23 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

ओ पनीरसेल्वम : नगरपालिका से मुख्यमंत्री तक का सफर

जयललिता के निधन के कुछ ही घंटे बाद राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने ओ पनीरसेल्वम को आधिकारिक तौर पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी. हालांकि, जयललिता की अनुपस्थिति में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के तौर पर पनीरसेल्वम पहले भी दो बार कार्यभार संभाल चुके हैं. पनीरसेल्वम का मुख्यमंत्री बनना किसी चुनौती से कम नहीं […]

जयललिता के निधन के कुछ ही घंटे बाद राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने ओ पनीरसेल्वम को आधिकारिक तौर पर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलायी. हालांकि, जयललिता की अनुपस्थिति में तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के तौर पर पनीरसेल्वम पहले भी दो बार कार्यभार संभाल चुके हैं. पनीरसेल्वम का मुख्यमंत्री बनना किसी चुनौती से कम नहीं है. सरकार चलाने के लिए उन्हें न सिर्फ सभी विधायकों का समर्थन बरकरार रखना है, बल्कि अपनी सांगठनिक और नेतृत्व क्षमता को भी साबित करना है.

थेवर जाति से आनेवाले ओ पनीरसेल्वम अपने समुदाय के पहले ऐसे नेता हैं, जिनका राजनीतिक कैरियर इतनी ऊंचाई तक पहुंचा है. किसान पिता के निधन के बाद ओपीएस एक टी स्टॉल चलाने लगे और राजनीति में आने से पहले तक उन्होंने यह काम जारी रखा. वे एमजीआर से प्रभावित होकर वे पूर्णकालिक राजनीति में आ गये. वर्ष1987 में एमजीआर के निधन के बाद पार्टी दो खेमों में बंट गयी, यही दौर था जब राजनीति में ओपीएस का कद तेजी से बढ़ा. एक गुट एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन के पक्ष में था, तो दूसरा जयललिता को समर्थन दे रहा था. हालांकि, शुरू में ओपीएस ने भी दूसरे नेताओं की तरह जानकी रामचंद्रन का ही साथ दिया, लेकिन जब जयललिता का नेता बनना तय हो गया, वे जयललिता के समर्थन में आ गये. इसके बाद पनीरसेल्वम किसी पद के लालच बिना पूरी निष्ठा के साथ पार्टी और जयललिता के साथ हर परिस्थिति में खड़े रहे.

ओपीएस 1996 में पेरियाकुलम नगरपालिका के अध्यक्ष बने और 2001 तक इस पद पर बने रहे. उस साल वे पहली बार पेरियाकुलम से विधायक बने और जयललिता सरकार में राजस्व मंत्री बनाये गये. इसके बाद ओपीएस ने वित्त, लोक निर्माण, आबकारी सहित राज्य के कई महत्वूपर्ण मंत्रालयों को संभाला. मई, 2006 में पार्टी की हार के बाद थोड़े समय के लिए वे विपक्ष के नेता भी रहे.

वर्ष 2014 में जयललिता की अनुपिस्थिति में जब उन्हें मुख्यमंत्री का प्रभार मिला, तो शपथ लेते हुए रो पड़े थे. तब डीएमके के नेता एमके स्टालिन ने उनका मजाक उड़ाते हुए उन्हें बेनामी मुख्यमंत्री तक कह डाला था. स्वभाव में अधिक नम्रता होने के कारण कई लोग उन्हें अच्छा बाॅस और कमांडर नहीं मानते हैं. ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या वे राज्य को ठीक उसी तरह संभाल पायेंगे, जैसा जयललिता ने संभाला था. हालांकि, इसका जवाब अभी भविष्य के गर्भ में है. लेकिन, यह भी सच है कि कई मंत्रालयों सहित मुख्यमंत्री पद संभालने का भी उनके पास अनुभव है.
Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel