंडनीय नहीं माना जा सकता और ना ही कोर्ट ने ऐसा कहा है इस स्थिति में बनाया गया जबरन शारीरिक संबंध बलात्कार की श्रेणी में नहीं आएगा. इसके अलावा, मृतक महिला के पोस्टमॉर्टम की रिपोर्ट के मुताबिक इस घटना के पहले उस महिला ने आरोपी के अलावा स्वयं भी शराब पी थी.

कानूनविदों के अनुसार हालांकि मृतक महिला के यौनांग पर चोट के निशान बलात्कार की तरफ इशारा करते हैं लेकिन ऐसा हो सकता है कि चूंकि मृतक महिला के शरीर पर इसके अलावा और कहीं चोट का निशान नहीं मिला है, इसलिए कोर्ट ने इसे बलात्कार नहीं माना होगा. गौरतलब है इस घटना के बाद उस महिला का शव उसके ही घर में नग्न हालत में पाया गया था.

ऐसे में यही जान पड़ता है कि कोर्ट के इस निर्णय के विस्तृत पक्ष से आम जनता अनभिज्ञ है और शायद ये एक प्रमुख कारण है जिसकी वजह से सोशल प्लेटफॉर्म पर लोग अपने विचार अलग ढंग से प्रस्तुत कर रहे हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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