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84 के दोषियों को सजा मिलती तो नहीं होता गुजरात, दादरी घटना: केजरीवाल

नयी दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि साल 1984 के सिख विरोधी दंगों के दोषियों को यदि सजा मिली होती तो गुजरात और दादरी जैसी घटनाएं नहीं होतीं और ‘‘ऐसी असहनशीलता’ नहीं फैलती. मुख्यमंत्री ने उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर सिख विरोधी हिंसा में मारे गए 1,300 लोगों के […]

नयी दिल्ली : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज कहा कि साल 1984 के सिख विरोधी दंगों के दोषियों को यदि सजा मिली होती तो गुजरात और दादरी जैसी घटनाएं नहीं होतीं और ‘‘ऐसी असहनशीलता’ नहीं फैलती.

मुख्यमंत्री ने उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर सिख विरोधी हिंसा में मारे गए 1,300 लोगों के परिजन को पांच-पांच लाख रुपए के बढे हुए मुआवजे के चेक बांटे और दंगों के 31 साल पूरे होने के मौके पर पीडितों को श्रद्धांजलि दी.

पश्चिम दिल्ली के तिलक विहार इलाके में चेक बांटने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘यदि 1984 दंगों के दोषियों को पिछले 31 साल में सजा मिल गयी होती तो गुजरात और दादरी जैसी घटनाएं नहीं हुई होतीं.’ केजरीवाल ने कहा, ‘‘किसी ने धर्म के आधार पर नफरत फैलाने की हिमाकत नहीं की होती और देश में ऐसी असहनशीलता नहीं फैलती.’
मुख्यमंत्री ने यह दावा भी किया कि ‘‘असहनशीलता और नफरत फल-फूल रही है क्योंकि यह पाप करने वाले जानते हैं कि सत्ता में बैठे लोग उन्हें बचा लेंगे.’ उन्होंने दावा किया कि केंद्र ने दंगों की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का आदेश इस वजह से दिया क्योंकि उसे ‘‘डर’ था कि एक बार उनकी सरकार ने कमान संभाल ली तो दोषी को सजा होगी.
केजरीवाल ने यह भी कहा कि वह इसकी विधिक जांच कराएंगे कि क्या केंद्र के पास इस मामले में एसआईटी गठित करने का अधिकार है. केजरीवाल ने कहा, ‘‘इन 31 सालों में लगभग हर पार्टी की सरकार दिल्ली और केंद्र में रही.भाजपा और कांग्रेस ने दिल्ली में सरकारें बनाई, राजग और कांग्रेस ने केंद्र में सरकार बनाई और हर पार्टी एवं सरकार कहती रही कि सिखों को इंसाफ मिलेगा. लेकिन यदि सरकार उनके लिए इंसाफ सुनिश्चित नहीं करेगी तो फिर कौन करेगा?’
केजरीवाल ने कहा, ‘‘हमने अपनी 49 दिन की सरकार के दौरान एसआईटी के गठन का आदेश दिया था जो 30 साल में भी नहीं बन सकी थी. लेकिन जब हमने सरकार से इस्तीफा दिया तो उसे रद्द कर दिया गया.’ उन्होंने कहा, ‘‘बहरहाल, जब हमने 14 फरवरी को फिर सरकार बनाई तो उससे ठीक एक दिन पहले केंद्र सरकार ने एसआईटी गठित कर दी क्योंकि उन्हें डर था कि जब अरविंद सत्ता में आएगा तो सभी दोषियों को सजा होगी.’
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इस देश में असहनशीलता इस हद तक बढ गई है कि राष्ट्रपति को भी इस महीने चार बार इस मुद्दे पर चिंता जतानी पड़ी है.’ पिछले साल अक्तूबर में केंद्र सरकार की ओर से मुआवजे की राशि बढ़ाकर पांच लाख रुपए करने की घोषणा की गई थी.
इस साल अगस्त में दिल्ली सरकार ने फैसला किया कि केंद्र सरकार की घोषणा के अनुरुप सिख विरोधी दंगों के पीडितों के परिजन को बढ़े हुए मुआवजे के चेक बांटे जाएंगे.दिल्ली सरकार के एक अनुमान के मुताबिक, सिख विरोधी दंगों के पीडित करीब 2,600 परिवारों को मुआवजा देने में लगभग 130 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. केंद्र सरकार बाद में दिल्ली सरकार को मुआवजे की राशि लौटा देगी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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