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दयानिधि मारन को तीन दिन में CBI के समक्ष आत्‍मसमर्पण का आदेश

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन की विवादास्पद टेलीफोन एक्सचेंज मामले में अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी और राजनैतिक प्रतिशोध के आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें तीन दिन के भीतर सीबीआई के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. अपने 49 पन्नों के आदेश में न्यायमूर्ति वैद्यनाथन ने कहा […]

चेन्नई : मद्रास उच्च न्यायालय ने पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन की विवादास्पद टेलीफोन एक्सचेंज मामले में अंतरिम जमानत याचिका खारिज कर दी और राजनैतिक प्रतिशोध के आरोपों को खारिज करते हुए उन्हें तीन दिन के भीतर सीबीआई के समक्ष आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया. अपने 49 पन्नों के आदेश में न्यायमूर्ति वैद्यनाथन ने कहा कि प्रथम दृष्टया मारन ने अवैध तरीके से टेलीफोन कनेक्शन हासिल करके अपने पद का दुरुपयोग किया और उनके खिलाफ आरोप सामग्री से समर्थित हैं.

उन्होंने कहा, याचिकाकर्ता के खिलाफ उपलब्ध समूची सामग्री का मूल्यांकन करने के बाद मैं प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता की संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री होने के नाते सेवा श्रेणी के तहत बीएसएनएल अधिकारियों के नाम पर अवैध टेलीफोन कनेक्शन हासिल करके गलत लाभ हासिल करने के लिए अपने पद का दुरपयोग करने में ठीक-ठीक भूमिका पाता हूं. न्यायाधीश ने मारन को सीबीआई के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए तीन दिन की मोहलत देते हुए उनसे 13 अगस्त को शाम साढे चार बजे से पहले आत्मसमर्पण करने को कहा.

उन्होंने मारन की इन दलीलों को खारिज कर दिया कि राजनैतिक प्रतिशोध की खातिर उन्हें इस मामले में फंसाया गया है और आरोप उन्हें गिरफ्तार करके उन्हें अपमानित करने के उद्देश्य से लगाए गए हैं. अंतरिम जमानत याचिका खारिज करने की सीबीआई की अर्जी को स्वीकार करते हुए न्यायाधीश ने कहा, मेरी राय में यह दलील तर्कसंगत और स्वीकार्य नहीं है.

न्यायाधीश ने कहा, मैं मुकदमे में कोई तुच्छता नहीं देखता हूं. मारन पर जो आरोप लगाए गए हैं उनकी रिकॉर्ड में उपलब्ध सामग्री और परिस्थितियों से पुष्टि होती है. न्यायाधीश ने मारन की अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द करने के लिए सीबीआई की याचिका और अंतरिम जमानत को स्थायी बनाने की मांग करने वाली मारन की याचिका पर दलीलों को सुनने के बाद यह आदेश दिया.

सीबीआई ने मारन और अन्य के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की है. इसमें आरोप लगाया है कि 300 से अधिक हाई स्पीड टेलीफोन लाइनें यहां उनके आवास पर प्रदान की गई और इसे उनके भाई कलानिधि मारन के सन टीवी चैनल को दिया गया ताकि उसकी अपलिंकिंग को सक्षम बनाया जा सके. दयानिधि मारन 2004 से 2007 तक संचार मंत्री थे.

मामले में गिरफ्तारी की आशंका से मारन ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था और न्यायमूर्ति आर सुब्बैया ने 30 जून को उन्हें इस शर्त के साथ छह सप्ताह के लिए अग्रिम जमानत दी थी कि वह एक जुलाई को सीबीआई के समक्ष उपस्थित हों और जांच में सहयोग करें. सीबीआई ने बाद में इस आधार पर अग्रिम जमानत को रद्द करने की मांग को लेकर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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