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जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा कायम रखा जाना चाहिए : मुफ्ती मोहम्‍मद सईद

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने आज कहा कि भारत के संविधान में जम्मू कश्मीर को मिला विशेष दर्जा कायम रखा जाना चाहिए. सईद ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यहां बख्शी स्टेडियम में आयोजित समारोह में कहा, ‘जम्मू कश्मीर में कुछ दौर ऐसे थे जो नहीं होने चाहिए थे. मुफ्ती […]

श्रीनगर : जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने आज कहा कि भारत के संविधान में जम्मू कश्मीर को मिला विशेष दर्जा कायम रखा जाना चाहिए. सईद ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर यहां बख्शी स्टेडियम में आयोजित समारोह में कहा, ‘जम्मू कश्मीर में कुछ दौर ऐसे थे जो नहीं होने चाहिए थे. मुफ्ती मोहम्मद सईद और पीडीपी उन शर्तों का समर्थन करती है जिन पर राज्य और उस समय के नेतृत्व ने भारत के साथ हाथ मिलाने का निर्णय लिया.’

उन्होंने कहा, ‘चाहे पीडीपी हो या नेशनल कांफ्रेंस या कांग्रेस या अन्य क्षेत्रीय संगठन, वे सभी चाहते हैं कि जम्‍मू कश्मीर को भारत के संविधान के भीतर (विशेष) दर्जा और पहचान मिलनी चाहिए.’ मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के लोगों ने पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के द्विराष्ट्र सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया था और वे 1947 में ‘बडे देश’ भारत के साथ हो गये. उन्होंने कहा, ‘मैं कहना चाहता हूं कि मोहम्मद अली जिन्ना के द्विराष्ट्र सिद्धांत को आजादी से पहले भी जम्मू कश्मीर के लोगों ने नहीं अपनाया था. हमारा अपना अलग रुख था जो सोपोर में 1938 के कन्वेंशन में परलक्षित हुआ और उसी में मुस्लिम कांफ्रेंस को नेशनल कांफ्रेंस में तब्दील कर दिया गया.

सईद ने कहा कि आजादी के संघर्ष के दौरान कांग्रेस और मुस्लिम लीग के अलग-अलग विजन थे और जम्मू कश्मीर के लोगों का आजादी के बाद के परिदृश्य को लेकर अपना अलग रुख था. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस नेतृत्व कुलीनतंत्र और साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ हमारे संघर्ष में कंधे से कंधा मिलाकर खडा रहा. फलस्वरुप, राज्य के लोग और उसके नेतृत्व ने 1947 में बडे देश के साथ जाने का फैसला किया.’

उन्होंने कहा, ‘आज, हम देख सकते हैं कि कैसे भारत में लोकतंत्र पिछले 70 सालों से फूल-फल रहा है, कैसे भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ रही है और कैसे संस्थान कामकाज कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा, ‘कोई संदेह नहीं है कि पाकिस्तान हमारा पडोसी देश है लेकिन वह अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिए अब भी संघर्ष कर रहा है.’ सईद ने राज्य को विकास के पथ पर पहुंचाने में विपक्षी नेशनल कांफ्रेंस नेता शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की भूमिका को याद करते हुए कहा, ‘दिवंगत शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने 1975 के दशक में जमीनी हकीकत को स्वीकार करते हुए राज्य को देश के बाकी हिस्से की भांति विकास के मार्ग पर ले जाने के लिए उसकी कमान फिर अपने हाथ में ली.’

मुख्यमंत्री के रूप में सईद ने 2002-2008 के बीच यात्रा एवं व्यापार के लिए नियंत्रण रेखा के आरपार मार्ग खोलना अपनी सबसे बडी उपलब्धि बताया. उन्होंने कहा, ‘लेकिन हम नहीं चाहते कि यह पहल बस विभाजित परिवारों तक सीमित रहे बल्कि उसका पर्यटन जैसे अन्य उद्देश्यों के लिए विस्तार हो.’ सईद ने पिछले साल मार्च में पीडीपी भाजपा गठबंधन सरकार के सत्ता में आने के बाद उठाए गये विभिन्न कदमों की भी चर्चा की.

Prabhat Khabar Digital Desk
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