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आडवाणी किससे नाराज हैं, सरकार से, विपक्ष से या फिर स्पीकर सुमित्रा महाजन से?

नयी दिल्ली : लोकसभा में पिछले करीब तीन सप्ताह से जारी गतिरोध पर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी आज एक बार फिर नाराज दिखे. उनका आक्रोश शब्दों में फूटा और उन्होंने कहा कि उनका तो ‘‘इस्तीफा देने का मन कर रहा है.’ आडवाणी ने इसके साथ ही व्यथित स्वर में कहा कि नोटबंदी के मुद्दे […]

नयी दिल्ली : लोकसभा में पिछले करीब तीन सप्ताह से जारी गतिरोध पर वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी आज एक बार फिर नाराज दिखे. उनका आक्रोश शब्दों में फूटा और उन्होंने कहा कि उनका तो ‘‘इस्तीफा देने का मन कर रहा है.’ आडवाणी ने इसके साथ ही व्यथित स्वर में कहा कि नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चा किए बिना यदि कल लोकसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गयी तो ‘‘संसद हार जाएगी और हम सब की बहुत बदनामी होगी.’ आपको बता दें पिछले दिनों भी वे संसद में जारी गतिरोध को लेकर नाराज दिखे थे. अब ऐसे में देखना यह है कि आडवाणी की बातों को सांसद कितनी गंभीरता से लेते हैं क्योंकि कल शीतकालीन सत्र का आखिरी दिन है और वे चाहते हैं कि शुक्रवार को संसद चले.

मन कर रहा है कि इस्तीफा दे दूं

आडवाणी को आज यह कहते सुना गया कि, ‘‘मैं स्पीकर से कहने जा रहा हूं कि वह सदन नहीं चला रही हैं… मैं सार्वजनिक तौर पर यह कहने जा रहा हूं. इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार को उन्हें शांत करने का प्रयास करते देखा गया. ऐसा नहीं है कि लोकसभा की कार्यवाही बाधित होने से आडवाणी आज पहली बार नाराज हुए हैं, ऐसा पहले भी देखा जा चुका है. आडवाणी ने हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित होने के बाद आक्रोश जताते हुए कुछ अन्य दलों के सदस्यों के साथ बातचीत में कहा, ‘‘ मेरा तो मन कर रहा है कि इस्तीफा दे दूं.’ उन्होंने कहा, ‘‘सदन में नोटबंदी के मुद्दे पर चर्चाजरूर होनी चाहिए.’ सदन के दिनभर के लिए स्थगित होने से पूर्व आडवाणी ने पहले केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से अपनी भावनाएं साझा कीं जिन्होंने इसके बाद समीप खड़े गृह मंत्री राजनाथ सिंह से कुछ कहा. सिंह ने आडवाणी की बात तो सुनी लेकिन कोई प्रतिक्रिया देते वह नहीं दिखे. आडवाणी राजनाथ सिंह को यह कहते हुए सुने गए कि वह स्पीकर से कल सुचारू रूप से सदन चलाने और नोटबंदी पर चर्चा सुनिश्चित करने को कहें.

लालकृष्ण आडवाणी को है 46 साल कासंसदीयअनुभव

लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं. वे 1970 से सांसद हैं. संसद का उनको 46 साल का अनुभव है. 7 बार वे लोकसभा के सदस्य रहे हैं जबकि 4 बार राज्यसभा की सदस्यता उन्होंने ग्रहण की. वे कई बार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. आठ नवंबर 1927 को वर्तमान पाकिस्तान के कराची में जन्मे लालकृष्ण आडवाणी ने अपना सारा जीवन पार्टी को दे दिया. वर्ष 1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की तब से लेकर सन 1957 तक आडवाणी पार्टी के सचिव रहे. वर्ष 1973 से 1977 तक आडवाणी ने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाला. वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे. इसके बाद 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व भी उन्होंने संभाला. वर्तमान में आडवाणी गुजरात के गांधीनगर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के सांसद हैं.

जब अनंत कुमार ने कराया आडवाणी को शांत

पिछले दिनों आडवाणी लोकसभा में जारी हंगामे के कारण काफी क्षुब्ध दिखे और उन्होंनेसंसदीय कार्य मंत्रीअनंत कुमार के सामने अपनी नाखुशी व्यक्त की. आडवाणी तब नाराज हुए जब विपक्ष के सांसद नारेबाजी करते हुए सत्ता पक्ष की सीट की ओर आ गये थे. आडवाणी को यह कहते सुना गया कि, ‘‘मैं स्पीकर से कहने जा रहा हूं कि वह सदन नहीं चला रही हैं… मैं सार्वजनिक तौर पर यह कहने जा रहा हूं. इस दौरान संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार को उन्हें शांत करने का प्रयास करते देखा गया. ऐसा नहीं है कि लोकसभा की कार्यवाही बाधित होने से आडवाणी आज पहली बार नाराज हुए हैं, ऐसा पहले भी देखा जा चुका है.

अगस्त 2015 में भी आडवाणी इस्तीफा देने को तैयार थे

अगस्त 2015 में जब कांग्रेस पार्टी कार्य स्थगन का प्रस्ताव लाकर भ्रष्टाचार पर बहस की मांग कर रही थी उस वक्त आडवाणी ने इस बात के लिए दबाव बनाया था कि सत्ता पक्ष उनकी बात मान ले. उनकी यह राय थी कि सरकार को विपक्ष की राय माननी चाहिए और भ्रष्टाचार पर बहस कराना चाहिए. लेकिन जब स्पीकर ने बहस ना कराकर लोकसभा की कार्यवाही स्थगित की, तो वे बहुत नाराज हो गये थे और अपना इस्तीफा तक देने के लिए तैयार थे. हालांकि बाद में उन्हें पार्टी ने मना लिया था.

Prabhat Khabar Digital Desk
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