22.5 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

जानिए देश की पहली ट्रांसजेंडर प्रिंसिपल मानबी के संघर्ष और साहस के 10 अहम तथ्‍य

‘हौसले अगर बुलंद हो तो कामयाबी मिल ही जाती है’ इस कहावत को साबित कर दिखाया भारत में पहली बार प्रिंसिपल बनने जा रहीं ट्रांसजेंडर मानबी बंधोपाध्याय ने. भारत में पहली बार ऐसा होने जा रहा है जब किसी ट्रांसजेंडर को कॉलेज को प्रिंसिपल बनाया जा रहा है. पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के एक […]

‘हौसले अगर बुलंद हो तो कामयाबी मिल ही जाती है’ इस कहावत को साबित कर दिखाया भारत में पहली बार प्रिंसिपल बनने जा रहीं ट्रांसजेंडर मानबी बंधोपाध्याय ने. भारत में पहली बार ऐसा होने जा रहा है जब किसी ट्रांसजेंडर को कॉलेज को प्रिंसिपल बनाया जा रहा है. पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के एक वुमेन्‍स कॉलेज में प्रिंसिपल का पद संभालने जा रही मानबी ने इसे लंबे संघर्ष के बाद मिली कामयाबी का नाम दिया है. फिलहाल मानबी विवेकानंद सतोवार्षिकी महाविद्यालय में बांग्ला की एसोसिएट प्रोफेसर हैं. आप भी जानिये उनके संघर्ष की कहानी :

1. मानबी का नाम पहले सोमनाथ था. उनकीदो बहनें थी और घर मेंएक मात्र लडका हुआ करती थीं. बचपन में ही उन्‍हें लड़की होने का अहसास हो गया था.

2. पढ़ाई के साथ-साथ वे डांसिंग क्‍लॉस भी करना चाहती थी लेकिन उनके पिताजी को वो पसंद नहीं था और वो ताना देते रहते थे. हालांकि उनकी दोनों बहनों ने उनका पूरा साथ दिया.

3. मानबी को लड़कियों से ज्‍यादा लडके आकर्षित करते थे. इसे लेकर वे साइकियाट्रिस्ट से भी मिली. जहां साइकियाट्रिस्ट ने मानबी से कहां कि इस एहसास को भूल जाये, अगर वे ऐसा नहीं करेंगी तो उन्‍हें आत्‍महत्‍या तक करनी पड सकती है.

4. मानबी का कहना है कि वर्ष 2003 में हिम्‍मत जुटाकर उन्‍होंने अपना सेक्‍स चेंज करवा लिया. लगभग पांच लाख रुपये में उन्‍होंने अपना ऑपरेशन कराया. इसके बाद उन्‍हें लगा जैसे वो स्‍वतंत्र हो गई है. ऑपरेशन के बाद उन्‍होंने अपना नाम बदलकर मानबी रख लिया जिसका बांग्‍ला में अर्थ महिला होता है.

5. मानबी का कहना है कि सेक्‍स चेंज करवाने के बाद उन्‍हें मारा-पीटा गया. उनके साथ कई बार दुष्‍कर्म भी हुआ. कुछ अज्ञात लोगों ने उनके अपार्टमेंट को आग लगाकर उन्‍हें जान से मारने की कोशिश भी की थी. इतना सब होने के बाद भी मानबी ने हिम्‍मत नहीं हारी.

6. वर्ष 2005 में पीएचडी पूरी करने के बाद अपनी पहली पोस्‍टिंग में उन्‍हें जबरदस्‍ती मेल रजिस्‍टर पर साइन करने के लिए बाध्‍य किया जाता था. महल्‍ले के लोगों ने उन्‍हें किराये पर मकान देने से इनकार कर दिया था. उन्‍हें मानबी के नाम से काम करने नहीं दिया जाता था.

7. वर्ष 1995 में उन्‍होंने ट्रांसजेंडरों के लिए पहली मैग्जीन ‘ओब-मानब’ निकाली. इसका हिंदी में अर्थ उप मानव है. इसका प्रकाशन आज भी होता है.

8. मानबी ने अपने अनुभवों पर इंडलेस बॉन्डेज उपन्यास लिखा, जो बेस्टसेलर रहा. उनका कहना है कि आज भी उनके इस उपन्‍यास का मांग है.

9. मानबी अपनी इस सफलता को लेकर बेहद उत्‍साहित हैं. उनका कहना है ढेरों यातनाएं सहने के बाद अब मैं सम्‍मान के साथ यहां तक पहुंची हूं. अपने जीवन में उन्‍होंने तकलीफों के पहाड़ को पार किया है.

10. विवेकानंद सतोवार्षिकी महाविद्यालय में बांग्ला की एसोसिएट प्रोफेसर मानबी 9 जून को प्रिंसिपल का पद संभालेंगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel