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जयराम की किताब में दावा : KCR का बिगड़ता स्वास्थ्य बना था तेलंगाना गठन का आधार

नयीदिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने अपनीनयी किताब में कहा है कि अलग तेलंगाना राज्य की मांग को ले कर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) आमरण अनशन पर थे और उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा था जो अलग तेलंगाना की मांग के सामने संप्रग सरकार के झुकने का एक […]

नयीदिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने अपनीनयी किताब में कहा है कि अलग तेलंगाना राज्य की मांग को ले कर तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के प्रमुख के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) आमरण अनशन पर थे और उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा था जो अलग तेलंगाना की मांग के सामने संप्रग सरकार के झुकने का एक बड़ा कारण बना.

नौ दिसंबर, 2009 को तत्कालीन संप्रग सरकार ने आंध्र प्रदेश के बंटवारे और तेलंगाना राज्य के गठन की मांग मानी थी.

रमेश ने अपनीनयी किताब ‘ओल्ड हिस्टरी एंड न्यू ज्योग्राफी – बाइफरकेटिंग आंध्र प्रदेश’ में कहा है कि सरकार के शीर्ष स्तर पर जानकारी मिली थी कि हैदराबाद में स्थिति गंभीर है और स्थिति ठीक करने के लिए ‘कुछ ठोस’ करने की जरूरत है.

किताब का आज यहां विमोचन किया गया.

कांग्रेस नेता ने 242 पन्नों की अपनी किताब में कहा, ‘‘केसीआर का स्वास्थ्य फैसले को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारकों में शामिल था. एक और वजह यह आशंका थी कि माओवादी और उनके हमदर्द स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं.’ पिछली बार आंध्र प्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए रमेश आंध्र प्रदेश के बंटवारे की खातिर विधेयक तैयार करने को लेकर संप्रग सरकार द्वारा अक्तूबर 2013 में गठित मंत्री समूह (जीओएम) का हिस्सा थे.

रमेश ने कहा, ‘‘साफ तौर पर सरकार के शीर्ष स्तर को जानकारी मिली थी जिसकी वजह से उन्होंने माना कि हैदराबाद में जमीनी स्थिति गंभीर है और स्थिति ठीक करने के लिए कुछ ठोस करने की जरूरत है.’ उन्होंने कहा, ‘‘गृह मंत्री (पी चिदंबरम) को किसी कारण से लगा होगा कि आंध्र प्रदेश में एक बार फिर पोट्टू श्रीरामुलू जैसी स्थिति आ गयी है.’

अलग आंध्र प्रदेश राज्य की मांग को लेकर आमरण अनशन करते हुए श्रीरामुलू की 15 दिसंबर, 1952 को मौत हो गयी थी. घटना के बाद व्यापक स्तर पर दंगे हुए थे.

गृह मंत्री पी चिदंबरम ने खुफिया एवं दूसरी रिपोर्टों से मिले आकलन के आधार पर तेलंगाना के गठन के फैसले से संबंधित घोषणा के लिए बयान जारी किया था.

रमेश ने कहा कि बयान को ‘स्पष्टरूप से’ तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह के घर पर ही ‘अंतिमरूप दिया गया.’ उनके घर पर चिदंबरम, प्रणब मुखर्जी (तत्कालीन वित्त मंत्री) और के रोसैया (आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री) मौजूद थे और उसके बाद ‘‘कांग्रेस के दूसरे नेताओं के साथ विचार-विमर्श किया गया.’ रमेश का कहना है कि यह किताब बंटवारे की प्रक्रिया के उनके निजी अनुभव पर आधारित है. वह प्रक्रिया से करीब से जुड़े रहे हैं और किताब में केंद्र सरकार के नजरिए को दिखाया गया है.

रमेश ने कहा, ‘‘मैंने जिस तरह से अनुभव किया, यह किताब तेलंगाना के गठन की कहानी को उसी तरह बयां करती है और संयोग की बात थी कि आठ अक्तूबर, 2013 से 13 मई, 2014 के बीच किसी रहस्यमय ताकत के कारण किस्मत से मैं बंटवारे की प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वालों में शामिल था.’ पूर्व केंद्रीय मंत्री ने साथ कि साफ किया कि ‘‘आंध्र प्रदेश के बंटवारे के फैसले और उसके समय के निर्धारण’ की वजह उन्हें नहीं पता है.

नवंबर 1956 में अलग तेलुगू भाषी आंध्र प्रदेश का गठन किया गया था. फरवरी 2014 को संसद ने उसे तेलुगू भाषी दो राज्यों – तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में बांट दिया.

किताब का प्रकाशनरूपा पब्लिकेशंस ने किया है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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