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30 जुलाई को नहीं होगी याकूब मेमन को फांसी, मुलाकात के लिए सेंट्रल जेल पहुंचे परिवार के सदस्‍य

मुंबई :मुंबई हमले के आरोपी याकूब मेमन को 30 जुलाई को फांसी नहीं दी जायेगी. याकूब ने महाराष्‍ट्र के राज्‍यपाल के पास दया याचिका भेजी है. अगर दया याचिका खारिज भी हो जाती है तो भी नियमों के तहत उसे 30 जुलाई को फांसी नहीं दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी किया […]

मुंबई :मुंबई हमले के आरोपी याकूब मेमन को 30 जुलाई को फांसी नहीं दी जायेगी. याकूब ने महाराष्‍ट्र के राज्‍यपाल के पास दया याचिका भेजी है. अगर दया याचिका खारिज भी हो जाती है तो भी नियमों के तहत उसे 30 जुलाई को फांसी नहीं दी जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने गाइडलाइन जारी किया था कि अगर किसी व्‍यक्ति को फांसी की सजा मिली है और उसने दया याचिका भेजी है, तो दया याचिका खारिज हो जाने के 14 दिनों बाद ही उसे फांसी दी जा सकती है. यह गइडलाइन सुप्रीम कोर्ट ने विरप्‍पन के सहयोगियों को सजा सुनाते समय तय की थी.

कोर्ट का मानना है कि जिसे भी फांसी की सजा मिली हो उसे जीवित रहते तक गरिमा के साथ जीने और अपने परिवार के सदस्‍यों से मिलने का पूरा अधिकार है. दया याचिका खारिज होने के बाद 14 दिनों तक आरोपी अपने परिवार के सदस्‍यों के साथ मुलाकात कर सकता है या फिर सुप्रीम कोर्ट में कोई नयी याचिका दायर कर सकता है. याकूब ने पहले राष्‍ट्रपति के पास दया याचिका भेजी थी. लेकिन राष्‍ट्रपति ने दया याचिका ठुकरा दी थी.

उसके बाद नियमों के अनुसार एक और बार राज्‍यपाल के पास दया याचिका भेजी जा सकती है. याकूब ने भी वहीं किया और महाराष्‍ट्र के राज्‍यपाल के पास दया याचिका भेजी है. अब याचिका खारिज हो जाने के बाद भी याकूग को 14 दिनों के बाद ही फांसी दी जा सकती है. याचिका खारिज हो जाने के बाद मेमन सुप्रीम कोर्ट में कोई नयी दलील पेश कर सकता है. फिर कोर्ट फैसला करेगा कि क्‍या करना है.

सुरक्षा के पुख्‍ता इंतजाम

मुंबई पुलिस याकूब मेमन को फांसी दिए जाने के बाद कानून एवं व्यवस्था की किसी भी स्थिति से निपटने के लिए विशेष सुरक्षा प्रबंध कर रही है. मेमन को 30 जुलाई को नागपुर के सेंट्रल जेल में फांसी दी जानी है. आज मेमन का परिवार उनसे मिलने नागपुर के सेंट्रल जेल पहुंचा. परिवार के सदस्यों में कुछ महिलायें भी थीं.

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वहीं दूसरी ओर याकूब की महाराष्‍ट्र के राज्यपाल को दया याचिका दिये जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सालिसीटर जनरल से कहा कि वह इस संबंध में निर्देश प्राप्त करें कि क्या दया याचिकाओं के मामले में कोई प्रक्रिया है या इसके लिये कोई नया कानून बनाने की आवश्यकता है. इसपर सालिसीटर जनरल ने कहा कि राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका अस्वीकार किये जाने के बाद भी राज्यपाल मौत की सजा पाने वाले दोषी की दया याचिका पर फैसला ले सकते हैं बशर्ते इसके लिये बदली हुयी परिस्थितियां हों.

मेमन को 1993 के मुंबई बम विस्फोटों के मामले में दोषी ठहराया गया था. पुलिस ने बताया कि फांसी दिए जाने के बाद उसका शव उसके परिवार के सदस्यों को सौंप दिया जाएगा. 53 वर्षीय मेमन का शव मध्य मुंबई के माहिम स्थित उसके आवास पर लाया जाएगा. एक पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ‘‘उसे शहर में दफनाया जा सकता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हवाई अड्डे से उसके घर और कब्रगाह मैदान तक पुलिस कडे सुरक्षा इंतजाम रखेगी.’’

एहतियाती उपाय के तौर पर आपराधिक पृष्ठभूमि वाले कुछ लोगों को पुलिस हिरासत में लेगी और महानगर के संवेदनशील इलाकों पर कडी निगरानी रखेगी. अधिकारी ने कहा कि सभी पुलिसकर्मियों की छुट्टी जुलाई के अंत तक रद्द कर दी गई है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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