नयी दिल्ली : खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस द्वारा ऑनलाइन फैलाए जा रहे कट्टरपंथ और भारत से युवकों की इसके नेटवर्क में शामिल होने की उत्सुकता जैसे घटनाक्रमों ने 2015 में गृह मंत्रालय को व्यस्त रखा. इस साल गोमांस की अफवाह पर दादरी में एक व्यक्ति की पीट-पीट कर हत्या कर दिये जाने की घटना से कुछ तनाव भी दिखा. ‘गलती करने वाले’ गैर सरकारी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई तथा दो बार गृह सचिव के बदले जाने की घटनाएं भी गृह मंत्रालय के लिए प्रमुख रहीं. जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों की छिटपुट हिंसा, सुरक्षाबलों पर नक्सली हमलों और मणिपुर में एनएससीएन-के द्वारा 18 सैनिकों की हत्या किये जाने जैसी घटनाओं का भी सामना मंत्रालय को करना पडा.
वर्ष 2015 के समापन के कगार पर पहुंच जाने के साथ गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने वायदा किया कि सरकार अगले साल देश में शांतिपूर्ण, सुरक्षित और सौहार्दपूर्ण माहौल सुनिश्चित करेगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि महिला सुरक्षा का मुद्दा शीर्ष प्राथमिकता पर होगा. राजनाथ ने यह भी कहा कि वर्ष 2015 में सुरक्षा परिदृश्य में, खासकर जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में काफी सुधार हुआ है. लेकिन मुस्लिम युवकों के कट्टरपंथ की चपेट में आने का मुद्दा गृह मंत्रालय के लिए चिंता का सबब बनकर उभरा.
असल में, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के प्रमुख शरद कुमार ने स्वीकार किया है कि युवाओं के चरमपंथ के प्रभाव के संबंध में आईएसआईएस, विशेषकर दक्षिण भारत में एक बडा खतरा बनकर उभर रहा है. उनका मानना है कि हालांकि आईएसआईएस की भारत में जड़े नहीं हैं, लेकिन यह इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को प्रभावित कर रहा है. खुफिया एजेंसियों के एक अनुमान के मुताबिक कम से कम 23 भारतीय ऑनलाइन चरमपंथ की चपेट में आने के बाद इराक-सीरिया में आईएसआईएस के प्रभाव वाले क्षेत्रों में जा चुके हैं, ताकि वे आतंकी संगठन की ओर से लड सकें.
इसके चलते सुरक्षा एजेंसियों को सोशल मीडिया और कुछ कट्टरपंथी वेबसाइटों पर नजर रखने को विवश होना पडा. भारत से आईएसआईएस में शामिल होने इराक और सीरिया गए युवाओं में से छह मारे जा चुके हैं और एक वापस मुंबई लौट आया. आईएसआईएस के तत्वों द्वारा चरमपंथी बनाये गये कम से कम 30 अन्य भारतीयों को पश्चिम एशिया के संघर्ष क्षेत्र में जाने से रोक दिया गया. आईएसआईएस के प्रति कथित झुकाव के चलते देश में करीब 150 युवाओं पर सुरक्षा एजेंसियों की नजर है.
इस वर्ष ग्रीनपीस इंडिया, फोर्ड फाउंडेशन, कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड के दो गैर सरकारी संगठनों और जानी मानी अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह के एक एनजीओ सहित अनेक गैर सरकारी संगठनों के खिलाफ मंत्रालय ने विदेशी अंशदान (विनियमन) कानून (एफसीआरए) के कथित उल्लंघन को लेकर बडी कार्रवाई की. इस साल सरकार ने दो बार गृह सचिव बदला. पहले अनिल गोस्वामी की जगह एलसी गोयल की नियुक्ति की गयी और फिर गोयल ने खुद 31 अगस्त को राजीव महर्षि के लिए मार्ग प्रशस्त कर दिया.
गोस्वामी को सारदा घोटाले में पूर्व केंद्रीय मंत्री मतंग सिंह की गिरफ्तारी से सीबीआई को कथित तौर पर रोकने की कोशिश के मामले में बर्खास्त कर दिया गया. माना जाता है कि गोयल को सरकार के शीर्ष नेताओं और उनके खुद के अधिकारियों से मतभेदों के चलते हटाया गया. वर्ष 2015 में दो भगोडों – अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन को इंडोनेशिया से और उल्फा नेता अनूप चेतिया को बांग्लादेश से वापस लाने में सफलता मिली. राजन को अक्तूबर में बाली में तब हिरासत में लिया गया था जब वह ऑस्ट्रेलिया से वहां पहुंचा था. बाद में उसे भारत को सौंप दिया गया. बांग्लादेश में जेल में बंद चेतिया को नवंबर में भारत वापस लाया गया. भारत और बांग्लादेश ने एक अगस्त को 162 एंक्लेवों का आदान-प्रदान किया.