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ये जानकर हैरान हूं कि IIT में दाखिले के साथ ही लोग IIM के बारे में सोचने लगते हैं : पिचई

खड़गपुर : गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने आज कबूल किया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड्गपुर में जब वह इंजीनियरिंग की पढाई कर रहे थे, उस वक्त वह क्लास से गायब हुआ करते थे. पिचई ने इस बात पर हैरत भी जताई कि आईआईटी में पढाई कर रहे युवा भारतीय प्रबंध संस्थानों (आईआईएम) में […]

खड़गपुर : गूगल के सीईओ सुंदर पिचई ने आज कबूल किया कि भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड्गपुर में जब वह इंजीनियरिंग की पढाई कर रहे थे, उस वक्त वह क्लास से गायब हुआ करते थे. पिचई ने इस बात पर हैरत भी जताई कि आईआईटी में पढाई कर रहे युवा भारतीय प्रबंध संस्थानों (आईआईएम) में दाखिले की तैयारी में लगे होते हैं. उन्होंने असल दुनिया के तजुर्बे हासिल करने की अहमियत पर भी जोर दिया. यहां आईआईटी के छात्रों से मुखातिब पिचई ने कहा, ‘‘(भारत में) आपके पूरे करियर के दौरान कुछ तय नियमों का पालन करने का खासा दबाव होता है.

जब आप हाई स्कूल में होते हैं, तो आप कॉलेज के बारे में सोचते हैं. मुझे हैरत होती है कि लोग आईआईटी में दाखिला लेते ही आईआईएम के बारे में सोचने लग जाते हैं. असल दुनिया का तजुर्बा हासिल करना काफी अहम है.” साल 1993 में बी.टेक की पढाई पूरी करने के 23 साल बाद अपने संस्थान में आए पिचई ने कहा कि छात्र किताबों और शैक्षणिक तौर पर सीखने में काफी वक्त देते हैं.

अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए थोड़ा भावुक हुए पिचई छात्रावास के उस कमरे में भी गए जहां वह रहते थे. उन्होंने शिक्षकों से मुलाकात की और छात्रों से मुखातिब हुए. पिचई से जब पूछा गया कि क्या वह भी क्लास से गायब हुआ करते थे, तो उन्होंने कहा, ‘‘बेशक.” उन्होंने कहा, ‘‘हम देर रात तक जागते थे और सुबह क्लास से गायब रहा करते थे.” पिचई ने कहा कि उन्हें यह सुनकर काफी अचंभा हुआ कि आठवीं क्लास में पढने वाले कुछ छात्र आईआईटी प्रवेश परीक्षा की तैयारी शुरु कर चुके हैं.

उन्होंने अपने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा, ‘‘मेरे समय में काफी लोग कहा करते थे कि यह शख्स फलां कॉलेज में दाखिला नहीं ले सका और अब उसके लिए रास्ते बंद हो गए.” पिचई ने आईआईटी के छात्रों को सलाह दी कि वे कुछ अलग करने की कोशिश करें, जोखिम लें, हर हुनर को सीखें और अपने जुनून को मानें.बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भारत की आधारशिला काफी मजबूत है, क्योंकि माता-पिता या अभिभावक हमेशा इसी बारे में बात करते हैं. पिचई ने कहा कि अमेरिका में, उदाहरण के तौर पर स्टैनफोर्ड में, छात्र प्रमुख विषय तभी चुनते हैं जब वे अपने अंतिम वर्ष में होते हैं.

Prabhat Khabar Digital Desk
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