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पेट्रोल और डीजल के दाम घटने के बावजूद भाजपा शासित राज्यो में जनता पर टैक्स का बोझ बढ़ा

जयपुर: ‘बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार.’ उम्मीद है आप इन नारों को अबतक भूले नहीं होंगे. लेकिन भाजपा शासित दो राज्यों की सरकार अपनी पार्टी के इस नारे को मूर्त रूप नहीं दे पा रही है. राजस्थान में वसुंधरा राजे और मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार को अपने […]

जयपुर: ‘बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी सरकार.’ उम्मीद है आप इन नारों को अबतक भूले नहीं होंगे. लेकिन भाजपा शासित दो राज्यों की सरकार अपनी पार्टी के इस नारे को मूर्त रूप नहीं दे पा रही है. राजस्थान में वसुंधरा राजे और मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार को अपने राज्यों में पेट्रोल- डीजल में वैट की बढोत्तरी के बाद चौतरफा हमला झेलना पड़ रहा है. विपक्षी पार्टियों समेत जनता भी इस फैसले का जोरदार विरोध कर रही है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल और डीजल के दाम में आयी कमी के बाद जनता ये उम्मीद कर रही थी कि इसका फायदा उन्हें मिलेगा.

लेकिन राज्य सरकारों के इस फैसले के बाद जनता पर पेट्रोल और डीजल की कीमतें घटने के बावजूद कीमतें बढ़ने का भार बढ़ गया है. हालांकि, राज्य़ सरकार के पास इस बढोत्तरी को लेकर कई तर्क हैं. राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पेट्रोल एवं डीजल की वैट दर में वृद्धि किये जाने के भाजपा सरकार के फैसले की कड़ी निंदा की है.

उन्होंने कहा, कांग्रेस शासन के समय तो भाजपा नेता हमेशा पेट्रोल-डीजल पर वैट कम करने की मांग करते रहते थे, अब उन्हें वैट दरों में वृद्घि करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है. महंगाई को मुद्दा बनाकर सत्ता में आई भाजपा अब प्रदेशवासियों के साथ विश्वासघात कर रही है.
गहलोत ने यहां जारी एक बयान में कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के मूल्यों के अनुरुप देश में तेल कीमतों का निर्धारण किया जाता है. लेकिन, मौजूदा सरकार के एक वरिष्ठ मंत्री इसका श्रेय अपनी पार्टी को देकर वाहवाही लूटने का प्रयास कर रहे हैं जबकि उन्हें यह मालूम होना चाहिए कि केंद्र सरकार भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में हुई कमी का लाभ जनता तक नहीं पहुंचा रही है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने चुनाव पूर्व अपने घोषणा पत्र में वैट संबंधी विसंगतियों को दूर करने का वादा किया था. लेकिन आज अपने उसी वादे को भूलकर जनता के साथ अन्याय कर रही है.गौरतलब है कि राज्य सरकार ने गुरुवार की रात से पेट्रोल पर वैट की दर 26 प्रतिशत को बढाकर 30 प्रतिशत और डीजल पर वैट की दर 18 से बढाकर 22 प्रतिशत कर देने से पेट्रोल और डीजल की दरों में करीब दो रुपये की बढोतरी हो गई है.
यही हाल भाजपा शासित राज्य मध्यप्रदेश का भी है. वहां भी राज्य सरकार ने वैट में बढोत्तरी करके जनता पर अतरिक्त बोझ डाल दिया. सबसे ज्यादा वैट इसी राज्य में है यहां पेट्रोल पर 31 और डीजल पर 27 प्रतिशत वैट है. इन दोनों ही राज्यों में राज्य सरकार के पास इस बढोत्तरी को लेकर अलग ही तर्क है. उनकाकहना है कि अगर पेट्रोल के दाम में कमी की गयी तो उन्हें एक साल में ही करोड़ो का नुकसान होगा.
हालांकि इन दोनों राज्यों ने इससे होने वाले मुनाफे को सामने नहीं रखा. दूसरी तरफ विशेषज्ञों की मानें, तो वैट बढ़ाने के पीछे जीएसटी भी एक बड़ा कारण है. केंद्र सरकार देश भर में जीएसटी लागू करने जा रही है इसके लागू होने से राज्य सरकार को टैक्स से आय का जितना भी नुकसान होगा उसकी भरपाई केंद्र सरकार करेगी. यहीकारण है कि ज्यादा से ज्यादा राजस्व दिखाकर आगे निकलने की होड़ लगी है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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