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दक्षिण चीन सागर पर Indo-US संयुक्त बयान में आयी भारत की ‘पहली प्रतिक्रिया”

भाषा नयीदिल्ली : दक्षिणी चीन सागर (एससीएस) पर चीन के दावे के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत का फैसला आने के करीब दो महीने बाद भारत और अमेरिका ने आज वैश्विक कानून का पूरा सम्मान करने का आह्वान करते हुए कहा कि इस विवादित क्षेत्र से ‘निर्बाध कानूनी वाणिज्य’ सुनिश्चित होना चाहिए. कल वार्षिक सामरिक और वाणिज्यिक […]


भाषा

नयीदिल्ली : दक्षिणी चीन सागर (एससीएस) पर चीन के दावे के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अदालत का फैसला आने के करीब दो महीने बाद भारत और अमेरिका ने आज वैश्विक कानून का पूरा सम्मान करने का आह्वान करते हुए कहा कि इस विवादित क्षेत्र से ‘निर्बाध कानूनी वाणिज्य’ सुनिश्चित होना चाहिए. कल वार्षिक सामरिक और वाणिज्यिक संवाद करने वाले भारत और अमेरिका ने कहा कि वे परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में भारत के जल्द प्रवेश की दिशा में तेज प्रयास करेंगे. चीन ने भारत के प्रयास का विरोध किया था.

अमेरिका ने एनएसजी के सदस्य देशों से आग्रह किया कि वे ‘साझा हित’ में भारत के प्रयास का समर्थन करें. सामरिक और वाणिज्यिक संवाद खत्म होने के बाद जारी साझा बयान में दोनों साझेदार देशों ने सभी तरह के आतंकवाद की निंदा की और आइएस, अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, डी कंपनी और इससे संबंधित संगठनों तथा हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी एवं आपराधिक नेटवर्कों की शरणस्थलियों को तबाह करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई.

दक्षिण चीन सागर में निर्बाध नौवहन आवश्यक

साझा बयान में कहा, ‘‘दोनों पक्ष पाकिस्तान का आह्वान करते हैं कि वह 2008 के मुंबई हमले और 2016 के पठानकोट हमले के षडयंत्रकारियों को न्याय के जद में लाए. दोनों पक्ष समीक्षा जारी रखेंगे और उन संगठनों पर भी नजर रखते रहेंगे जो सीमा पार आतंकवाद सहित आतंकी घटनाओं में संलिप्त हैं.’ एससीएस विवाद का उल्लेख करते हुए भारत और अमेरिका ने नौवहन की स्वतंत्रता, ऊपर से उड़ान भरने की स्वतंत्रता और इस क्षेत्र से निर्बाध कानूनी वाणिज्य को बरकरार रखने के महत्व पर जोर दिया.

शांतिपूर्ण ढंग से विवादों का समाधान

‘यूएन कंवेशन ऑन द लॉ ऑफ द सी’ (यूएनक्लॉस) के तहत अंतरराष्ट्रीय कानून के प्रति पूरा सम्मान व्यक्त करते हुए भारत और अमेरिका ने कहा कि संबंधित देशों को शांतिपूर्ण ढंग से विवादों का समाधान करना चाहिए और ऐसी गतिविधियों को लेकर आत्मसंयम बरतना चाहिए जो विवादों को जटिल बना सकती हैं या बढा सकती हैं.

हेग आधारित अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत की ओर से विपरीत फैसले आने के बावजूद चीन एससीएस पर अपने दावे को लेकर आक्रामकता दिखा रहा है. अदालत ने कहा था कि एससीएस पर चीन के ऐतिहासिक दावे का कोई आधार नहीं है.

एनएसजी की सदस्यता के भारत के प्रयास पर साझा बयान में कहा गया, ‘‘वैश्विक अप्रसार और निर्यात नियंत्रण व्यवस्थाओं को मजबूत करने के प्रयास के तहत दोनों पक्षों ने एनएसजी में भारत के जल्द प्रवेश की दिशा में अपने प्रयास तेज करने पर प्रतिबद्धता जताई है.’ अमेरिका ने ‘आस्ट्रेलिया समूह’ और ‘वासेनार ऐरेंजमेंट’ जैसे दूसरे निर्यातक नियंत्रण समूहों में भारत को जल्द सदस्यता हासिल करने के प्रयास को लेकर अपना समर्थन दोहराया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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