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मेरे परिवार में ऐसे लोग हैं जो गोमांस खाते हैं : रमेश

हैदराबाद : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आज कहा कि गोमांस के मुद्दे पर चल रहा विवाद कुछ भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की ‘‘असहिष्णुता” को दिखाता है. रमेश ने कहा कि किसी को लोगों पर यह नहीं थोपना चाहिए कि वे क्या खाएं और क्या न खाएं. रमेश ने कहा, ‘‘आप इस पर […]

हैदराबाद : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने आज कहा कि गोमांस के मुद्दे पर चल रहा विवाद कुछ भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की ‘‘असहिष्णुता” को दिखाता है. रमेश ने कहा कि किसी को लोगों पर यह नहीं थोपना चाहिए कि वे क्या खाएं और क्या न खाएं. रमेश ने कहा, ‘‘आप इस पर नियम-कायदे नहीं बना सकते. आप यह नहीं कह सकते कि आप गोमांस नहीं खा सकते.

कल आप कहेंगे कि ‘दाल मखनी’ नहीं खा सकते, आप ‘मटर पनीर’ नहीं खा सकते. क्या बकवास है यह सब ? भारत किस तरफ जा रहा है ?” पूर्व केंद्रीय मंत्री ने बताया, ‘‘क्या लोग तय करेंगे कि आपको क्या खाना है ? क्या लोग तय करेंगे कि आपको क्या पहनना है, क्या बोलना है ? मेरे कहने का यह मतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) मूल रुप से एक लोकतंत्र-विरोधी संगठन है.”

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के एक विवादित बयान पर उनका नाम लेकर रमेश ने कहा कि पूरा विवाद भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं की असहिष्णुता को दिखाता है. खट्टर ने यह बयान देकर बड़ा विवाद पैदा कर दिया था कि यदि मुस्लिमों को भारत में रहना है तो गोमांस खाना छोड़ देना चाहिए. रमेश ने गोमांस विवाद पर उत्तर प्रदेश के कुछ भाजपा नेताओं को भी आडे हाथ लिया. कांग्रेस सांसद ने कहा कि गोमांस खाना है या नहीं खाना है, यह निजी मुद्दे हैं. उन्होंने खाने-पीने की चीजों की प्राथमिकताएं थोपने वालों को निशाना बनाया.
रमेश ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि यह साबित करने के लिए हमारे इतिहास में कई तथ्य हैं कि प्राचीन भारत में लोग गोमांस खाया करते थे.” कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘आप गोमांस खाएं या न खाएं, ये निजी मुद्दे हैं. मेरे परिवार में ऐसे लोग हैं जो गोमांस खाते हैं. मैं शाकाहारी हूं. इसलिए नहीं कि मैं हिंदू हूं, बल्कि इसलिए कि यह मेरी पसंद है.
मैं पांच साल तक विदेश में रहा. मैं शाकाहारी था, इसलिए नहीं कि मैं हिंदू हूं. लेकिन मेरे बच्चे शाकाहारी नहीं हैं. लिहाजा, मैं उन पर खाने को लेकर अपनी पसंद नहीं थोपता. यह उनकी आजादी है.” आरक्षण विवाद पर रमेश ने मौजूदा नीति जारी रखने की वकालत की और कहा कि इसकी समीक्षा की कोई जरुरत नजर नहीं आती.
रमेश ने कहा, ‘‘मेरा स्पष्ट मानना है कि आरक्षण नीति निश्चित तौर पर जारी रहनी चाहिए. हमारे देश में सामाजिक न्याय को अब भी बहुत हद तक हासिल नहीं किया जा सका है.” उन्होंने कहा, ‘‘सामाजिक न्याय के लाभ का प्रवाह समाज के कमजोर तबकों तक अभी और होना है. मैं इस बात से बिल्कुल भी सहमत नहीं हूं कि आरक्षण समाप्त कर देना चाहिए.”

Prabhat Khabar Digital Desk
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