26.9 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

समलैंगिकों को सजा मत दीजिए, इलाज कराइए : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ

नयी दिल्ली : समलैंगिकता पर छिड़ी बहस के बीच संघ में पदानुक्रम में तीसरे बड़े नेता सह सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के एक बयान पर विवाद छिड़ गया है. होसबोले ने गुरुवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में समलैंगिकता पर अपनी राय जाहिर की.उन्होंनेअपनेसंबोधन में कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है.दत्तात्रेयहोसबोले ने कहाकियह लोगों का निजी […]

नयी दिल्ली : समलैंगिकता पर छिड़ी बहस के बीच संघ में पदानुक्रम में तीसरे बड़े नेता सह सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के एक बयान पर विवाद छिड़ गया है. होसबोले ने गुरुवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में समलैंगिकता पर अपनी राय जाहिर की.उन्होंनेअपनेसंबोधन में कहा कि समलैंगिकता अपराध नहीं है.दत्तात्रेयहोसबोले ने कहाकियह लोगों का निजी मामला है और किसी का भी सैक्स चुनाव अपराध नहीं है. संभवत: यह पहला मौका है जब संघ के किसी बड़े नेता ने औपचारिक तौर पर समलैंगिकता पर राय जाहिर की हो. हालांकि उनके विवाद पर मचे बवाल के बाद उन्होंने सफाई दी है.

उन्होंने कल के अपने बयान के बाद आज सुबह ट्विटर पर सफाई दी है. होसबोले ने माइक्रो ब्लागिंग साइट पर लिखा है कि समलैंगिक विवाह समलैंगिकता को संस्थागत करती है, इसलिए इस पर प्रतिबंध लगना चाहिए. उन्होंने एक दूसरे ट्वीट में कहा है कि समलैंगिकता अपराध नहीं है पर यह हमारे समाज में अनैतिक व्यवहार है. इसके लिए सजा का प्रावधान नहीं होना चाहिए, लेकिन इसे एक मनोवैज्ञानिक केस की तरह ट्रिट करना चाहिए.

राष्ट्रीय स्वयं सेवक के बड़े व प्रभावी नेता दत्तात्रेय होसबोले ने कल कहा था कि यह लोगों का निजी मामला है और अपराध नहीं है. उन्होंने कहा था कि किसी व्यक्ति के सैक्स का चुनाव अगर दूसरों को प्रभावित नहीं करता हो तो यह अपराध नहीं है. उल्लेखनीय है कि संघ कामौन स्टैंड हमेशा से समलैंगिकता के खिलाफ रहा है, जिसकी मुखर अभिव्यक्ति सहयोगी संगठनों के जरिये होती रही है.

दत्तात्रेय होसबोले के बयान से संघ परिवार के अंदर इस पर नये सिरे से मंथन शुरू हो सकता है. हालांकि इससे पहले संघ ने खुले तौर पर कभी समलैंगिकता पर अपने विचार इससे पूर्व अभिव्यक्त नहीं किये थे.

क्या है वैधानिक स्थिति

आइपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिकता अभी अपराध है. इसके लिए अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है. समलैंगिकता को अपराध मानने पर दिल्ली हाइकोर्ट ने रोक लगा दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर यह कहते हुए रोक लगा दी थी कि कानून पर रोक लगाना अदालत का काम नहीं है. फिलहाल यह मामला सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ के पास विचाराधीन है.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel