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कश्मीरी पंडितों को सबके साथ रहना होगा, अलग टाउनशिप के लिए जमीन नहीं दी जायेगी : मुफ्ती मोहम्मद सईद

जम्मू : जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने विधानसभा में यह कहा है कि कश्मीरी पंडितों के घाटी में पुनर्वास के लिए अलग से कॉलोनियां नहीं बनायी जायेंगी. उन्होंने अपने बयान में कहा कि मैंने केंद्रीय गृहमंत्री को बता दिया है कि कश्मीरी पंडित घाटी में अलग से नहीं रह सकते और उन्हें […]

जम्मू : जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने विधानसभा में यह कहा है कि कश्मीरी पंडितों के घाटी में पुनर्वास के लिए अलग से कॉलोनियां नहीं बनायी जायेंगी. उन्होंने अपने बयान में कहा कि मैंने केंद्रीय गृहमंत्री को बता दिया है कि कश्मीरी पंडित घाटी में अलग से नहीं रह सकते और उन्हें समाज में साथ रहना होगा. उन्होंने कहा कि यह एक मानवीय मुद्दा है और इसे लेकर विवाद नहीं उत्पन्न करना चाहिए, हम एक और इजराइल नहीं बनाना चाहते हैं. हम यह चाहते हैं कि सभी धर्म के लोग साथ-साथ रहें. मुफ्ती ने कहा कि हम यह प्रयास कर रहे हैं कि घाटी में धर्मनिरपेक्ष माहौल कायम हो, अत: इस मामले को लेकर राजनीति नहीं की जानी चाहिए.

सदन में विपक्षी दलों ने विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए समग्र टाउनशिप बनाने के राज्य सरकार के कदम का जम कर विरोध किया. इस बीच सईद ने सदन से कहा, मैं सदन को भरोसा दिलाना चाहता हूं कि हम घाटी में कश्मीरी पंडितों के लिए अलग से कॉलोनियां नहीं बनायेंगे. सईद की मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ बैठक के बाद आधिकारिक रूप से यह कहा गया था कि मुख्यमंत्री ने भरोसा जताया है कि राज्य सरकार विस्थापित कश्मीरी पंडितों के लिए अलग से टाउनशिप बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण करेगी और उन्हें जमीन मुहैया कराएगी.

जम्मू कश्मीर में मुख्य विपक्षी दलों और अलगाववादी समूहों ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा था कि यह लोगों को बांट देगा और इससे सुरक्षा संबंधी खतरे पैदा हो जायेंगे.सईद ने सरकार का रख स्पष्ट करते हुए कहा, मैंने केंद्रीय गृह मंत्री को बताया है कि कश्मीरी पंडित अलग नहीं रह सकते और उन्हें साथ रहना होगा. उन्होंने कहा कि कश्मीर के भीतर एक और प्रदेश संभव नहीं है और राज्य के भीतर विवाद पैदा करने के लिए अफवाहें उड़ाई जा रही हैं.

सईद ने जोर देकर कहा कि सरकार कश्मीरी पंडितों को वापसी के लिए अनुकूल माहौल मुहैया कराने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि यदि इस प्रकार की अफवाहें उड़ाई जाती हैं तो वे वापस कैसे आएंगे.सईद ने कहा, हम जल्दी में यह नहीं करना चाहते. हम कोई भी निर्णय लेने से पहले सभी पक्षों से बात करेंगे. हम कश्मीर में धर्मनिरपेक्षता को फलते फूलते देखना चाहते है ताकि कश्मीर अलग अलग किस्म के फूलों का बगीचा बन जाये. मुख्यमंत्री ने अलगाववादियों से भी अपील की कि उन्हें इस मामले पर राजनीति नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे कश्मीर की बदनामी होती है.

उन्होंने कश्मीरी पंडितों से घाटी में लौटने की अपील करते हुए कहा कि राज्य सरकार उनके लिए अनुकूल माहौल पैदा करेगी ताकि वे सम्मान एवं गरिमा के साथ अपने स्थानों पर बस सकें. मुख्यमंत्री ने कहा, जो वापस आना चाहते हैं, उन्हें अलग नहीं रहना चाहिए. घाटी में इस्राइल की तरह कॉलोनियां नहीं होगी और हम वापस आकर अपने स्थानों पर बसने के लिए उनका स्वागत करते हैं. सदन की कार्यवाही आज सुबह जैसे ही शुरु हुई, कांग्रेस विधायक दल के नेता नवांग रिगजिन जोरा ने कश्मीरी पंडितों के लिए टाउनशिप का मामला उठाया और पीडीपी-भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि उसने इसके लिए घाटी में 500 कनाल जमीन देने का केंद्र से वादा किया है. उन्होंने इस मामले में राज्य सरकार से जवाब मांगा.

मुफ्ती के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय लेने के लिए जम्मू-कश्मीर और केंद्र दोनों जगहों पर चुनी हुई सरकार है और मुझे ऐसा लगता है कि सरकारें निर्णय लेने में सक्षम हैं. पाकिस्तान का राग अलापने वाली अलगाववादी शक्तियों की सलाह हमें नहीं चाहिए.

कांग्रेस नेता पीसी चाको ने कहा कि कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास भाजपा और पीडीपी दोनों पार्टियों की जिम्मेदारी है, दोनों ने इस बारे में लोगों से वादा किया है और इसमें जो बाधाएं आयेंगी, उनका निपटारा हो जाना चाहिए. चाको ने कहा कि मुझे ऐसा नहीं लगता है कि पंडितों के लिए अलग से टाउनशिप की बात कही गयी है.

गौरतलब है कि पिछले दिनों गृहमंत्री राजनाथ सिंह जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री से मिले थे और उसके बाद उन्होंने यह बयान दिया था कि उन्हें मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है कि वे कश्मीरी पंडितों के लिए टाउनशिप बनाने हेतु अलग से जमीन उपलब्ध करायेंगे.

Prabhat Khabar Digital Desk
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