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गुजरात पुलिस के धार्मिक टोपी वाले मॉक ड्रिल से छिड़ा विवाद

सूरत : गुजरात के सूरत जिले की पुलिस ने उस वक्त विवाद को जन्म दे दिया, जब आतंकवाद विरोधी एक मॉक ड्रिल के दौरान नकली आतंकवादी बनाए गए लोगों के सिर पर उसने एक धर्म विशेष के लोगों द्वारा पहनी जाने वाली टोपी पहना दी. सूरत पुलिस के इस कदम की आलोचना हो रही है. […]

सूरत : गुजरात के सूरत जिले की पुलिस ने उस वक्त विवाद को जन्म दे दिया, जब आतंकवाद विरोधी एक मॉक ड्रिल के दौरान नकली आतंकवादी बनाए गए लोगों के सिर पर उसने एक धर्म विशेष के लोगों द्वारा पहनी जाने वाली टोपी पहना दी.
सूरत पुलिस के इस कदम की आलोचना हो रही है. कांग्रेस ने आज गुजरात सरकार पर हमला करते हुए कहा कि यह एक प्रशासनिक नाकामी है, वहीं प्रदेश भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के एक नेता ने कहा, आतंकवाद को कभी भी धर्म विशेष से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. हालांकि, सूरत पुलिस ने अपने कदम का बचाव किया.
सूरत के ओलपैड कस्बे में डोबारी तटीय क्षेत्र में इस ड्रिल को अंजाम दिया गया. किसी आतंकवादी हमले की स्थिति में पुलिस की तैयारियां परखने के मकसद से इस ड्रिल का आयोजन किया गया था. ड्रिल के एक वीडियो में दिखाया गया है कि पांच पुलिसकर्मी धर्म विशेष की टोपी पहने तीन नकली आतंकवादियों को पकडे हुए हैं. तीनों लोगों को नीचे लेटे भी दिखाया गया और पुलिसकर्मी उन पर नजर रख रहे थे. वीडियो के अंत में दिखाया गया कि आतंकवादी बने लोगों को पुलिस जीप में रखा गया है क्योंकि उन्हें जिंदा पकड़ा गया.
इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, दुर्भाग्यवश इस सरकार की पहचान तेजी से ऐसी बनती जा रही है जो विभाजन पैदा करने के लिए सांकेतिक हाव-भाव, छवियों, टिप्पणियों का इस्तेमाल करती है. इसमें असहिष्णुता भी है जो इसकी नाकामी का एक और कारण है. यह एक नाकाम प्रशासन है.
बहरहाल, भाजपा नेता और केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस के आरोपों को नकारते हुए कहा, हमारे आए हुए छह महीने हुए हैं. उससे पहले कांग्रेस 10 साल तक सरकार में थी. यह पूछे जाने की जरुरत है कि किसने हर मुसलमान को अल-कायदा की पहचान दी. सिखों का संहार करने वाली कांग्रेस अपने राजनीतिक फायदे के लिए मुस्लिमों के साथ भी वही कर रही है. हम इस बहस में नहीं पड़ना चाहते.
गुजरात भाजपा के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष महबूब अली सूफी बाबा ने इस तरीके से आंतकवादियों को पेश किए जाने पर ऐतराज जताया. हालांकि, सूरत पुलिस ने अपनी करतूत का बचाव किया. संपर्क किए जाने पर सूरत के पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) प्रदीप सेजल ने कहा कि इसे बहुत सामान्य चीज के तौर पर लेना चाहिए.
उन्होंने बताया कि यह घटना पिछले पांच दिन से चल रही मॉक ड्रिल के दौरान हुई. हम अपनी मॉक-ड्रिलों में परिधान बदलते रहते हैं. वे हमारे लोग थे, जिन्हें टोपी पहने दिखाया गया. कभी वे जींस पहनते हैं तो कभी टी-शर्ट पहनते हैं और कभी ऐसे कपड़े भी पहनते हैं. सेजल ने कहा, इसे किसी समुदाय को किसी खास ढांचे में रखने की तरह नहीं देखना चाहिए या इसे सांप्रदायिक रंग नहीं देना चाहिए. इसे बहुत ही सामान्य चीज के तौर पर लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मामले की जांच कराई जाएगी.
Prabhat Khabar Digital Desk
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